200 ग्रामीण मेले निगल गया कोरोना

By: Jun 16th, 2021 12:23 am

कुल्लू के हर गांव में दिखती थी रौनक, मेले के नाम पर निभाई जा रही सिर्फ रस्में

हीरा लाल ठाकुर — भुंतर
जानलेवा कोरोना देवभूमि कुल्लू के 200 से अधिक ग्रामीण मेलों को इस बार भी चट कर गया है। मार्च से जून तक जिला के जिन गांवों में मेलों के नाम पर रौनक दिखती थी, वहां केवल सन्नाटा नजर आया है। इन ग्रामीण मेलों में मेहमानवाजी के कारण किसानों की सब्जियों की जो डिमांड रहती थी, उस पर भी इनके आयोजन न होने से ग्रहण लग गया। लिहाजा, कोरोना लोगों की जान लेने के साथ कई परंपराओं को तोडऩे और किसानों का निवाला भी छीनने में लगा है। जिला के देवसमाज के जानकारों की मानें तो कोरोना ने मार्च और अप्रैल माह में बीरशू मेलों को सबसे पहले निशाने पर लिया। जिला की रूपी-पार्वती घाटी सहित करीब दो दर्जन से अधिक मेले इसकी चपेट में आए। इसके बाद बैशाख माह में देवताओं द्वारा शक्तियां अर्जित करने के लिए मनाया जाने वाला बिठ व बैसाख मेला कोरोना ने निगला। मई माह में जिला के मनाली से निरमंड तक हर कस्बे और हर घाटी में बड़े मेले आयोजित होते हैं, ढुंगरी मेला, पिपल जातर, सैंज मेला, बंजार मेला इसमें प्रमुख तौर पर शामिल है। इन्हें भी कोरोना ने नहीं होने दिया। जून में भुंतर मेला, कसोल समर फेस्टिवल, उझी घाटी का काहिका उत्सव मुख्य रहता था जो कोरोना ने नहीं होना दिया।

इन मेलों की सबसे बड़ी खूबी इनमें होने वाली मेहमानवाजी होती है, जो जिला के किसानों की दो वक्त की रोटी के जुगाड़ का भी जरिया है। मार्च में जिला की हरी सब्जियां मार्केट में निकलनी आरंभ हो जाती है। हर ग्रामीण मेले को आसपास के 250 से 300 परिवार के लिए मनाते हैं। मार्केट विशेषज्ञों की मानें तो मेले का मेजबान हर परिवार कम से कम 3000 से चार हजार रुपए की सब्जियां मेहमानों की खातिरबाजी के लिए खरीदता है। अगर 200 मेलों का आंकड़ा जोड़े तो 20 से 25 करोड़ की सब्जियों की डिमांड इन मेलों के जरिए ही किसानों की पूरी होती है। मेलों के नाम पर सिर्फ रस्में निभाई जा रही हैं। देवी-देवता कारदार संघ के प्रधान जयचंद के अनुसार ग्रामीण मेलों को देवताओं के सम्मान में मनाया जाता है और हर देवता के सैकड़ों हारियान इसकी मेजबानी करते हैं। मार्केट विशेषज्ञ व जिला व स्नोर वैली आढ़ती संघ के प्रधान खुशहाल ठाकुर कहते हैं कि एक मेले में ही पांच से दस लाख रुपए तक की सब्जियों की डिमांड पूरी होती है, लेकिन पिछले साल के बाद इस बार भी इस कारण नुकसान हुआ है। बहरहाल, जानलेवा कोरोना कुल्लू जिला के सैकड़ों ग्रामीण मेलों को ग्रहण लगाकर किसानों का निवाला छीन रहा है।


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