नवंबर में दस साल बाद ऐसी बर्फबारी, सीजन की शुरुआत में ही किसानों-बागबानों के लिए बरसी संजीवनी

By: कार्यालय संवाददाता — शिमला Dec 3rd, 2020 12:06 am

कल्पा-मनाली-खदराला में टूटे रिकॉर्ड, विंटर सीजन की शुरुआत में ही किसानों-बागबानों के लिए बरसी संजीवनी

हिमाचल प्रदेश में नवंबर माह के दौरान रिकॉर्ड तोड़ बर्फबारी हुई है। दस साल के आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए, तो कल्पा, खदराला और मनाली में इस सीजन के शुरुआत में ही भारी हिमपात हुआ है, जो दस साल में सर्वाधिक आंका गया है। मनाली में तो दस साल के अंतराल में पहली बार नवंबर माह में हिमपात हुआ है। विंटर सीजन के शुरुआत में ही बारिश व बर्फबारी होने से आगामी दिनों में भी अच्छी बारिश व बर्फबारी होने की संभावना जताई जा रही है। जो प्रदेश के किसानों-बागबानों के लिए अच्छी खबर है। नवंबर माह की बात करें, तो कल्पा में माह के आखिर में 64.6 सेंटीमीटर हिमपात रिकॉर्ड किया गया है। यह पिछले दस साल में सर्वाधिक आंका गया है। इससे पहले कल्पा में 2017 में 35 सेंटीमीटर बर्फबारी हुई थी। वहीं, खड़ापत्थर की बात करें, तो खदराला में भी इस विंटर सीजन में नवंबर माह के दौरान सबसे अधिक हिमपात हुआ है।

 खदराला में 51.6 सेंटीमीटर हिमपात दर्ज किया गया है, यहां बीते साल भी भारी बर्फबारी हुई थी, मगर इस सीजन की शुरुआत में यहां भी दस साल के दौरान सबसे ज्यादा हिमपात दर्ज किया गया है। मनाली की बात करें, तो मनाली में 2009 के बाद पहली बार नवंबर में बर्फबारी हुई है। मनाली में 12 सेंटीमीटर हिमपात हुआ है। वहीं, राज्य में नवंबर माह के दौरान बारिश की बात की जाए, तो अधिकतर जिलों में सामान्य से अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई है। नवंबर माह में सबसे ज्यादा बारिश कुल्लू में हुई है। वहीं, लाहुल-स्पीति, किन्नौर और चंबा में भी झमाझम बारिश हुई है। राज्य में नवंबर माह के दौरान सामान्य बारिश 20.3 मिलीमीटर रिकॉर्ड की जाती है, मगर प्रदेश में इस बार नवंबर माह के दौरान सामान्य से दोगुनी बारिश हुई है।

बरसात में कम हुई थी बारिश

प्रदेश में बरसात के दौरान कम बारिश हुई थी। बरसात के बाद भी मौसम ड्राई ही रहा था। ड्राई स्पेल ने किसानों-बागबानों को चिंता में डाल दिया था। बारिश न होने से किसानों-बागबानों में सूखे का खतरा सताने लगा था। बारिश-बर्फबारी के बाद खेतों और बगीचों में हुई नमी का किसान-बागबान पूरा लाभ उठा रहे हैं। राज्य में किसानों ने गेहूं सहित अन्य फसलों की बिजाई शुरू कर दी है। वहीं, बागबान भी बागीचों के सुधार कार्य में जुट गए हैं। इनका मानना है कि समय रहते अगर यह कार्य पूरे हो जाते हैं, तो आगामी दिनों की तरह होने वाली बारिश फसलों के लिए संजीवनी का काम करेगी।


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