बाहरी मजदूरों को कौन लगाएगा टीका

By: May 25th, 2021 12:01 am

प्रदेश के निर्माण कार्यों में अहम योगदान देने वाली लेबर कोरोना टीकाकरण से महरूम

स्टाफ रिपोर्टर-गगरेट
ये वो जमात है अगर ये न हो तो हिमाचल प्रदेश में तमाम निर्माण कार्य ठप पड़ जाएं। प्रदेश के खेत-खलियान बंजर नजर आने लगें। कई ठेकेदारों को काम करवाने के लिए लेबर न मिले तो जिंदगी थमी-थमी सी नजर आए। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस में जिस वैक्सीन को मजबूत हथियार बताया जा रहा है, वह वैक्सीन प्रदेश में रह रहे हजारों बाहरी राज्यों के मजदूर परिवारों को कब नसीब होगी, इसका कुछ पता नहीं। भले ही प्रदेश में अब 18 साल पार वालों को भी वैक्सीन की डोज मिलनी शुरू हो गई है। लेकिन इन मजदूर परिवारों के 18 साल पार वालों की बात तो छोडि़ए बल्कि 45 पार वाले कई मजदूर भी अभी तक वैक्सीन से मरहूम हैं।

जाहिर है कि ये मजदूर परिवार अक्षर ज्ञान से कोसों दूर हैं। इन्हें पता ही नहीं है कि वैक्सीन क्या बला है। इन्हें तो बस इतना पता है कि मजदूरी मिल जाए, ताकि परिवार का पेट पाल सकें। इनमें से कई तो ऐसे हैं जिनके पास जरूरी दस्तावेज तक नहीं हैं जिन्हें दिखाकर ये अपना पंजीकरण वैक्सीन के लिए करवा सकें। सोमभद्रा नदी के किनारे प्रवासी मजदूरों की बस्ती में रहने वाले उपेंद्र का कहना है कि सुबह पौ फटते ही सभी मजदूर मजदूरी के लिए निकल जाते हैं ऐसे में पता ही नहीं चलता कहां टीका लगना है और कैसे लगना है। इसी बस्ती के रविंद्र कुमार कहते हैं कि उनके पास तो स्मार्टफोन भी नहीं है। फिर स्लॉट कैसे बुक करवा पाएंगे। अभी बड़े लोगों को टीके लग रहे हैं। जब सरकार हमारे बारे में सोचेगी तब लगवा लेंगे।


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