साक्षी गोपाल मंदिर

By: May 15th, 2021 12:22 am

हिंदू धर्म में मंदिरों का बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान है। इन मंदिरों में ओडिशा प्रांत के प्रसिद्ध शहर पुरी के नजदीक बने साक्षी गोपाल मंदिर का नाम भी उल्लेखनीय है। यह मंदिर ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से लगभग 50 किमी. तथा जगन्नाथ पुरी से 15 किमी. की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर के बारे में यह धारणा प्रचलित है कि जो श्रद्धालु पुरी में जगन्नाथ जी के दर्शन करने के लिए आएगा उसकी यात्रा तब ही संपूर्ण होगी यदि वह इस (साक्षी गोपाल) मंदिर के भी दर्शन करेगा। इस मंदिर के साथ जुड़ी कथा भी बहुत रोचक है। कहा जाता है कि एक धनवान ब्राह्मण आयु के अंतिम पड़ाव में तीर्थ यात्रा करने के लिए वृंदावन की ओर चला, तो उस के साथ एक गरीब ब्राह्मण लड़का भी चल पड़ा। उस समय तीर्थ यात्राएं पैदल ही हुआ करती थी। खाने-पीने की व्यवस्था भी आप ही करनी पड़ती थी। यात्रा के दौरान उस गरीब लड़के ने उस बुर्जुग ब्राह्मण की बहुत अच्छी देखभाल की।

इस सेवा से खुश होकर वृंदावन के गोपाल मंदिर में उस ब्राह्मण ने अपनी कन्या का रिश्ता उस गरीब लड़के से पक्का कर दिया तथा वापस जा कर इसे पूरा करने का वचन दिया। लंबे समय के बाद जब वह दोनों पुरी आए, तो लड़के ने उस ब्राह्मण को भगवान गोपाल जी के सामने किया वादा याद करवाया। ब्राह्मण ने जब यह बात अपने घर-परिवार में की, तो उसके बेटे इस रिश्ते के लिए सहमत न हुए, बल्कि इस मुद्दे को लेकर ब्राह्मण के परिवार वालों ने उस गरीब लड़के की बहुत बेइज्जती की। इस बेइज्जती तथा वादा खिलाफी से दुखी हो कर वह लड़का पचांयत के पास गया, तो पंचों की ओर से इस बात का सबूत मांगा गया। लड़के ने कहा कि विवाह के वादे के समय गोपाल (भगवान) जी भी उपस्थित थे। गरीब लड़के की इस बात से पंचों की ओर से उसकी खिल्ली उड़ाई गई। अपने सच को साबित करने के लिए वह लड़का फिर वृदावन पहुंच गया। यहां पहुंच कर उसने भगवान गोपाल जी से अपनी पूरी दर्द कहानी सुनाई तथा हाथ जोड़कर विनती की कि अब आप ही मेरे साथ जाकर पंचायत को सारी बात समझा सकते हैं। उस लड़के के दृढ़ विश्वास को देख कर गोपाल जी बहुत प्रसन्न हुए तथा उसके साक्षी (गवाह) बनने के लिए तैयार हो गए।

भगवान जी ने कहा कि मैं तुम्हारे पीछे-पीछे आऊंगा तथा मेरे घुंघरुओं की झंकार तुम्हारे कानों में पड़ती रहेगी। तुम मेरे आगे-आगे चलते रहना पीछे नहीं देखना। यदि तुमने पीछे देखा, तो मैं वहीं स्थिर हो जाऊंगा। लड़का मान गया तथा दोनों पुरी की ओर चल पड़े। चलते-चलते जब वह अट्टक के नजदीकी गांव पुलअलसा के पास पहुंचे, तो रेतीला रास्ता आरंभ हो गया। रेतीले रास्ते के कारण घुंघरुओं की आवाज बंद हो गई तथा वह लड़का पीछे की ओर देखने लगा। देखते ही गोपाल जी स्थिर हो गए। अपने साक्षी (भगवान) की स्थिरता को देखकर वह लड़का परेशान हो गया पर भगवान जी ने उस लड़के को कहा कि तू परेशान न हो, बल्कि जा कर पंचायत को यहां ही ले आओ। वह गरीब लड़का गया और पंचायत को वहां ले आया जहां गोपाल जी खड़े थे। पंचायत के आने पर गोपाल जी ने वह सारी बात दोहरा दी, जो धनवान ब्राह्मण ने उस गरीब लड़के से उनकी उपस्थिति में की थी। भगवान गोपाल जी के साक्षी (गवाह) बनने से उस गरीब लड़के का विवाह उस ब्राह्मण की लड़की के साथ हो गया तथा भगवान जी वहीं समा गए। उनकी याद में बना साक्षी गोपाल मंदिर इस निश्चय को पक्का करता है कि जो भक्त भगवान पर भरोसा रखते हैं, भगवान हर संकट में उनका साथ देते हैं।


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