मानवीय दृष्टिकोण व परीक्षा की घड़ी

भारत में बनाई गई कई दवाएं पूरी दुनिया में जाती हैं और लोगों की जान बचाती हैं। कोरोना के खिलाफ बने टीके को हमने उन देशों तक पहुंचाया जहां उस समय इस मदद की अधिक जरूरत थी। यह भारत का मानवीय पहलु है। केंद्र सरकार ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए और मांग के मध्यनजर रूस की वैक्सीन स्पुतनिक को तुरंत अनुमति प्रदान की है और दुनिया भर की नई वैक्सीन को भारत में लाने का प्रयास बढ़ा दिया है…

पिछले साल मार्च महीने में कोविड-19 की भारत में दस्तक के साथ ही केंद्र सरकार और अन्य सरकारों ने सभी आवश्यक कदम उठाए। आमजन ने भी सरकार का सहयोग किया और सभी दिशा-निर्देशों का दृढ़ता से लंबे समय तक पालन किया। विश्व के दूसरे देशों के अनुभव से सीखते हुए भारत ने पूरे देश में स्वास्थ्य संसाधनों की कमी के बावजूद इस महामारी से मुकाबला किया और साल के अंत तक हमने कोरोना महामारी से इस लड़ाई में पूरी दुनिया के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया। यह दुःख की बात है कि हमने समाज और व्यक्तिगत स्तर पर ढिलाई दिखाई और कोरोना की दूसरी लहर ने हमारी व्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित कर दिया। इसके कारण आज बहुत से राज्यों और शहरों में स्थिति नियंत्रण से बाहर होती दिख रही है। संकट की इस घड़ी में परस्पर सहयोग, धैर्य और समाज के प्रति कर्त्तव्य की भावना से हम महामारी पर पुनः विजय पा सकते हैं। जरूरत है तो एकजुटता, सतर्कता, जागरूकता, समझदारी व सहयोग की।

 यह वह समय है जब केवल हम हर आपात स्थिति के लिए केवल केंद्र सरकार की तरफ नहीं देख सकते। प्रदेश सरकारों का परस्पर सहयोगात्मक रवैया व केंद्र के साथ समन्वय इस समय सबसे बड़ी आवश्यकता है। हमें जीवन और आजीविका दोनों को बचाना है और इसके लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। हमें स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करते हुए अपने कोरोना योद्धाओं का मनोबल बढ़ाना है। आज हमें जहां एक ओर पर्याप्त आक्सीजन की व्यवस्था करने, बिस्तरों की संख्या बढ़ाने, स्वास्थ्य नेटवर्क को और सुदृढ़ करने, दवाइयों व अधोसंरचना विकास को मजबूत करना है वहीं कोरोना वैक्सीन के टीकाकरण को भी बढ़ावा देना है। कोविड-19 महामारी में टीकाकरण ने उम्मीद के एक नए युग की शुरुआत की है। यह हमारा सौभाग्य है कि हमने कोरोना वायरस से बचाव के लिए टीका तैयार किया है। इससे बढ़कर यह खुशी की बात है कि ये भारतीय नागरिकों की उपलब्धि है जो सीरम इंस्टीट्च्यूट ऑफ  इंडिया और भारत बायोटेक से जुड़े हैं। ये संस्थान दुनिया भर में पहले भी अपनी उपलब्धियों के लिए नंबर एक पर थे और अब कोरोना महामारी का टीका बनाकर अपने स्थान को बरकरार रखा है। माननीय प्रधानमंत्री जी ने राज्य सरकारों के साथ मिलकर दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की शुरुआत की, जिसे विश्व स्तर पर सराहा गया। यह अभियान सुचारू रूप से चल रहा है।

 हमारे देश में सीमित संसाधनों के बाद भी विज्ञान और तकनीक का आधार बहुत मजबूत है। देश की फार्मा इंडस्ट्री को फार्मेसी ऑफ  द वर्ल्ड कहा जाता है। भारत में बनाई गई कई दवाएं पूरी दुनिया में जाती हैं और लोगों की जान बचाती हैं। कोरोना के खिलाफ बने टीके को हमने उन देशों तक पहुंचाया जहां उस समय इस मदद की अधिक जरूरत थी। यह भारत का मानवीय पहलु है। केंद्र सरकार ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए और मांग के मध्यनजर रूस की वैक्सीन स्पुतनिक को तुरंत अनुमति प्रदान की है और दुनिया भर की नई वैक्सीन को भारत में लाने का प्रयास बढ़ा दिया है। डा. रेड्डीज प्रयोगशालाओं को भारत में इस टीके को वितरित करने के लिए अधिकृत किया गया है। डा. रेड्डीज प्रयोगशालाओं को पहले चरण में इस टीके की 1,50,000 खुराक मिली है। इतना ही नहीं केंद्र सरकार ने नियमबद्धता से 50 फीसदी वैक्सीन निजी अस्पतालों में देने और राज्य सरकारों को सीधे तौर पर खरीद करने की अनुमति प्रदान की ताकि लोगों को जल्दी वैक्सीन उपलब्ध हो सके। साथ ही, केंद्र ने अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए 70 करोड़ लोगों को वैक्सीनेशन का कार्य पूरा करने के लिए खुराक की मात्रा बढ़ाने के लिए दवा निर्माता कंपनियों और निजी संस्थानों के साथ मिलकर सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम, जो वैक्सीन तैयार करते हैं, को अधोसंरचना खड़ा करने के लिए प्रोत्साहन दिया। उन्हें अग्रिम राशि प्रदान की गई ताकि छह माह के भीतर हर व्यक्ति को वैक्सीन मिल सके।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार केंद्र सरकार ने अब तक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को लगभग 17.02 करोड़ वैक्सीन की खुराक निःशुल्क प्रदान की हैं। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पास अब भी 94.47 लाख से अधिक कोविड वैक्सीन की खुराक मौजूद हैं, जिन्हें लगाया जाना है। इसके अलावा 36 लाख से अधिक की अतिरिक्त खुराक अगले तीन दिनों में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जारी कर दी जाएगी। देश भर के 12 राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों में 18 से 44 साल आयु समूह के 4,06,339 लोगों को टीके की पहली खुराक दी जा चुकी है। इसके साथ 45 से 60 वर्ष की आयु के पहली खुराक लेने वाले 5,30,50,669 और दूसरी खुराक लेने वाले 41,42,786 लाभार्थियों के साथ-साथ 5,28,16,238 पहली खुराक लेने वाले और 1,19,98,443 दूसरी खुराक लेने 60 वर्ष की आयु से ज्यादा के लाभार्थी भी शामिल हैं। केंद्र सरकार ने कोविशिल वैक्सीन की 11 करोड़ खुराक विकसित करने के लिए सीरम इंस्टीच्यूट ऑफ इंडिया को 1,700 करोड़ रुपए की राशि और 5 करोड़ कोवैक्सीन के लिए 772.5 करोड़ रुपए भारत बायोटेक को भुगतान किया, जिन्हें मई, जून और जुलाई के दौरान वितरण किया जाएगा। जुलाई माह तक व्यापक टीकाकरण से स्थिति बेहतर हो जाएगी। जरूरत है हिम्मत, आत्मविश्वास और आध्यात्मिक भावना की, जिसके सहारे हम लंबे समय तक कोरोना महामारी के खिलाफ संघर्ष कर सकते हैं।

बंडारू दत्तात्रेय

राज्यपाल हि.प्र.


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