कोरोना का तनाव और हमारे छात्र

यकीनन इस समय बच्चों को अतिरिक्त पढ़ाई करने की जरूरत होती है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आप एक स्टडी प्लान बनाएं। मसलन, बच्चा पूरे दिन में कितनी देर पढ़ाई करेगा और उसे कितनी देर का ब्रेक लेना है। एक बार में वह कितने पार्ट को कवर करेगा, इन सबकी प्लानिंग पहले ही कर लें…

प्रधानमंत्री जी ने हाल ही में परीक्षा तनाव को लेकर देश के छात्रों को संबोधित किया। कोरोना की जोरदार वापसी ने हमारे बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित किया है। इस समय ज्यादा स्कूल बंद हैं। इस तनाव के माहौल में समाज को बच्चों की मानसिक हालत को ध्यान में रखने की जरूरत है। अभिभावक उनको ज्यादा वक्त दें। कोविड के दौर में अभिभावकों को  असीमित चिंताएं घेरे रहती हैं। यह कड़वा सच है कि कोरोना काल में घर पर रह कर बच्चे चिड़चिडे़ हो गए हैं। 6 से 12 साल के बच्चों पर ज्यादा असर देखने को मिल रहा है। बच्चों में भी डिप्रेशन के लक्षण दिख रहे हैं। खेलकूद बंद होने से बच्चों की दिनचर्या बदली है। बच्चों के बर्ताव में बदलाव दिख रहा है। स्कूल न जाने से भी बच्चों पर असर पड़ रहा है। कब स्कूल जाएंगे, यह पता नहीं है। लेकिन हम सबके लिए बच्चों की सेहत स्कूल जाने से कम महत्त्वपूर्ण नहीं है। इसके चलते बच्चों का बाहर खेल-कूद, मिलना-जुलना नहीं हो पा रहा है। बाजार, मॉल, रेस्टोरेंट जाना बंद है। छुट्टियों में बाहर घूमने जाना भी बंद है। बच्चे वर्चुअल और आर्टिफिशियल दुनिया में ही जी रहे हैं। उनकी पढ़ाई के लिए ऑनलाइन माथापच्ची हो रही है। बैठे-बैठे वजन बढ़ता जा रहा है। कोविड और मां-बाप के चिंतित चेहरे बच्चों के लिए भी तनाव का कारण हैं। अकेलापन और बुरी खबरों का तनाव भी बच्चों पर हावी दिख रहा है। इन स्थितियों में बच्चों में चिड़चिड़ापन, ज्यादा गुस्सा, दुखी चेहरा आम बात होती जा रही है। बच्चों में अचानक कम या बहुत ज्यादा नींद की शिकायतें भी मिल रही हैं। बच्चों में मायूसी, कोशिश किए बिना हार मान लेनी की आदत देखने को मिल रही है। इसके अलावा थकावट, कम एनर्जी, एकाग्रता में कमी की शिकायतें भी मिल रही हैं। बच्चों में गलती पर खुद को ज्यादा कसूरवार ठहराना, सामाजिक गतिविधियों से दूरी बनाना, दोस्तों, रिश्तेदारों से कम घुलना-मिलना जैसे लक्षण भी देखने को मिल रहे हैं। जानकारों का कहना है कि  छह साल से बड़े बच्चों में डिप्रेशन संभव है। लेकिन ध्यान रखें कि सामान्य तनाव और डिप्रेशन में अंतर होता है। सिर्फ चुपचाप, उदास रहना डिप्रेशन नहीं है। सब कुछ काफी स्लो बिना एंजॉय किए करना और किसी चीज में रुचि नहीं है तो डिप्रेशन संभव है। एंग्जायटी अटैक में डिप्रेशन का एलर्ट मिलता है लेकिन एंग्जायटी अटैक डिप्रेशन का प्रमाण नहीं है। शारीरिक, मानसिक, यौन शोषण, परिवार में कलह की स्थिति, स्कूल में मारपीट, अप्रिय घटना, जीवनशैली में अचानक बदलाव, कम उम्र में रिलेशनशिप, बदलते समाज का बुरा प्रभाव और डिप्रेशन की फैमिली हिस्ट्री डिप्रेशन की वजह बन सकते हैं।

इन स्थितियों से निपटने के सुझाव हैं कि सबसे पहले बच्चों को दुखी न होने दें। अभिभावक उनके जीवन में शामिल हों। उन्हें बुरे एहसास मैनेज करना सिखाएं। बच्चे के दोस्तों की जानकारी रखें। बच्चे को नज़रअंदाज न करें। उनसे लगातार बात करते रहें। बच्चों से बातचीत में आशावादी रहें। उनकी दिनचर्या में फिजिकल एक्टिविटी शामिल होनी चाहिए। यह बिंदु छोटे नहीं हैं। इनका अभिभावकों द्वारा परिपालन अत्यंत महत्वपूर्ण है। कोरोना काल में हमारे अनेक शिक्षक भी तनाव में हैं । एक नए शोध में यह बात सामने आई है कि मध्य विद्यालयों के 94 प्रतिशत शिक्षक उच्च स्तर के तनाव से ग्रस्त रहते हैं, जिसका विद्यार्थियों के परिणाम पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। शोध के निष्कर्ष में आगे कहा गया है कि प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के बीच तनाव का अध्ययन किए जाने पर यह बात सामने आई है कि शिक्षकों के तनाव में रहने का छात्रों के परिणाम पर नकारात्मक असर हो सकता है। हम अपने शिक्षकों को तनावमुक्त रखने के लिए क्या प्रयत्न कर रहे हैं, इस पर विचार होना चाहिए।

