जंगली फल-सब्जियां बनीं मददगार

By: May 31st, 2021 12:02 am

निजी संवाददाता- यशवंतनगर
कोरोना कफ्र्यू काल के दौरान जहां शहरों में लोग घरों में दुबके बैठे हैं, वहीं राजगढ़ के ग्रामीण परिवेश में लोग जंगली फलों व सब्जियों का इन दिनों भरपूर आनंद उठा रहे हैं। बता दें कि राजगढ़ तथा सीमा पर लगते शिमला जिला के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इन दिनों काफल फल पक कर तैयार हो गया है। विशेषकर हाब्बन, पालू, फागू, चंबीधार, ठंडीधार इत्यादि गांव के लोग जंगलों में काफल को चुनने में व्यस्त हैं। काफल के पेड़ काफी ऊंचे होते हैं, परंतु लोग अपनी जान को जोखिम में डालकर काफल का एक-एक दाना बड़े चाव से चुनकर बैग में भरकर घर लाते हैं। अनेक गांव में काफल लोगों की आजीविका का भी साधन बन चुका है और मार्केट में काफी को लोग बड़े चाव के साथ खरीदते हैं।

वरिष्ठ नागरिक प्रीतम ठाकुर व अतर सिंह ठाकुर का कहना है कि काफल एक जंगली फल है जो कि सभी औषधीय गुणों से भरपूर है। यह फल हिमाचल प्रदेश सहित हिमालय के अन्य क्षेत्रों में जंगली तौर पर पाए जाने वाला एक सदाबहार पेड़ हैं जो कि कई औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में बहुत सहायक होता है। इनका कहना है कि काफल के पेड़ 1000 से 2000 मीटर की ऊंचाई में पाए जाते हैं। यह फल रस से भरपूर होता है तथा इसका स्वाद खट्टा-मीठा होता है। नेशनल मेडिसिनल प्लांट बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशक, क्षेत्रीय एवं सुगमता केंद्र उत्तर भारत स्थित जोगिंद्रनगर के विशेषज्ञ का कहना है कि काफल जंगल में पाए जाने वाला एक विशेष मौसमी फल है। औषधीय गुणों से भरपूर यह फल शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करता है। इस फल के सेवन से कई तरह की बीमारियों से बचाव होता है।


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