एसएमसी शिक्षकों को ‘सुप्रीम’ राहत, सर्वोच्च अदालत ने पलटा हाई कोर्ट का फैसला

By: सिटी रिपोर्टर — शिमला Nov 25th, 2020 12:12 am

हिमाचल प्रदेश के 2555 एसएमसी शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। अब  राज्य के हजारों एसएमसी शिक्षकों की नौकरी नहीं जाएंगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एसएमसी शिक्षकों में खुशी की लहर है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को मामले पर सुनवाई हुई, जिसमें एसएमसी शिक्षकों की नियुक्तियों को सही ठहराया गया है। ऐसे में प्रदेश में सेवाएं दे रहेएसएमसी शिक्षकों ने राहत की सांस ली है। उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट ने इन अध्यापकों की नियुक्तियों को रद्द करने का फैसला सुनाया था।

 इसके बाद सुप्रीमकोर्ट में एसएमसी अध्यापकों का कहना था कि वे वर्ष 2012 से हिमाचल के अति दुर्गम क्षेत्रों में बिना किसी रुकावट के अपनी सेवाएं दे रहे हैं और उनका चयन प्रदेश सरकार द्वारा नियमों के तहत किया गया है। वे नियुक्तियों के लिए पूर्ण पात्रता रखते हैं और लंबे समय से उनकी निर्बाधित सेवाओं को ध्यान में रखते हुए उनकी सेवाओं को नियमित करने की बजाय रद्द करना तर्कसंगत नहीं है। उधर, पीरियड बेसिस एसएमसी टीचर एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज रोंगटा व हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष पवन कुमार व प्रदेश उपाध्यक्ष डाक्टर माम राज पुंडीर ने इसके  लिए प्रदेश सरकार व सुप्रीम कोर्ट का आभार व्यक्त किया है। पीरियड बेसिस एसएमसी टीचर एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज रोंगटा का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 2555 से अधिक एसएमसी शिक्षकों का भविष्य सुरक्षित हो गया है।

 अब उनकी सेवाएं जारी रहेंगी। बता दें कि हिमाचल सरकार ने इस मामले में सहानुभूतिपूर्वक विचार कर शिक्षकों की नौकरी बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपनी ओर से भी एसएलपी दायर की थी। सरकार ने हाई कोर्ट से फैसले पर अमल करने के लिए अधिकतम एक वर्ष का समय मांगा था। सरकार का कहना है कि एसएमसी अध्यापक दुर्गम क्षेत्रों में कोरोना काल के दौरान भी निर्बाध सेवाएं दे रहे हैं। ऐसे में मौजूदा कोरोना संकट को देखते हुए इनकी सेवाएं फिलहाल जरूरी हैं।


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