आईटी सेक्टर की अहमियत : डा. जयंतीलाल भंडारी, विख्यात अर्थशास्त्री

By: डा. जयंतीलाल भंडारी, विख्यात अर्थशास्त्री Nov 9th, 2020 12:10 am

डा. जयंतीलाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री

अमरीकियों को पहले नौकरी संबंधी इस विधेयक में यह प्रावधान है कि यदि नियोक्ता ने अपने अमरीकी कर्मियों को छुट्टी पर भेजा है तो वह एच-1बी वीजा धारक विदेशियों की नियुक्ति कर सकेगा, लेकिन नियोक्ता के द्वारा वीजा धारक को अमरीकी कामगार से अधिक वेतन का भुगतान करना होगा। यह प्रावधान इसलिए किया गया है ताकि बहुत जरूरी होने पर ही विदेशी कामगार की नियुक्ति हो और अमरीकी कामगारों को अपने ही देश में किसी तरह का नुकसान नहीं हो। ऐसे में अमरीका में कार्यरत भारतीय आईटी सेवा कंपनियां अमरीका में स्थानीय नियुक्तियां बढ़ाने और अधिक से अधिक काम को भारत भेजने पर ध्यान केंद्रित करने की रणनीति बना रही हैं…

यकीनन भारत की सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेवाएं सस्ती और गुणवत्तापूर्ण हैं तथा ये आईटी सेवाएं अमरीका के उद्योग कारोबार के विकास में अहम भूमिका निभा रही हैं। ऐसे में अमरीका के चुनाव में सत्ता परिवर्तन का जहां भारत के आईटी सेक्टर पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा, वहीं भारत के आईटी सेक्टर की बाधाएं कम होने की संभावनाएं हैं। गौरतलब है कि कोविड-19 की चुनौतियों के बीच एक ओर जहां भारत का आईटी उद्योग तेजी से आगे बढ़ा है, वहीं दूसरी ओर आउटसोर्सिंग से भारत की विदेशी मुद्रा की कमाई भी बढ़ी है। देश के आईटी उद्योग का लाभ शानदार आर्डर प्रवाह के कारण एक दशक के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन (आईबीइएफ) की रिपोर्ट अगस्त 2020 के मुताबिक भारतीय आईटी सेक्टर की आय वर्ष 2020 में 7.7 प्रतिशत बढ़कर करीब 191 अरब डॉलर अनुमानित की गई है। यह आय वर्ष 2025 तक बढ़ते हुए 350 अरब डॉलर की ऊंचाई पर पहुंच सकती है। भारत दुनिया में आईटी सेवाओं का सबसे बड़ा निर्यातक देश है। भारत की 200 से अधिक आईटी फर्म दुनिया के 80 से ज्यादा देशों में काम कर रही हैं। आईटी कंपनियों में काम कर रहे कर्मचारियों की संख्या 43.6 लाख तक पहुंच गई है। उल्लेखनीय है कि 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के समय खासतौर से तकनीकी कार्यों के लिए भारत से आउटसोर्सिंग में काफी तेजी आई थी। भारत में प्रौद्योगिकी डेवलपरों का पारिश्रमिक अन्य विकसित देशों के मुकाबले कम होने से भी आउटसोर्सिंग को बढ़ावा मिला था। एक बार फिर कोविड-19 की चुनौतियों के बीच भारत का आईटी उद्योग देश ही नहीं, दुनिया की संपत्ति के रूप में दिखाई दिया है। भारत के आईटी उद्योग की कोरोना संक्रमण के बीच देश और दुनिया के उद्योग-कारोबार और स्वास्थ्य सेवाओं को गतिशील करने में प्रभावी भूमिका रही है। वस्तुतः कोविड-19 ने आईटी कंपनियों के लिए नए डिजिटल अवसर पैदा किए हैं, क्योंकि देश और दुनिया की ज्यादातर कारोबार गतिविधियां अब ऑनलाइन हो गई हैं। वर्क फ्रॉम होम करने की प्रवृत्ति को व्यापक तौर पर स्वीकार्यता से आउटसोर्सिंग को बढ़ावा मिला है। नैसकॉम के अनुसार आईटी कंपनियों के अधिकांश कर्मचारियों के द्वारा लॉकडाउन के दौरान घर से काम किया गया है। आपदा के बीच समय पर सेवा की आपूर्ति से कई वैश्विक उद्योग-कारोबार इकाइयों का भारत की आईटी कंपनियों पर भरोसा बढ़ा है।

