पंचायत चुनाव पर सोचने को मजबूर आयोग

By: शकील कुरैशी—शिमला Dec 3rd, 2020 12:01 am

कोविड की स्थिति पर रखी जा रही नजर, अब जिलाधीशों से पूछकर होेगा फैसला

पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव करवाए जाएं या नहीं इस पर अब राज्य चुनाव आयोग भी सोचने को मजबूर हो गया है। संवैधानिक बाध्यता है, मगर जान है, तो जहान है, कुछ ऐसी सोच इस समय राज्य चुनाव आयोग के सामने है, जो कि लगातार कोविड की स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। सूत्रों के अनुसार राज्य चुनाव आयोग ने गुरुवार को एक बैठक बुलाई है, जिसमें आयोग से जुड़े अधिकारी ही होंगे और ये अधिकारी चर्चा करेंगे कि प्रदेश में कोविड के क्या हालात हैं। इस तरह के हालात कब तक रहेंगे और इस दौरान पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव होने चाहिए या नहीं। सूत्र बताते हैं कि अभी चुनाव आयोग कोविड मामलों से उपजी स्थिति पर नजर रखेगा और 15 दिसंबर तक चुनाव पर फैसला लिया जा सकता है।

माना जा रहा है कि यदि हालात में सुधार नहीं होता है, तो कुछ समय के लिए चुनाव टल सकते हैं। वैसे इसकी संभावनाएं बहुत कम हैं( संविधान कहता है कि चुनाव आयोग को चुनाव करवाना है, मगर संविधान में इस तरह की परिस्थितियों का भी उल्लेख नहीं है कि यदि कोविड जेसी स्थिति हो तो क्या किया जाए, परंतु किसी की जान जोखिम में डालकर आयोग को भी चुनाव करवाने का अधिकार नहीं है, ऐसा प्रावधान संविधान में रहा है। बताया जाता है कि जिलाधीशों से उनके जिलों की रिपोर्ट लगातार ली जा रही है और चुनाव आयोग जल्द ही जिलाधीशों से पूछने जा रहा है कि वह चुनाव करवा सकते हैं या नहीं।

 जिलाधीश अपने यहां की स्थिति देखकर सुझाव देंगे, ताकि बाद में यदि कोई मामला अदालत में जाता है, तो चुनाव आयोग उसमें पुख्ता तरीके से अपना जवाब दायर कर सके। क्योंकि बाद में आयोग को इस पर जवाब देना ही होगा। सरकार ने साफ कर दिया है कि संविधानिक बाध्यताओं को ध्यान में रखकर चुनाव तय समय पर होंगे और सरकार इसके लिए पूरी तरह से तैयार है। सरकार ने तय किया है कि पंचायत चुनाव होंगे, मगर नगर निगमों के चुनाव अभी नहीं करवाए जाएंगे। बहरहाल, गुरुवार से आयोग की बैठकों का दौर शुरू हो रहा है, जिसमें जिलों की स्थिति की लगातार समीक्षा की जाएगी। (एचडीएम)


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