साहित्य जगत के लिए झटका
टांकरी गुरु कहे जाने वाले लेखक ज्ञाता खूबराम खुशदिल के निधन से यहां साहित्य जगत को एक और बड़ा झटका लगा है। शुक्रवार को टांकरी भाषा के ज्ञाता लेखर खूबराम खुशदिल के निधन हो जाने से यहां जिला कुल्लू सहित प्रदेशभर के लेखक व साहित्यकार गमगीन हैं। अभी तक भोटी के विद्वान छेरिंग दोरजे के निधन से लेखक साहित्यकार उभर भी नहीं पाए थे कि एक और भाषा और लिपि के ज्ञाता खूबराम खुशदिल भी इस संसार को छोड़कर चले गए। कोरोना काल में साहित्यकारों व लेखकों को काफी नुकसान हुआ है। वहीं, खूबराम खुशदिल के चले जाने के चलते भी अब प्रदेश में टांकरी भाषा का कोई ज्ञाता नहीं रहा है। क्योंकि प्रदेशभर से भी उनके पास टांकरी भाषा के कई लेख, गीत अनुवाद के लिए आया करते थे।
साहित्यकार डा. सूरत ठाकुर की मानें तो उन्हें पूरे प्रदेश की टांकरी भाषा का ज्ञान था। वह टांकरी भाषा में गीत व अपनी संस्कृति को भी लिखा करते थे। उनके जाने से बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। करीब 96 साल से अधिक उनकी आयु हो चुकी थी। पिछले लंबे समय से वह बीमार भी चल रहे थे, जहां शुक्रवार को उनका निधन हुआ है। वहीं, इससे पहले भी साहित्यकार मौलू राम ठाकुर के जाने के बाद से जिला कुल्लू अब तक कई बड़े विद्वानों को खो चुका है।
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