बंद कमरे में बैठक कर चले गए सीएम

By: May 6th, 2021 12:55 am

दिव्य हिमाचल ब्यूरो- चंबा
हिमाचल प्रदेश मुख्यमंत्री का चंबा दौरा महज एक राजनीति स्टंट से अधिक और कुछ नहीं था। जिला चंबा में कोविड-19 की समीक्षा बैठक को इस कदर हाइलाइट किया जैसे कि इस बैठक से ही तमाम अभावों को दूर कर दिया जाएगा, लेकिन अफसोस की बात है कि कोविड की यह अहम बैठक केवल औपचारिकता बैठक से अधिक फलतीफूलती नजर नहीं आई। वहीं, बैठक में विपक्ष को आमंत्रित करना तक गवारा नहीं समझा गया। इससे मौजूदा सरकार की मतभेद की मानसिकता स्पष्ट रूप से झलकती है। यह आरोप जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष नीरज नैय्यर ने जारी एक ब्यान में लगाए है। डीसीसी अध्यक्ष चंबा नीरज नैय्यर ने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर राजधानी शिमला से भी वीसी माध्यम कोविड की समीक्षा बैठक कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा न करते हुए इस बैठक को राजनीतिक रंग देने में कोई कसर जहां शेष नहीं छोड़ी। जिला चंबा पहुंचने पर जहां मुख्यमंत्री के स्वागत में जिला के तमाम विधायक, पार्टी पदाधिकारी से लेकर जिला प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी एवं कर्मचारी की फौज उपस्थित रही। इससे कोरोना महामारी रोकथाम के लिए जारी दिशा-निर्देशों एवं हिदायतों की भी खिली उडऩे में कोई कसर शेष नहीं रही।

जबकि पारदर्शिता की हर पल बात करने वाले मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कोरोना महामारी की अहम बैठक में मीडिया तक को शामिल नहीं किया। इसमें एक तो वह कोरोना महामारी के लिए लगाए प्रतिबंधों को उजागर व दूसरा जिला में मौजूद कमियों व सरकार द्वारा जिला चंबा में चल रहे अभावों को उजागर होने से भय से बंद कमरें में ही बैठक कर चलते बने। इस बीच मुख्यमंत्री ने मीडिया के समक्ष अपनी मन बात तो जरूर रखी, लेकिन मीडिया द्वारा कोरोना के तहत मौजूदा हालातों की बात व दूसरों की मन बात सुनना गवारा नहीं समझा। इससे यह लगता है कि मुख्यमंत्री चंबा जिला में कोविड की बैठक करना नहीं बल्कि पार्टी के दिग्गज नेता पूर्व आयुर्वेदिक मंत्री मोहन लाल व भाजना के पूर्व जिला अध्यक्ष योगराज शर्मा के निधन पर उनके आवासों पर शोक व्यक्त करने उद्देश्य से ही चंबा जिला के दौरे पर पहुंचे। जबकि आगामी समय में मंडी संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव के चलते वह इस दौरे से जिला चंबा के भरमौर व पांगी के मतदाताओं के दिलों में सहानुभूति का संदेश देकर वोट बैंक की राजनीति भी कर गए, ताकि एमपी चुनाव के दौरान इस दौरे के द्वारा लोगों से मत हासिल कर भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करवा सकें। वहीं, उन्होंने चंबा जिला आकर अपने गृह जिला के थुनाग क्षेत्र को करोड़ों रुपए के विकास कार्यों के आधारशिलाएं रख कर जिला चंबा की जनता की भावना एवं उम्मीदों से भी खिलवाड़ करने में कोई कसर शेष नहीं छोड़ी। डीसीसी अध्यक्ष चंबा नैय्यर ने कहा कि जिला चंबा के पांच विस क्षेत्रों में चार क्षेत्रों में भाजपा नेतृत्व के विधायकों को कोविड समीक्षा बैठक में बुलाया गया।

जबकि विपक्ष से डलहौजी विस क्षेत्र से जीती एक मात्र कांग्रेस पार्टी के विधायक आशा कुमारी को बैठक में नहीं बुलाया गया। इससे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की मानसिकता पूर्ण रूप से झलकती है कि वह इस महामारी के दौर में भी सबको एक लेकर चलने की बजाय एकल राजनीति पर विश्वास करते है। जबकि कोरोना महामारी के दौर में सतारूढ़ व विपक्ष को एक साथ मिलकर भूमिका निर्वाह कर आम जनता को इस महामारी से बचाने का प्रयास किया जाता, लेकिन मुख्यमंत्री ने ऐसा कदम उठाना जरूरी नहीं समझा। जिला चंबा के मेडिकल कालेज में स्वीकृत 207 चिकित्सकों के स्थान पर महज मुठीभर चिकित्सक यानि 97 चिकित्सक ही सेवाएं दे रहे है। जबकि मुख्यमंत्री ने चिकित्सकों की भर्ती या चंबा जिला में अतिरिक्त चिकित्सकों की तैनाती की बजायए ऑक्सीजन प्लांट चंबा, कांगड़ा में शुरू करने, आउटसोर्स माध्यम नर्सों, डाटा आपरेटरों, चतुर्थ श्रेणी कर्मिचारियों की बात रखी। जिला चंबा में दो अतिरिक्त बेड कोरोना रोगियों के लिए स्थापित करने बात का विपक्ष स्वागत करता है, लेकिन मुख्यमंत्री इस बात का जवाब दे कि बिना चिकित्सकों के कैसे कोरोना रोगियों को उपचार संभव हो पाएगा।

हालांकि मौजूदा समय में 97 चिकित्सक स्टाफ में सहायक प्रो. चिकित्सक तक ड्यूटी कोविड के तहत लगाने पर भी जिला में स्थापित कोविड केयर सेंटर में चिकित्सकों की कमी पूर्ण नहीं हो रही है। वहीं, मेडिकल कालेज चंबा में ह्दय रोग विशेषज्ञ, वेंटीलेटर सिस्टम की कमी सबसे अधिक है, लेकिन इस समस्या के समाधान के लिए आयोजित कोविड बैठक में कोई निर्णय नहीं लिया जा सका। ऐसे में कोविड की बैठक कर केवल औपचारिकता को ही मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पूर्ण किया है जो हस्यपद है। डीसीसी, अध्यक्ष चंबा नीरज नैय्यर ने राज्य सरकार विशेषकर मुख्यमंत्री से जिला की जनता के लिए मांग करते हुए कहा कि जिला में सर्वप्रथम मेडिकल कालेज एवं चिकित्सालय में स्वीकृत चिकित्सकोंं के पदों को पूर्ण किया जाए। हिमाचल प्रदेश राज्य में केवल जिला चंबा का पंडित जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कालेज ऐसा है जहां लंबे अर्से से चिकित्सकों का अभाव खल रहा है। जबकि कोरोना काल में जिला चंबा में दिन व दिन बिगड़ रहे हालातों के तहत चिकित्सकों की बेहद आवश्यकता है।


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