संगीत के बिना नई शिक्षा नीति सफल नहीं होगी

डा. राजेश चौहान

लेखक शिमला से हैं

सरकार को नई शिक्षा नीति में संगीत विषय को प्रमुखता से शामिल कर प्रदेश के सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ रहे विद्यार्थियों को उनका अधिकार प्रदान करना चाहिए। आधी-अधूरी नई शिक्षा नीति यदि लागू भी कर दी जाए तो उसके दूरगामी परिणाम अपेक्षा के विपरीत ही आएंगे। शिक्षा का अधिकार प्रत्येक नागरिक का अधिकार है। अच्छी और मनवांछित शिक्षा मुहैया करवाना सरकार का कत्र्तव्य है। शिक्षा विहीन मनुष्य पशु के समान होता है। यही कारण है कि केंद्र तथा राज्य सरकारें समय-समय पर शिक्षा पद्धति में बदलाव करवाती हैं…

हिमाचल प्रदेश सरकार आगामी सत्र से नई शिक्षा नीति लागू करने का दावा कर रही है। इस दिशा में राज्य सरकार शिक्षा विभाग को दिशा-निर्देश पहले ही जारी कर चुकी है। शिक्षा मंत्री विभाग के आला अधिकारियों के साथ इस संदर्भ में कई बैठकें भी कर चुके हैं। सरकार का दावा है कि यदि सब कुछ तैयार रणनीति के तहत चलता रहा तो नए सत्र से नई शिक्षा नीति प्रदेश में लागू कर दी जाएगी। भारत सरकार ने 21वीं शताब्दी के भारत की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय शिक्षा प्रणाली में बदलाव हेतु जिस नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को मंजूरी दी है, अगर उसका क्रियान्वयन सफल तरीके से होता है तो यह नई प्रणाली भारत को विश्व के अग्रणी देशों के समकक्ष ले आएगी। नई शिक्षा नीति-2020 के तहत 3 साल से 18 साल तक के बच्चों को शिक्षा का अधिकार कानून-2009 के अंतर्गत रखा गया है। 34 वर्षों के पश्चात आई इस नई शिक्षा नीति का उद्देश्य सभी छात्रों को उच्च शिक्षा प्रदान करना है जिसका लक्ष्य 2025 तक पूर्व-प्राथमिक शिक्षा (3-6 वर्ष की आयु सीमा) को सार्वभौमिक बनाना है। स्नातक शिक्षा में विभिन्न कलाएं, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, थ्री-डी मशीन, डेटा-विश्लेषण, जैवप्रौद्योगिकी आदि क्षेत्रों के समावेशन से अत्याधुनिक क्षेत्रों में भी कुशल पेशेवर तैयार होंगे और युवाओं की रोजग़ार क्षमता में वृद्धि होगी।

नई शिक्षा नीति में स्ट्रीम व्यवस्था समाप्त हो जाएगी। विद्यार्थी अपने मनपसंद विषयों को चुनने के लिए स्वतंत्र होगा। नई शिक्षा नीति शुरू हो जाने पर जीव विज्ञान का विद्यार्थी यदि भूगोल पढऩा चाहेगा हो तो वह पढ़ सकेगा। इसी तरह यदि भौतिक विज्ञान का विद्यार्थी संगीत विषय में रुचि रखता हो तो वह भौतिक विज्ञान के साथ संगीत विषय का ज्ञान भी प्राप्त कर सकेगा। नई शिक्षा नीति मनवांछित शिक्षा के अधिकार को साकार रूप प्रदान करती है जबकि पुरानी या वर्तमान शिक्षा नीति में यह स्वतंत्रता विद्यार्थियों को प्राप्त नहीं थी। हिमाचल प्रदेश सरकार नई शिक्षा नीति को जल्द से जल्द लागू करना चाहती है, लेकिन प्रश्न यह उठता है कि यदि कोई विद्यार्थी संगीत विषय में रुचि रखता है और वह नौवीं कक्षा में उसे पढऩे की इच्छा ज़ाहिर करता है, इस स्थिति में स्कूल में संगीत शिक्षक न होने के कारण वह विद्यार्थी संगीत की शिक्षा कैसे प्राप्त करेगा? यहां एक और प्रश्न यह उठता है कि क्या प्रदेश सरकार संगीत विषय के बिना ही नई शिक्षा नीति लागू करने जा रही है? हिमाचल प्रदेश में लगभग 2500 वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाएं हैं जिनमें से केवल 60-65 में ही संगीत विषय के शिक्षक मौजूद हैं।

