सामाजिक समरसता और गुरु नानक देव जी : राजेंद्र पालमपुरी, लेखक मनाली से हैं
सिख धर्म के प्रथम गुरु, गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था। पिता कालू राम मैहता और मां तृप्ता की संतान नानक देव का प्रकाशोत्सव कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। तलवंडी को ननकाना साहिब भी कहते हैं जो अब पाकिस्तान के जिला लाहौर में स्थित है। बचपन से ही नानक के मन में आध्यात्मिक भावनाएं मौजूद देख पिता कालू राम ने बालक को पंडित हरदयाल के पास शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजा। शिक्षा प्राप्त करते हुए ही वे कई प्रश्न अपने शिक्षक से पूछते। पंडित निरुत्तर होकर अक्सर चुप हो जाया करते। नानक ने सारी वर्णमाला की रचना कविता में करके गुरु को सुनाई तो उनकी आंखें खुली की खुली रह गईं और पंडित जी हैरत में थे। बाद में नानक को मौलवी कुत्तुबद्दीन के पास इल्म हासिल करने के लिए भेजा गया, लेकिन हैरत हुई जब मौलवी साहब भी अक्सर बालक नानक के सवालों के जवाब नहीं दे पाते थे। मौलवी आलिफ, बे, पे, ते, टे पहले ही नानक से सुनकर लाजबाव हो गए। कहना होगा कि नानक को मदरसों और पाठशालाओं की दीवारें नहीं बांध पाईं।
गुरु द्वारा दिए जाने वाले पाठ उसे नीरस और अर्थहीन लगते। अपनी अंतरात्मा की आवाज से वे इन सब दुनियावी बातों को परे की बात समझते थे। जब नानक का जनेऊ संस्कार होने वाला था तो नानक ने इसका विरोध किया। वे बोले कि अगर सूत के डालने से मेरा दूसरा जन्म हो जाएगा और मैं नया हो जाऊंगा तो ठीक है, लेकिन यदि यह जनेऊ ही टूट गया तो क्या होगा? सब चुप थे, लेकिन पंडित बोले कि तो बाजार से दूसरा ले लेना। इस पर नानक सहज भाव से बोले- तो फिर इसे रहने ही दीजिए, जो खुद टूट जाता है और जो दो पैसे भर में बाजार में मिल जाता है, इससे भला परमात्मा की खोज क्या होगी? मुझे तो उस जनेऊ की जरूरत है जो दया, संतोष और संयम के सूत, कपास और सत्य से बना हुआ हो, जो न तो टूटता ही है न मैला ही होता है और न ही जलता है कभी और न गुम ही होगा मुझसे। गुरु नानक देव जी के सच्चे सौदे के बारे में भला कौन नहीं जानता है। पिता कालू राम जी के बाजार से सौदा खरीद करने और उसे अच्छे भाव में बेचने के बाद मुनाफा कमाने की बात को लेकर जो नानक देव ने किया था उस सौदे से हम सभी परिचित हैं। समभाव लिए संत गुरु नानक देव की जयंती के अवसर पर हम सबको बधाइयां व हार्दिक शुभकामनाएं। गुरु नानक देव जी ने सामाजिक समरसता के लिए जीवनभर काम किया।
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