वीरभद्र सिंह के निधन से शोक में डूबा किन्नौर
मोहिंद्र नेगी-रिकांगपिओ
राजा वीरभद्र सिंह के निधन की खबर सुनते ही समूचा किन्नौर शोक की लहर में डूब गया। क्या सत्ता क्या विपक्ष, क्या नेता क्या अभिनेता सभी की जुबान से एक ही बात सुनने को मिली,राजा साहब किन्नौरवासियों के लिए एक भीष्म पितामह की तरह रहे है और उन्होंने किन्नौर वासियों की सेवा हमेशा ही राजनीति से ऊपर उठ कर की है। राजा साहब का किन्नौर से बहुत पुराना नाता रहा है। जब भी राजा साहब का किन्नौर आना रहता था वह यही कहा करते थे कि किन्नौर उन का अपना दूसरा घर है। बताया जाता है कि बुशहर रियासत के राज घराने का राज तिलक किन्नौर जिला के कामरु किले में भी हुआ करता था। जब तक रामपुर रियासत के राजा का राज तिलक कामरु किले में नही होता है तब तक किन्नौर की प्रजा उन्हें राजा नहीं मानते थे। इसी लिए इस घराने का नाता किन्नौर से बहुत पुराना रहा है। किन्नौर वासियों के प्रति राजा वीरभद्र का स्नेह किसी से छिपी नहीं है।
राजा साहब ने हमेशा ही किन्नौरवासियों पर आंखों मूंद कर विश्वास किया है। जब भी राजा साहब ने प्रदेश में मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला उन्होंने विभागों के अहम पदों पर किन्नौर के अधिकारियों को ही प्रथम पंक्ति में तर्जी दी है।
ऐसे कई और भी कारण रहे है जिस कारण किन्नौर वासी राजा वीरभद्र सिंह पर अथा प्यार करते रहे है। राजा साहब के राजनीतिक कार्यकाल में किन्नौर में हुए विकास की बात करना अपने आप में दीए को रोशनी दिखाने के समान है। आज किन्नौर में स्वास्थ्य सेवाएं हो या फिर शिक्षाएं सड़क व अन्य विकास के जो भी कार्य हुए है उस मे राजा साहब का बहुत बड़ा योगदान रहा है। उन के ऐसे कई योगदान को किन्नौर की आवाम अभी तक भूली नही है। गुरुवार प्रात: जैसे ही राजा वीरभद्र सिंह के निधन की खबर ने किन्नौर की आवाम को झगजोर कर रख दिया है। राजा वीरभद्र सिंह की निधन की खबर सुनते ही किन्नौर में सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान पूरी तरह बंद रहे व कई स्थानों पर शोक सभा का आयोजन कर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई। (एचडीएम)
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