यदि महाविद्यालयों की बात की जाए तो लगभग 50 फीसदी महाविद्यालयों में आज भी यह विषय नहीं पढ़ाया जा रहा है। नई शिक्षा नीति यदि संगीत विषय के बिना ही प्रदेश के विद्यालयों तथा महाविद्यालय में लागू कर दी जाएगी तो यह संगीत में रुचि रखने वाले हजारों-लाखों विद्यार्थियों के साथ अन्याय होगा। नई शिक्षा नीति में संगीत, शारीरिक शिक्षा आदि व्यावसायिक विषयों की शिक्षा पर विशेष जोर दिया गया है। देश के प्रधानमंत्री भी कई बार इन विषयों की महत्ता पर बातचीत कर चुके हैं। यही नहीं, वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र में संगीत विषय को स्कूलों में शुरू करने की बात भी लिखी गई थी, लेकिन अभी तक इस वादे को सरकार ने पूरा नहीं किया है। हिमाचल प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में अधिकतर ग्रामीण तथा गरीब घरों के बच्चे ही शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। ऐसे में इन बच्चों के समग्र विकास हेतु संगीत विषय की शिक्षा मुहैया करवाना सरकार की जिम्मेदारी बनती है। सरकार को नई शिक्षा नीति में संगीत विषय को प्रमुखता से शामिल कर प्रदेश के सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ रहे विद्यार्थियों को उनका अधिकार प्रदान करना चाहिए। आधी-अधूरी नई शिक्षा नीति यदि लागू भी कर दी जाए तो उसके दूरगामी परिणाम अपेक्षा के विपरीत ही आएंगे। शिक्षा का अधिकार प्रत्येक नागरिक का अधिकार है। अच्छी और मनवांछित शिक्षा मुहैया करवाना सरकार का कत्र्तव्य है। शिक्षा विहीन मनुष्य पशु के समान होता है। यही कारण है कि केंद्र तथा राज्य सरकारें समय-समय पर शिक्षा पद्धति में बदलाव करवाती हैं। नई शिक्षा नीति निश्चित रूप से आत्मनिर्भर सशक्त भारत की परिकल्पना है। भारत के लाखों-करोड़ों विद्यार्थियों, शिक्षकों, अभिभावकों और विद्वानों से प्राप्त सुझावों पर गहन मंथन करने के उपरांत ही नई शिक्षा नीति का मसौदा तैयार किया गया था।

नई शिक्षा नीति जहां भारत की प्राचीन गौरवमयी संस्कृति का प्रसार करेगी, वहीं 21वीं सदी की वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत के युवाओं को तैयार करेगी। यह शिक्षा नीति हमारे संविधान में वर्णित मनवांछित शिक्षा के अधिकार को भी परिलक्षित करती है। नई शिक्षा नीति जहां नन्हें बालकों का शारीरिक तथा मानसिक बोझ कम करेगी, वहीं उच्च स्तर पर अनुसंधानात्मक शिक्षण को बढ़ावा देगी। इसमें किंचित मात्र भी संशय नहीं है कि नई शिक्षा नीति आत्मनिर्भर और सशक्त नए भारत का निर्माण करेगी, परंतु ऐसा तभी संभव है यदि सरकार इसे पूर्ण रूप से बिना किसी खामी-कमी के लागू करे। एक बार फिर से वही प्रश्न मेरे ज़हन में उठ रहा है कि क्या हिमाचल प्रदेश में नई शिक्षा नीति संगीत विषय के बिना ही लागू कर दी जाएगी? भारतीय पुरातन संस्कृति में यदि प्रत्येक नए कार्य का शुभारंभ संगीत (प्रार्थना, सरस्वती वंदना या देव आराधना) से होता आ रहा है तो प्रदेश में नई शिक्षा नीति संगीत के बिना क्यों लागू हो?


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