समरसता के बिना स्वतंत्रता निरर्थक

By: Apr 15th, 2021 12:55 am

एचपीयू में बीआर अंबेडकर की जयंती पर एबीवीपी का वैचारिक चिंतन, व्यक्तित्व को किया नमन

सिटी रिपोर्टर-शिमला
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई द्वारा बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर की जयंती के उपलक्ष्य पर वैचारिक चिंतन कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें सुनील उपाध्याय एजुकेशनल ट्रस्ट के सचिव डा. सुरेंद्र शर्मा मुख्यातिथि के रूप में मौजूद रहे। इकाई अध्यक्ष विशाल सकलानी ने कहा कि 14 अप्रैल को बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की 130 वीं जयंती मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान भारत के स्वरूप को गढऩे में बाबा साहेब का स्वर्णिम योगदान रहा है । बाबा साहेब मानते थे कि प्रत्येक भारतीय की पहचान सबसे पहले एक भारतीय के रूप में है और राष्ट्र ही सर्वोपरि है। मुख्यातिथि डा. शर्मा ने बाबा साहेब को याद करते हुए उनके सामाजिक न्याय के सिद्धांत में कहा कि बाबा साहेब का कहना था कि जब तक समाज में महिला का आदर नहीं होगा, वास्तव में तब तक सामाजिक विकास अधूरा रहेगा, महिलाओं का विकास ही समाज का वास्तविक विकास है। उन्होंने कहा कि एबीवीपी का विचार परिवार पूर्णत: बाबा साहेब के विचारों का सम्मान करता है, और उनके दिखाई हुई दिशा पर चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज के समय में विडंबना हो गई है कि कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी अंबेडकर के उन विचारों पर ही अड़े रहते हैं जिन से वो राजनीतिक फायदे हो सके। बाबा साहेब हिंदुओं में भेदभाव का पुरजोर विरोध करते थे उन्होंने हमेशा ही हिंदुओं में भेदभाव, कुरीतियों, सामाजिक अन्याय को दूर करने का प्रयास किया, और सफल भी रहे।

लेकिन कभी किसी धर्म विशेष के विरोधी नहीं रहे । उन्होंने कहा कि भारत की एकता के लिए अभी भी बाबा साहेब जी के दिखाए हुए रास्ते पर चलने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब का विचार है कि समरसता के बिना स्वतंत्रता निरर्थक है। वैचारिक चिंतन में कार्यकर्ता मोनिका ने कहा कि वास्तव में समाज को समाज ही एक कर सकता है। सामाजिक भेदभाव को दूर करने का एकमात्र और सही तरीका समाज को शिक्षित कर समाज को भेदभाव मुक्त करना है। वैचारिक चिंतन में कर्मपाल, मंजीत ,मोनिका, विशाल ने वर्तमान संदर्भ में बाबा साहेब के विचारों की प्रासंगिकता और भूमिका के बारे में अपना अपना वक्तव्य रखा। आकाश ने कहा कि भविष्य का भारत शिक्षित युवाओं के कंधे पर ही निर्भर है, जो विचार और दिशा बाबा साहेब ने दिखाएं है, उन पर चलने की आवश्यकता है। परिषद द्वारा आयोजित इस वैचारिक चिंतन कार्यक्रम में विभिन्न छात्र, शोधार्थियों व शिक्षाविदों ने वर्तमान समय में विवेकानंद के विचारों की प्रासंगिकता, समरस भारत-श्रेष्ठ भारत व सामाजिक न्याय में अंबेडकर की भूमिका इन विषयों पर अपना वक्तव्य रखा।

विचारों की आज भी प्रासंगिकता
वैचारिक चिंतन में कर्मपाल, मंजीत ,मोनिका, विशाल ने वर्तमान संदर्भ में बाबा साहेब के विचारों की प्रासंगिकता और भूमिका के बारे में अपना अपना वक्तव्य रखा। मुख्यातिथि डा. शर्मा ने बाबा साहेब को याद करते हुए उनके सामाजिक न्याय के सिद्धांत में कहा कि बाबा साहेब का कहना था कि जब तक समाज में महिला का आदर नहीं होगा, वास्तव में तब तक सामाजिक विकास अधूरा रहेगा।


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