खाद्यान्न सबसिडी दोबारा जारी करे केंद्र: सुखदेव सिंह, लेखक नूरपुर से हैं

By: सुखदेव सिंह, लेखक नूरपुर से हैं Nov 10th, 2020 12:06 am

सुखदेव सिंह

लेखक नूरपुर से हैं

एक तरफ प्रदेश की जनता को इस महामारी में उचित मूल्यों की दुकानों पर खाद्य वस्तुओं का कोटा दोगुना किए जाने की सुर्खियां पढ़ने को मिल रही थीं, मगर अचानक एपीएल परिवारों की सबसिडी में कटौती किए जाने का फैसला अब लोगों के गले नहीं उतर रहा है। सरकारी फैसले के अनुसार अब एपीएल परिवार, जो आयकरदाता हैं, उन्हें खाद्यान्न पर मिलने वाली सबसिडी नहीं दी जा रही है…

दीपावली पर्व के अवसर पर प्रदेश सरकार जनता को उचित मूल्य की दुकानों से इस बार सौ ग्राम चीनी उपहार के रूप में अतिरिक्त दिए जाने का ऐलान कर चुकी है। उधर सरकार तेल और दालों के दाम पांच रुपए अतिरिक्त बढ़ाए जाने से ग्यारह लाख एपीएल कार्ड धारकों को झटका दिए जाने की योजना भी बना बैठी है। एपीएल परिवारों को खाद्यान्न पर मिलने वाली सबसिडी केंद्र सरकार ने पहले ही बंद कर दी है जिसे यथावत रखकर जनता को राहत दी जानी चाहिए। हिमाचल प्रदेश की स्वादिष्ट धामों का गुणगान करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव की बेला पर लोगों से खूब तालियां बटोर कर अपनापन जताए जाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी थी। दुखद बात यह रही कि केंद्र सरकार ने उचित मूल्यों की दुकानों में मिलने वाले खाद्यान्न पर अपने हिस्से की सबसिडी बहुत समय पहले ही बंद कर दी थी। नतीजतन देवभूमि में पकने वाली लजीज धामों पर लोगों को अब अधिक खर्च करना पड़ रहा है। केंद्र और हिमाचल प्रदेश सरकारें मिलकर ही पूर्व वर्षों से खाद्यान्न लोगों को सस्ते दामों में मुहैया करवा रही थीं। सबका साथ, सबका विकास का नारा बुलंद करके हिमाचल प्रदेश की बागडोर संभालने वाली जयराम ठाकुर की सरकार ने 12 लाख एपीएल परिवारों को महामारी के दौर में खाद्यान्न पर बड़ा झटका दिया है।

उचित मूल्यों की दुकानों में इस वर्ग को मिलने वाले सस्ते राशन पर आधी सबसिडी खत्म किए जाने का सरकार ने कैबिनेट बैठक में खाका तैयार करके देवभूमि में हलचल मचा दी है। केंद्र सरकार ने खाद्यान्न पर पहले ही सबसिडी बंद कर दी थी जिसके चलते प्रदेश सरकार ने अकेले अपने दम पर ही लोगों को अब तक यह सुविधा जारी रखी थी। प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से खाद्यान्न पर सबसिडी यथावत रखने की मांग कई बार उठाई, मगर इसके बावजूद यह मांग नहीं मानी गई। प्रदेश सरकार ने अब एपीएल वर्ग की सबसिडी खत्म करके अपना वार्षिक बजट बचाने की योजना बनाई है जिसका खामियाजा मध्यम वर्ग को अधिक भुगतना पड़ेगा। कोरोना वायरस महामारी के दौर में जहां लोग गरीब लोगों को खानपान की वस्तुएं उपलब्ध करवाकर इंसानियत की मिसाल पेश कर रहे हैं, वहीं एपीएल परिवारों को मिलने वाली सबसिडी में कटौती किया जाना सरासर गलत है। एक तरफ प्रदेश की जनता को इस महामारी में उचित मूल्यों की दुकानों पर खाद्य वस्तुओं का कोटा दोगुना किए जाने की सुर्खियां पढ़ने को मिल रही थीं, मगर अचानक एपीएल परिवारों की सबसिडी में कटौती किए जाने का फैसला अब लोगों के गले नहीं उतर रहा है। सरकारी फैसले के अनुसार अब एपीएल परिवार, जो आयकरदाता हैं, उन्हें खाद्यान्न पर मिलने वाली सबसिडी नहीं दी जा रही है।

