सेना में हिमाचल का डंका

By: Jun 14th, 2021 12:05 am

ठानपुरी के शुभम ने चमकाया नाम

सिटी रिपोर्टर — धर्मशाला
इंडियन मिलिट्री एकैडमी देहरादून में रविवार को हुई पासिंग परेड में सेना को मिले नए अफसरों में वीरभूमि हिमाचल के कई वीर मातृभूमि की सेवा करने के लिए लेफ्टिनेंट बन कर निकले हैं। इनमें से एक नगरोटा बगंवा के गांव ठानपुरी के शुभम वालिया ने भी लेफ्टिनेंट बनकर अपने क्षेत्र का नाम रोशन किया है। देशसेवा करने के लिए लेफ्टिनेंट बने शुभव वालिया ने अपने गांव के साथ-साथ हिमाचल का नाम भी रोशन किया है। इनके पिता मनोज वालिया भी इंडियन आर्मी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। पिता से प्रेरणा लेकर शुभम ने इंडियन आर्मी में शामिल होने का दृढ़ निश्चय किया था। शुभम वालिया की आरंभिक शिक्षा माउंट कार्मल स्कूल ठाकुरद्वारा से हुई है, जबकि उसके बाद 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई उन्होंने आर्मी स्कूल सुजानपुर से हासिल की है। इसके बाद वह एनडीए में उन्हें प्रवेश मिला। अब उनकी तैनाती 16 कमाउं रेजिमेंट मणिपुर के लिए हुई है।

परागपुर के आदित्य का सपना पूरा

टीम— गरली, परागपुर, गगरेट
अगर मेहनत, लग्न व निष्ठा से कार्य किया जाए, तो मुश्किल से मुश्किल मंजिल भी फतह की जा सकती है। ऐसा ही देश के प्रथम धरोहर गांव परागपुर गढ़ के आदित्य पटियाल ने इंडियन आर्मी में लेफ्टिनेंट बनकर कर दिखाया है। जी हां, कठिन परिश्रम कर परागपुर के गढ़ गांव के आदित्य पटियाल ने इंडियन आर्मी में लेफ्टिनेंट बनकर क्षेत्र का नाम चमकाया है, जिससेे क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई है। आदित्य पटियाल के पिता प्रमोद पटियाल भी सीमा सुरक्षा बल में असिस्टेंट कमांडेंट के रूप में सेवाएं दे चुके है। आदित्य की दसवीं तक की शिक्षा सेक्रेड हार्ट स्कूल धर्मशाला में हुई, जबकि सेंट स्टीफंस चंडीगढ़ में जमा दो नॉन मेडिकल और फिर 2017 में एसएसबी इलाहाबाद से पास की और एनडीए पुणे में तीन वर्ष का बीएससी कम्प्यूटर साइंस की डिग्री जे एनयू से की। इसके बाद आईएमए देहरादून में प्रवेश पाया और शनिवार को पासिंग आउट परेड में हिस्सा लेकर लेफ्टिनेंट बने हैै।

बनखंडी के शुभम शिखर पर

निजी संवाददाता — भटेहड़ बासा
बनखंडी के लछू गांव के शुभम डढवाल भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बने हैं। लेफ्टिनेंट बनने के बाद शुभम डढवाल की पोस्टिंग जोधपुर में हुई है। शुभम डढवाल की प्रारंभिक शिक्षा डीएवी बनखंडी में हुई, जबकि 10वीं उन्होंने सैनिक स्कूल जोधपुर और 12वीं जीएवी पब्लिक स्कूल कांगड़ा से पास की।

2012 में वह सेना में भर्ती हो गए। इस दौरान उन्होंने एसीसी कमीशन पास किया और चार वर्ष की ट्रेनिंग के बाद लेफ्टिनेंट बने हैं। शुभम डढवाल के पिता दलबीर डढवाल भी सेना से नायब सूबेदार पद से सेवानिवृत्त हुए हैं, जबकि मां राज कुमारी गृहिणी हैं। शुभम डढवाल के बड़े भाई हैदराबाद में प्राइवेट जॉब करते हंै। शुभम के माता-पिता बेटे के लेफ्टिनेंट बनने पर काफी खुश हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपने बेटे पर नाज है। शुभम डढवाल ने अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपने माता-पिता और परिवार को दिया है।

घुग्घर के अंशुमन सेना में लेफ्टिनेंट

दिव्य हिमाचल टीम— पालमपुर
चाय नगरी पालमपुर के घुग्घर के अंशुमन ठाकुर ने सेना में लेफ्टिनेंट का पद हासिल कर पालमपुर वासियों का सीना चौड़ा कर दिया है। अंशुमन ने भारतीय रक्षा अकादमी खडग़वासला पुणे में तीन वर्ष और भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून में एक वर्षीय कठिन प्रशिक्षण के बाद पासिंग आउट परेड में यह सम्मान हासिल किया है।

बताते चलें कि अंशुमन के दादा टेक सिंह ठाकुर रेलवे में अधिकारी रह चुके हैं। अंशुमन के पापा सुरेंद्र ठाकुर वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला जिया में प्रधानाचार्य पद पर तैनात हैं और माता शैली भी एक अध्यापिका है। अंशुमन के नाना मिलाप चंद मिन्हास और नानी उषा मिन्हास भी शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त हुए हैं। घर में अच्छा शैक्षणिक माहौल होते हुए अंशुमन बचपन से ही भारतीय सेना में सेवाएं देना की तमन्ना पाले हुए थे। अंशुमन ने कठिन परिश्रम के बल पर अपने सपने को साकार किया है। अंशुमन माउंट कार्मल ठाकुरद्वारा पालमपुर के होनहार छात्र रहे हैं। अंशुमन ने जमा दो तक की पढ़ाई माउंट कार्मल स्कूल ठाकुरद्वारा में की है। अंशुमन के पापा सुरेंद्र ठाकुर व माता शैली में बेटे की इस उपलब्धि पर घर व्यक्त करते हुए अपार खुशी जाहिर की है।

