तिब्बत ब्यूरो ने खारिज किए चीन के झूठे दावे, संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने मांगी थी जानकारी

By: दिव्य हिमाचल ब्यूरो — धर्मशाला     Nov 25th, 2020 12:06 am

जिनेवा स्थित तिब्बत ब्यूरो ने जीवित बुद्ध के वंश के साथ-साथ दलाईलामा और पंचेन लामा के संस्थानों के चीन के झूठे दावों को खारिज किया है। जिनेवा संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र विशेषज्ञों के हालिया संवाद में, चीन सरकार ने झूठा दावा किया है कि इसने दलाईलामा और पंचेन लामा की संस्थाओं की धार्मिक स्थिति और खिताब की स्थापना की है। संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों द्वारा 2 जून, 2020 को जारी किए गए संयुक्त आरोप पत्र की प्रतिक्रिया के रूप में चीनी सरकार द्वारा संचार प्रस्तुत किया गया था। पत्र में संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने 11वें पंचेन गेधुन चोयकी नीमा के बारे में जानकारी की मांग की थी।

 संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने तिब्बतियों की वास्तविक आशंकाओं का हवाला दिया था कि चीनी प्राधिकरण तिब्बती परंपराओं और तिब्बती बौद्ध समुदायों की इच्छा के विरुद्ध वर्तमान 14वें दलाईलामा के उत्तराधिकारी की पहचान और नियुक्ति करेगा। इस बाबत चीनी सरकार से स्पष्टीकरण की मांग की थी। भले ही चीन ने आठ जुलाई, 2020 को अपना जवाब प्रस्तुत किया था, यह केवल अनुवाद आवश्यकताओं के पालन के बाद संयुक्त राष्ट्र द्वारा हाल ही में सार्वजनिक किया गया था। पंचेन लामा गेधुन चोयकी नीमा के ठिकाने पर, चीन ने एक बार फिर एक नियमित रूप से जवाब पेश किया और दावा किया कि वह एक सामान्य नागरिक है।

 अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद वर्तमान में कार्यरत है। आग यह भी कहा कि वह और उनके परिवार के सदस्य परेशान नहीं होना चाहते हैं। हालांकि दलाईलामा  के खिलाफ अपने हमले को बढ़ाते हुए चीन सरकार ने दावा किया है कि उनके पास गेधुन चोयकी नीमा को मान्यता देने का अधिकार नहीं था। इसके अलावा चीनी सरकार ने धार्मिक स्थिति और जीवित बुद्ध के वंश, दलाईलामा और पंचेन लामा के शीर्षक की स्थापना के लिए स्वामित्व का दावा किया है। जिनेवा स्थित तिब्बत ब्यूरो ने दुनिया के सबसे सम्मानित आध्यात्मिक नेताओं में से एक नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दलाईलामा के खिलाफ चीनी अवमानना वार्ता की निंदा की।

तिब्बतियों को पूर्ण अधीनता में लेना है उद्देश्य

तिब्बत ब्यूरो ने स्पष्ट रूप से जीवित बुद्ध के वंश के साथ-साथ दलाईलामा और पंचेन लामा के संस्थानों के चीन के झूठे दावों को खारिज किया है। पुनर्जन्म की अवधारणा तिब्बती बौद्ध धर्म के लिए अद्वितीय है और चीन का इस पर कोई दावा नहीं है। तिब्बत ब्यूरो ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र में पिछले दरवाजे के माध्यम से तिब्बती बौद्ध धर्म के इन महत्त्वपूर्ण संस्थानों पर दावों को मुखर करने के चीन के प्रयासों का उद्देश्य अंततः तिब्बतियों को तिब्बत में पूर्ण अधीनता देना है और इसकी निंदा की जानी चाहिए।


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