 सबसे अहम बात यह है कि इस श्रेणी के कितने परिवार ईमानदारी से अपना इनकम टैक्स सरकार को अदा करते होंगे, यह आकलन करने की जरूरत है। महामारी के दौर में इस तरह का जनविरोधी फैसला लेकर प्रदेश सरकार ने अपनी किरकिरी करवाई है। कोरोना वायरस के चलते जिस तरह प्रदेश सरकार ने जागरूकता बरती, उसकी सभी ने तारीफ  की थी। अब जब लोगों के कामकाज ठप पड़े तो सरकार ने खाद्यान्न पर मिलने वाली सबसिडी में कटौती करके प्रदेश की जनता के साथ अन्याय किया है। पंचायतों में असली गरीब कौन हैं, इसकी पहचान पंचायत प्रतिनिधि ग्राम सभाओं की बैठकों में किए जाने में फिलहाल नाकाम रहे हैं। ऐसे में क्या इनकम टैक्स अदा करने वालों की शिनाख्त करने में प्रदेश सरकार सफल हो पाएगी, सबसे बड़ा सवाल है। माना कि कर्ज के बोझ तले दबी सरकार को आर्थिक समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। कोरोना वायरस की वजह से प्रदेश सरकार का विकास दिनोंदिन पटरी से नीचे उतरता जा रहा है, यह भी सच्चाई है। सरकार विकास गतिविधियों को कैसे गति दे और उसकी आय के संसाधन कैसे बनाए जाएं, ये सवाल आजकल सबसे बड़ी चुनौती बने हुए हैं। केंद्र सरकारों के रहमोकरम पर जब से प्रदेश की जनता को उचित मूल्यों की दुकानों पर सस्ते दामों में खाद्यान्न मिलना शुरू हुए, तभी से लोगों में खेतीबाड़ी के प्रति अकर्मण्यता की भावना जागृत हुई है। किसानों ने बैलों को बेच दिया, पशुपालन से मुंह फेर लिया, खेतीबाड़ी के औजार भी अब घरों में देखने को नहीं मिलते हैं। खेतीबाड़ी करके अपने परिवारों का जीवन-यापन करने वाले लोगों को कामचोर भी सरकारों ने ही बनाया, इसमें कोई दो राय नहीं है। जब किसी इनसान को बिना कड़ी मेहनत किए ही कतारों में खड़े होकर सस्ते खाद्यान्न मिल जाएं तो फिर खेतों में कौन पसीना बहाना पसंद करेगा?

हालात ऐसे बन चुके हैं कि लोगों ने खेतीबाड़ी से विमुख होकर उचित मूल्यों की दुकानों में मिलने वाले सामान पर ज्यादा निर्भर रहने की आदत सी बना ली है। प्रदेश की जनता मानो भिखारी बनकर घंटों उचित मूल्यों की दुकानों के समक्ष खड़े होकर गुणवत्ता रहित खाद्यान्न को लेकर अपने परिवारों का पेट भरती रही है। उचित मूल्यों की दुकानों में मिलने वाले खाद्यान्न की गुणवत्ता सही न होने की वजह से सदैव मीडिया की सुर्खियां बनती रही हैं। सरकारें गरीब लोगों को घटिया खाद्यान्न वितरित करके अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकती जा रही थीं। उचित मूल्यों की दुकानों पर गरीब लोगों को शायद ही कभी एक साथ सभी खाद्यान्न मिल पाए हों। डिपो होल्डर लोगों को यह कहकर टालते रहे कि उनके पास पर्याप्त खाद्यान्न की सप्लाई नहीं आई है। कभी खाद्य आपूर्ति विभाग की टेंडर प्रक्रिया लंबित पड़ जाती, तो कभी डिपो होल्डर स्टॉक खत्म होने का राग जनता से अलापते रहे हैं। बहरहाल जरूरत इस बात की है कि केंद्र सरकार हिमाचल प्रदेश की सरकार को पूर्व की भांति खाद्यान्न पर सबसिडी यथावत रखे। ऐसा करने से ही प्रदेश की जयराम ठाकुर सरकार प्रदेश के लाखों राशनकार्ड धारकों को सस्ते दामों पर खाद्यान्न उपलब्ध करवा सकती है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App