कोटखाई के स्पर्श ने बढ़ाया मान

कार्यालय संवाददाता — ठियोग
कोटखाई के स्पर्श शांकटा आर्मी में लेफ्टिनेंट बन गए है। स्पर्श कोटखाई तहसील की पुडग़ पंचायत के भवाना गांव के रहने वाले हैं। उनकी इस सफलता पर पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर है। लेफ्टिनेंट स्पर्श शांकटा की माता अर्चना शांकटा और पिता विशाल शांकटा अपने बेटे की सफलता से बहुत खुश हैं। उन्होंने बताया कि स्पर्श को बचपन से ही आर्मी में जाने का शौक था, स्पर्श की प्रारंभिक शिक्षा लॉरेंस स्कूल सनावर से की उसके बाद एसआरम यूनिवर्सिटी चिन्नई से उच्च शिक्षा प्राप्त की। 12 जून 2021 को एनडीए से ट्रेनिंग पूरी की और भारतीय सेना का हिस्सा बने। स्पर्श के पिता विशाल शांकटा इस समय जिला परिषद के सदस्य भी है, जबकि पेशे से वह सरकारी ठेकेदार है। अपने बेटे की इस सफलता को लेकर उन्होंने कहा कि यह पूरे इलाके के लिए गर्व की बात है और इससे पूरे इलाके का नाम प्रदेश में ऊंचा हुआ है। उधर, स्पर्श ने अपनी इस कामयाबी का श्रेय अपने माता-पिता को दिया है।

कनोग के शैलेश आर्मी अफसर

निजी संवाददाता — लांगणा
मंडी जिला के खड़ीहार पंचायत के कनोग निवासी किसान परिवार से संबंध रखने वाले शैलेश चंदेल सेना में लेफ्टिनेंट बने हैं। रूप लाल चंदेल और जुध्या देवी के घर जन्में शैलेश के सेना में लेफ्टिनेंट बनने पर क्षेत्र में खुशी की लहर है। पढ़ाई के दौरान वह हमेशा शीर्ष पर रहे हैं और वह पेंटिंग में भी काफी रूचि रखते थे।

चौथी कक्षा में पढ़ते हुए उन्होंने राष्ट्रीय ड्राइंग प्रतियोगिता में 10000 रुपए का इनाम भी जीता था। शैलेश की माता गृहिणी है और पिता सेना से सूबेदार मेजर के पद से रिटायर हुए हैं। इनकी बहन शिवाली एमबीए करके नौकरी कर रही है। शैलेश को हर प्रतियोगिता की तैयारी करवाने में इनकी माता का काफी योगदान रहा। शैलेश टीईएस-37 में भर्ती होकर अब ईएमई में अपनी सेवाएं देंगे। अभी शैलेश की बीटेक चल रही है। बता दें कि शैलेश के दादा भीखमराम के दो पोते मेजर अश्वनी चंदेल और लेफ्टिनेंट शैलेश चंदेल व पौत्रवधू मेजर अनुपमा सेना में अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, जो इनके परिवार के लिए एक गर्व का क्षण है और युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

दीपक की लौ से सोलन रोशन

निजी संवाददाता — सोलन
हिमाचल के एक बागबान के बेटे ने अपने परिवार को नाम पूरे प्रदेश भर में रोशन किया है। सोलन से संबंध रखने वाले युवा दीपक शर्मा अपनी मेहनत व दृढ़ संकल्प से भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बने हैं। हाल ही में ओटीए चेनई में हुई पासिंग परेड में आर्मी अफसर ने दीपक शर्मा के कंधे पर लेफ्टिनेंट का स्टार लगाकर नवाजा। दीपक थापा के लेफ्टिनेंट पद पर नियुक्ति से उनके परिवार में खुशी का माहौल बना हुआ है। दीपक शर्मा की प्रारंभिक शिक्षा डीएवी ठियोग से की है, जबकि उन्होंने डा. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी से बीएसी फॉरेस्ट्री की डिग्री प्राप्त की है, जिसके बाद उन्होंने एसएसबी का इंटरव्यू कै्रक किया। इसके बाद इन्हें ओटीए चेनई में ट्रेनिंग दी गई। दीपक ने बताया कि उनके पिता रमेश शर्मा बागबानी क्षेत्र से संंबंध रखते हैं, जबकि उनकी माता उषा शर्मा गृहिणी है। उन्होंने बताया कि उनके छोटे भाई अंकित शर्मा ने हर कदम पर उनका साथ दिया है। साथ ही उन्होंने इस मुकाम को हासिल करने पर सुरेश शर्मा सहित उनके सभी शुभचिंतकों का आभार व्यक्त किया है। दीपक शर्मा ने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि जीवन में कई उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है, लेकिन इन परिस्थितियों में कभी डगमगाना नहीं चाहिए। केवल अपने लक्ष्य पर फोकस रखते हुए आगे बढ़ते रहना चाहिए। उन्होंने अपनी इस कामयाबी का श्रेय अपने परिजनों व गुरुजनों को दिया है।


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