सियासत ने ग्राइंड कर दिया 300 करोड़ का स्पाइस पार्क

2014 के लोकसभा चुनावों से पहले केंद्रीय वाणिज्य मंत्री ने किया था शिलान्यास, नादौन के बड़ा में चिन्हित की गई थी 200 कनाल जमीन
इतिहास गवाह रहा है कि जहां भी विकासात्मक कार्यों पर सियासत हावी हो जाती है वहां करोड़ों के प्रोजेक्ट भी धरे के धरे रह जाते हैं। सियासतदानों की तेरे-मेरे की जिद का खामियाजा हमेशा जनता के भुगता है और आज भी भुगत रही है। इसी तेरे मेरे की जिद्द ने प्रदेश को एक ऐसे करोड़ों के प्रोजेक्ट से महरूम करवा दिया जिसने न केवल राज्य की तस्वीर बदल देनी थी बल्कि सैकड़ों लोगों के लिए एक साथ रोजगार के द्वार ा खोल देने थे। जी हां यह प्रोजेक्ट था हिमाचल में स्पाइस पार्क विकसित करने का। यूं कहें तो मसालों ने ही ग्रामीण लोगों को मालामाल कर देना था। कढ़ी पत्ता जिसके जंगल भरे पड़े हैं उसी से करोड़ों की कमाई हो जानी थी। 2014 में लोकसभा चुनावों से पहले तत्कालीन केंद्रीय वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने चंडीगढ़ से इस पार्क का ऑनलाइन शिलान्यास किया था। कॉमर्स मिनिस्ट्री के अधीन आने वाले स्पाइस बोर्ड ने इसका निर्माण करवा था। उस वक्त 300 करोड़ रुपए इस प्रोजेक्ट की लागत बताई गई थी।
बताते हैं कि यह पार्क हिंदोस्तान का सातवां और नॉथ इंडिया का पहला स्पाइस पार्क होना था। नादौन के बड़ा में 200 कनाल जमीन इस पार्क के लिए फाइनल भी कर दी गई। ब्यास का किनारा था, तो जाहिर है पानी की कमी का कोई सवाल ही नहीं था, साथ ही जगह एनएच के बिल्कुल साथ। इसलिए ट्रांसपोटेशन की भी कोई दिक्कत नहीं होनी थी। केरला से स्पाइस के डायरेक्टर और कई अन्य बड़े अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर इस जगह को स्पाइस पार्क के लिए उपयुक्त बताया था। स्पाइस पार्क के शिलान्यास से कृषि प्रधान हिमाचल के हजारों किसानों को एक नई उ मीद जगी थी।
लेकिन 2014 के लोकसभा चुनावों के नतीजे इस स्पाइस पार्क के लिए काली छाया बन गए। अब कांगे्रेस आरोप लगाती है कि केंद्र की बीजेपी सरकार इसमें रोड़ा बनी और बीजेपी कहती है कि केवल वोट की राजनीति के लिए उस वक्त लोकसभा चुनावों के पहले इस पार्क का शिलान्यास आनन-फानन में किया गया था जबकि न लैंड का कोई प्रावधान था न बजट का। बहरहाल सियासत का अखाड़ा बना स्पाइस पार्क बयानों तक ही सिमट गया। कांग्रेस दावा करती है कि पहली किस्त के रूप में 17 करोड़ की राशि भी इसके लिए जारी हो गई थी।
पड़ोसी राज्यों से आनी थी ये चीजें
इस स्पाइस पार्क के यहां स्थापित होने से हिमाचल में मसाला उद्योग को पंख लग जाने थे, क्योंकि हिमाचल ही नहीं, बल्कि पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर इत्यादि राज्यों से लालमिर्च, अदरक, लहसुन, धनिया, तेज पत्ता, हल्दी और मसालों में प्रयोग होने वाली ऐसी कई चीजें ट्रकों में भर-भरकर यहां पहुंचनी थीं, जिसके बाद यहां से बने मसाले हिंदोस्तान ही नहीं, बल्कि बाहरी देशों के लिए भी निर्यात किए जाने थे।
स्पाइस पार्क की सच्चाई यह है कि कांग्रेस ने 2014 के लोकसभा चुनावों से पूर्व इसका शोर मचाया था। जब आचार संहिता लगनी थी तो उससे कुछ समय पहले चंडीगढ़ से तत्कालीन कांग्रेस के वाणिज्य मंत्री ने इसका ऑनलाइन शिलान्यास कर दिया। प्रदेश में उस वक्त सरकार कांग्रेस की थी। मैंने विधानसभा में कई बार इसका मुद्दा उठाया तो जवाब आया कि अभी जमीन नहीं है। हैरानी होती है कि बगैर लैंड के इस करोड़ों के प्रोजेक्ट का शिलान्यास केवल वोट बैंक के लिए कर दिया गया जो कि जनता के साथ धोखा था।
विजय अग्निहोत्री पूर्व विधायक नादौन
प्रदेश के लिए यह बहुत ही दुर्भाग्य की बात है कि कितना बड़ा गोल्डन प्रोजेक्ट हाथों में आने के बावजूद एक्टिव नहीं हो पाया। यह न केवल किसानों के साथ धोखा है बल्कि युवा पीढ़ी को मिलने वाला अवसर भी चला गया। सरकारों से यही गुजारिश है कि प्रदेश की भलाई के लिए इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू करें बलजीत सिंह संधू,
पूर्व चेयरमैन फार्मर एडवाइजरी कमेटी
हमने प्रयास करते हुए कॉमर्स मिनिस्ट्री से इस स्पाइस पार्क को स्वीकृत करवाया था। जैसे ही 2014 में केंद्र में सरकार बदली उसके बाद से इस पार्क को मानों ग्रहण ही लग गया। हम आज भी चाहते हैं कि पार्क बने। 300 करोड़ का यह स्पाइस पार्क आज तक क्यों सफेद हाथी बना है इस बारे में तो केंद्रीय वित्त मंत्री ही अब बता सकते हैं। अगर यह पार्क बनता तो प्रदेश की तस्वीर ही बदल जाती। लोगों को उत्तम किस्म का बीच देकर उनसे खेती करवाई जानी थी और उन्हीं से फसल खरीदकर उन्हें उचित दाम दिए जाने थे। सुखविंद्र सिंह सुक्खू,विधायक नादौन विधानसभा क्षेत्र