अमरीका में मिसौरी विश्वविद्यालय से शोध अध्ययनकर्ता कीथ हरमन ने कहा है कि हमारे निष्कर्षों से पता चलता है कि कई शिक्षकों को वह समर्थन नहीं मिल रहा है, जो उन्हें अपनी नौकरी के तनाव से पर्याप्त रूप से निपटने के लिए जरूरी है। इसे मान लें तो हमारे शिक्षकों को कोरोना तनाव से मुक्त रखना इस समय एक बड़ा प्रशासनिक और सामाजिक चैलेंज है। आम आदमी की बात करें तो कोरोना के देश में फिर से हावी होने से लोगों को इस वक्त परेशान करने वाली तीन मुख्य वजहें हैं। एक तो कोरोना वायरस से संक्रमित होने का डर, दूसरा नौकरी और कारोबार को लेकर अनिश्चितता और तीसरा लॉकडाउन के कारण अकेलापन होना। इस तनाव का असर शरीर, दिमाग, भावनाओं और व्यवहार पर पड़ता है। हर आदमी पर इसका अलग-अलग असर होता है। इससे निपटने के लिए मानसिक मजबूती का प्रयत्न महत्त्वपूर्ण है। परीक्षा के दौरान अभिभावक और शिक्षक भी उतने ही चिंतित और उत्सुक नज़र आते हैं जितने कि छात्र। उनकी चिंता का भी एक ही मुद्दा है कि मेरा बच्चा अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हो और यदि बच्चा अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हो जाता है तो इसका मतलब है कि माता-पिता और शिक्षक ने अपनी-अपनी जि़म्मेदारियां भली-भांति निभाई हैं।

इसमें अभिभावकों और शिक्षकों की बहुत बड़ी भूमिका है। बच्चे अक्सर अपने माता-पिता एवं शिक्षकों की उम्मीदों पर खरा उतरना चाहते हैं, लेकिन शिक्षकों और अभिभावकों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि उनकी उम्मीदों की वजह से बच्चे के दिमाग पर अनावश्यक दबाव न पड़े और ऐसे में उनका मानसिक तनाव न बढ़ जाए। परीक्षा के दौरान कुछ चीजों का विशेष रूप से ध्यान रखना बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है, ताकि छात्रों को परीक्षा की तैयारी करने में सहायता मिल सके। परीक्षा के दिनों में बच्चों के मन में तनाव का एक मुख्य कारण हरदम पढ़ाई की बात करना होता है। दरअसल, एक ओर बच्चे पहले ही पढ़ाई को लेकर चिंतित रहते हैं, वहीं दूसरी ओर घर का माहौल भी कुछ ऐसा होता है जिससे बच्चे का तनाव बढ़ता जाता है। इसलिए यह जरूरी है कि आप बच्चे से हरदम पढ़ाई की ही बात न करें, बल्कि उसके साथ थोड़ी देर टहलें या फिर खेलें। अन्य एक्टिविटी करने से बच्चे का मूड फ्रेश होता है, जिससे वह बेहतर तरीके से परफॉर्म करते हैं। अमूमन माता-पिता बच्चों से सिर्फ पढ़ाई की ही बात करते हैं, जिससे बच्चा परेशान हो जाता है। यकीनन इस समय बच्चों को अतिरिक्त पढ़ाई करने की जरूरत होती है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आप एक स्टडी प्लान बनाएं। मसलन, बच्चा पूरे दिन में कितनी देर पढ़ाई करेगा और उसे कितनी देर का ब्रेक लेना है। एक बार में वह कितने पार्ट को कवर करेगा, इन सबकी प्लानिंग पहले ही कर लें। इस तरह जब आप पहले से ही सारी प्लानिंग कर लेंगी तो इससे बच्चों का भी तनाव कम होगा। परीक्षा के दिनों में बच्चों का खान-पान भी काफी अहम होता है। इस दौरान बच्चों को अतिरिक्त भूख लगती है। लेकिन आप बच्चों को हैवी या तला हुआ फूड खिलाने की जगह थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ न कुछ खाने को दें। साथ ही लिक्विड की मात्रा अधिक रखें और उसे हेल्दी स्नैक्स जैसे रोस्टेड बादाम या मखाना आदि दें। इतना ही नहीं, उनका संतुलित खान-पान बच्चों के तनाव को दूर करता है। अगर बच्चा पढ़ाई को लेकर अतिरिक्त तनाव में है तो आप उसके साथ मिलकर कुछ रिलैक्सेशन एक्टिविटी कर सकते हैं।

    ईमेल : hellobhatiaji@gmail.com


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