शिमला-कालका रेलमार्ग पर छुक-छुक चला स्टीम इजंन

By: Apr 20th, 2021 12:18 am

विश्व धरोहर दिवस के मौके पर शिमला में चला स्टीम इंजन, लोगों के लिए रहा आकर्षण का केंद्र

नगर संवाददाता-शिमला
राजधानी शिमला में रविवार को विश्व धरोहर दिवस के मौके पर शिमला रेलवे स्टेशन से पुराने रेलवे स्टेशन के बीच स्टीम इंजन चलाया गया। शिमला में चलाया गया स्टीम इंजन हर किसी के लिए आकर्षण का केंद्र रहा। यह स्टीम इजंन आज भी पूरी तरह से कोयले से उठने वाले भाप से चलता है। जो देखने में भी काफी अच्छा लगता है। यह अंग्रेजी शासनकाल के दौरान का है जो आज भी अपनी पहचान बनाए हुए है। आज भी स्टीम इंजन में सफर करना सैलानियों को भी खूब भाता है। इस स्टीम इंजन के चलने से पहले रेलवे इंजीनियर ने इसका निरीक्षण किया। काफी लंबे अंतराल के बाद इस ट्रैक पर इंजन चलाया गया। इसे लेकर ट्रैक पर रेत डाली गई। स्टीम इंजन के साथ एक डिब्बा जोड़ा गया, जिसमें रेलवे के अधिकारी और इंजीनियरों ने भी सफर किया। गर्मियों में रेलवे पर्यटकों के आकर्षित करने के लिए स्टीम इंजन को कैथलीघाट से शिमला के बीच चलाता था, लेकिन इस बार रेलवे स्टेशन से ओल्ड रेलवे स्टेशन के बीच ही चलाया गया। गौर रहें कि कालका-शिमला रेललाइन को 2008 में यूनेस्को की विश्व धरोहर घोषित किया था। बता दे कि विश्व धरोहर में शामिल ऐतिहासिक कालका-शिमला रेलवे मार्ग 118 साल का हो गया है।

नौ नवंबर, 1903 को कालका-शिमला रेलमार्ग की शुरुआत हुई थी। अपने 118 वर्षों के सफर में यह रेलमार्ग कई इतिहास संजोए है। यह रेलमार्ग उत्तर रेलवे के अंबाला डिवीजन में आता है। देश-विदेश के सैलानी शिमला के लिए इसी रेलमार्ग से टॉय ट्रेन में सफर का लुत्फ उठाते हैं। 1896 में इस रेल मार्ग को बनाने का कार्य दिल्ली-अंबाला कंपनी को सौंपा गया था। 1921 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी इस मार्ग से यात्रा की थी। इसके अलावा कालका-शिमला रेललाइन पर 103 सुरंगें सफर को रोमांचक बनाती हैं। बड़ोग रेलवे स्टेशन पर 33 नंबर बड़ोग सुरंग सबसे लंबी है। इसकी लंबाई 1143.61 मीटर है। सुरंग क्रॉस करने में टॉय ट्रेन अढ़ाई मिनट का समय लेती है। रेलमार्ग पर 869 छोटे-बड़े पुल हैं। पूरे रेलमार्ग पर 919 घुमाव आते हैं। तीखे मोड़ों पर ट्रेन 48 डिग्री के कोण पर घूमती है। कालका-शिमला रेलमार्ग नेरोगेज लाइन है। इसमें पटरी की चौड़ाई दो फीट छह इंच है। अहम है कि कालका-शिमला रेललाइन के ऐतिहासिक महत्त्व को देखते हुए यूनेस्को ने जुलाई 2008 में इसे वर्लड हेरिटेज में शामिल किया था। कनोह रेलवे स्टेशन पर ऐतिहासिक आर्च गैलरी पुल 1898 में बना था। शिमला जाते यह पुल 64.76 किमी पर मौजूद है। आर्च शैली में निर्मित चार मंजिला पुल में 34 मेहराबें हैं।

बाबा भलकू के सहयोग से पूरी हुई थी सुरंग
कालका से 41 किमी दूर बड़ोग रेलवे स्टेशन के पास बड़ोग सुरंग है, जिसे सुरंग नंबर 33 भी कहते हैं। 1143.61 मीटर लंबी सीधी सुरंग है। इसे बनाते हुए जब दोनों सिरे नहीं मिले थे तो ब्रिटिश इंजीनियर कर्नल बड़ोग ने एक रुपया जुर्माना लगने के कारण आत्महत्या कर ली थी। बाद में बाबा भलकू के सहयोग से यह सुरंग पूरी हुई थी।


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