स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि कोविड-19 ने आईटी उद्योग की रोजगार संबंधी तस्वीर को बदल दिया है। डिजिटल और क्लाउड जैसे क्षेत्रों में ग्राहकों की मांग बढ़ी है। स्थिति यह है कि कोरोना शुरू होने के बाद कई आईटी कंपनियों ने मंदी की आशंका के चलते बड़ी संख्या में कर्मचारियों की छंटनी की थी। लेकिन अब कई आईटी कंपनियां कामकाज के तेजी से बढ़ने से अपने पुराने कर्मचारियों को नौकरी पर बुला रही हैं। चूंकि पुराने कर्मचारियों की ऑनलाइन हायरिंग भी ज्यादा आसान है। पुराने कर्मचारी सिस्टम से अच्छी तरह से परिचित होते हैं। अतएव वे कार्य पर आने के पहले दिन से ही संस्थान में अपना योगदान करने लगते हैं। उल्लेखनीय है कि कोविड-19 भारत के लिए आउटसोर्सिंग के मद्देनजर से आपदा में अवसर लेकर आया है। कोविड-19 के समय में वर्क फ्रॉम होम और स्थानीय तौर पर नियुक्तियों पर जोर दिए जाने से भारत की प्रमुख आईटी कंपनियों का कार्बन उत्सर्जन घटना भारत के लिए लाभप्रद हो गया है। अभी स्थिति यह है कि आईटी की वैश्विक कंपनियां किसी कार्य के लिए कंपनी का चयन करते समय कार्बन उत्सर्जन प्रदर्शन को लेकर संभावित विक्रेताओं से जानकारियां मांग रही हैं। कोविड-19  के पूर्व तक भारतीय आईटी कंपनियों द्वारा व्यावसायिक यात्राओं और आवाजाही के तहत बड़ी मात्रा में कार्बन उत्सर्जन किया जाता रहा है। लेकिन कोविड-19 ने आईटी कंपनियों को डब्ल्यूएफएच मॉडल अपनाने के लिए बाध्य किया है।

साथ ही अमरीका जैसे बाजारों में बढ़ती वीजा सख्ती की वजह से भी आईटी कंपनियों को स्थानीय तौर पर कर्मचारियों को नियुक्त करना पड़ रहा है। इससे भारतीय आईटी कंपनियों की यात्रा और दैनिक आवाजाही घटी है और कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आई है। कार्बन उत्सर्जन में कमी के आधार पर भी आउटसोर्सिंग कारोबार में भारी वृद्धि की नई संभावनाएं भी निर्मित हुई हैं। इतना ही नहीं, इस समय अमरीका में जिस तरह अमरीकी नागरिकों को रोजगार देना पहली प्राथमिकता बनती जा रही है, उससे भी भारतीय आईटी सेवा कंपनियां काफी काम भारत में आउटसोर्स करने की रणनीति पर आगे बढ़ रही हैं। हाल ही में 7 अक्तूबर को अमरीका के श्रम मंत्रालय ने एच-1बी, एच-1बी1, ई-3 और आई-140 वीजा के लिए न्यूनतम वेतन में इजाफा कर दिया है, जिनके कारण विदेशी कर्मचारियों को नियुक्ति देने के लिए अमरीकी कंपनियों को ज्यादा धनराशि खर्च करनी पड़ेगी। इतना ही नहीं, उसने वीजा आवेदकों के लिए भी दायरा सीमित किया है।

इन बदलावों का प्रमुख उद्देश्य यह है कि मौजूदा वेतन ढांचा कुछ ऐसा बने कि अमरीकी कामगारों द्वारा अर्जित किया जाने वाला वास्तविक वेतन उसी काम में लगे विदेशी कामगारों से कम नहीं हो सके। ऐसे नए बदलाव के पीछे प्रमुख वजह यह है कि नियोक्ता कम वेतन पर विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए प्रेरित नहीं होंगे। इसी तरह एच-1बी वीजा प्रणाली में बदलाव करने और घरेलू कामगारों को नौकरी से निकालने से रोकने के लिए अमरीकी संसद के निचले सदन में हाल ही में एक विधेयक पेश हुआ है। अमरीकियों को पहले नौकरी संबंधी इस विधेयक में यह प्रावधान है कि यदि नियोक्ता ने अपने अमरीकी कर्मियों को छुट्टी पर भेजा है तो वह एच-1बी वीजा धारक विदेशियों की नियुक्ति कर सकेगा, लेकिन नियोक्ता के द्वारा वीजा धारक को अमरीकी कामगार से अधिक वेतन का भुगतान करना होगा। यह प्रावधान इसलिए किया गया है ताकि बहुत जरूरी होने पर ही विदेशी कामगार की नियुक्ति हो और अमरीकी कामगारों को अपने ही देश में किसी तरह का नुकसान नहीं हो।

ऐसे में अमरीका में कार्यरत भारतीय आईटी सेवा कंपनियां अमरीका में स्थानीय नियुक्तियां बढ़ाने और अधिक से अधिक काम को भारत भेजने पर ध्यान केंद्रित करने की रणनीति पर आगे बढ़ रही हैं। निःसंदेह कोविड-19 के दौर में देश के आईटी उद्योग को ऊंचाई देने और आउटसोर्सिंग की चमकीली संभावनाओं को बढ़ाने के लिए कई बातों पर ध्यान देना होगा। हमें नई पीढ़ी को आईटी की नए दौर की शिक्षा देने के लिए समुचित निवेश की व्यवस्था करना होगी। हमें नए दौर की तकनीकी जरूरतों और इंडस्ट्री की अपेक्षाओं के अनुरूप कौशल प्रशिक्षण से नई पीढ़ी को सुसज्जित करना होगा। हमें शोध, नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के मापदंडों पर आगे बढ़ना होगा।


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