केंद्र सरकार के खिलाफ सोलन में प्रदर्शन

By: निजी संवाददाता-सोलन Nov 27th, 2020 12:35 am

केंद्र सरकार द्वारा श्रम कानूनों को बदलने को लेकर एक्ट व सीटू सड़कों पर उतरकर आंदोलन शुरू कर दिया है। गुरुवार को राष्ट्रव्यापी आंदोलन का असर सोलन में भी दिखाई दिया है। सोलन में एटक, सीटू व अन्य ट्रेड यूनियनों के सदस्यों ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की है और रोष रैली निकली। यह रोष रैली ओल्ड बस स्टैंड से मिनी सचिवालय तक निकाली गई और उपायुक्त सोलन के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भी सौंपा गया है। ज्ञापन के माध्यम से मांग की गई है कि जल्द मजदूर विरोधी कानूनों को वापस ले। इस माध्यम से सरकार को चेताया है अगर मजदूर विरोधी कानूनों को वापस नहीं लिया गया तो यह आंदोलन और तेज होगा। इस दौरान एटक के प्रदेशाध्यक्ष जगदीश भारद्वाज ने कहा कि बैंक, पब्लिक सेक्टर व निजी सेक्टर के लोग इस श्रम कानून के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि सौ वर्षों में 44 श्रम कानून बनाएं गए थे। इन कानूनों को बनाने के लिए काफी जद्दोजहद की गई थी, लेकिन भाजपा सरकार द्वारा इन कानूनों  को बदल दिया है।  इन कानूनों के बदलें चार श्रम सहिता बनाई गई है।

यह श्रम शिताएं पूंजी पतियों के हक में है।  इससे मजदूर काफी नाराज है। साथ ही उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा किसानों के लिए काला कानून बनाया गया है। इसके कारण किसानों को क्षति हो जाएगी और इसमें भी कारपोरेट का कब्जा हो जाएगा। इसके साथ सीटू के जिला अध्यक्ष मोहित वर्मा का कहना है कि सीटू भी इस श्रम कानून के खिलाफ है। इसी को लेकर गुरुवार को रोष रैली निकली गई है। साथ ही उपायुक्त सोलन के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भी सौंपा गया है। ज्ञापन के माध्यम से विभिन्न मांगें सरकार के समक्ष रखी गई हैं। इन मांगों में 44 श्रम कानूनों को खत्म कर चार श्रम संहिताओं में बदलने के मजदूर विरोधी और केवल पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने वाले निर्णय को वापिस लेना, किसान विरोधी कानून वापस लेना, केंद्र और राज्य सरकारें महंगाई को रोकने के लिए जीवन उपयोगी वस्तु अधिनियम की बहाली करने सहित अन्य मांगे शामिल हैं। ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) के सदस्यों ने सरकार से आशा जताई है कि इन मांगों को और जन विरोधी नीतियों को बदलने बारे आवश्यक कार्रवाई करेंगे।


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