पंजाब कांग्रेस में फिर तूफान, कैबिनेट मंत्री सोढी को हटाने के लिए जाखड़ की चिट्ठी से बवाल

By: Jul 30th, 2021 12:10 am

दिव्य हिमाचल ब्यूरो — चंडीगढ़

पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ का एक खत सामने आने से पार्टी में फिर अंदरूनी टकराव के आसार दिख रहे हैं। जाखड़ ने एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल और पंजाब के सीएम कैप्टन अमरेंदर सिंह को लिखी इस चिट्ठी में कैबिनेट मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढी को पार्टी से निकालने की मांग की है। नवजोत सिद्धू और कैप्टन अमरेंदर सिंह के बीच चले लंबे विवाद का हल निकलने के बाद इस ताजा मामले से पार्टी के लिए नई मुश्किल खड़ी हो सकती है। दरअसल सुनील जाखड़ ने जब यह खत लिखा था, उस वक्त वह प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे। इस चिट्ठी में सोढी से 1.83 करोड़ रुपए की रिकवरी को लेकर पंजाब सरकार की ओर से कोर्ट में जाने का जिक्र है। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने सोढ़ी और उनके परिवार के खिलाफ आपराधिक मामला चलाने की सिफारिश की। साथ ही राज्य के विरुद्ध धोखाधड़ी का भी आरोप है। जाखड़ ने खत में रिकवरी के मामले को  एक छोटा उदाहरण बताया है। जाखड़ ने अपने खत में कहा है उन्हें डर है कि अगर कोर्ट ने सोढ़ी के पक्ष में फैसला दिया, तो इससे कांग्रेस की छवि के साथ-साथ पार्टी की चुनावी संभावनाओं को भी झटका लगेगा। संगरूर और उसके आसपास के किसान अपना मुआवजा 40 लाख प्रति एकड़ से 70 लाख प्रति एकड़ करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। दिल्ली-कटरा हाइवे के लिए यहां की जमीन अधिग्रहीत हुई है।

चिट्ठी में जाखड़ ने कहा है कि उनका मानना है कि संगरूर बेल्ट पंजाब का सबसे प्राइम एरिया है, जहां जमीन की कीमत ज्यादा है। वहीं, मोहन के उत्तर गांव जहां सोढी की जमीन अधिग्रहीत हुई है, वह इसके बहुत पीछे है। इस गांव में लिंक रोड से लगती कृषि भूमि की वर्तमान कीमत छह लाख 72 हजार 300 रुपए प्रति एकड़ है। जाखड़ के खत में लिखा है कि अगर सोढी को प्रति एकड़ सात करोड़ का मुआवजा मिलता है, तो पंजाब का कौन सा किसान इसके कम कीमत पर अपनी जमीन अधिग्रहण के लिए देने पर तैयार होगा। दरअसल सोढी की 11 एकड़ जमीन 2013 में दूसरी बार अधिग्रहीत हुई थी।

पहली बार इस जमीन को 1962 में पीडब्ल्यूडी ने अधिग्रहीत किया था। इसके लिए सोढी को सरकार से दो बार मुआवजा मिला। पहली बार 1962 में और दूसरी बार 2014 में। इसके बाद सोढी ने नए जमीन अधिग्रहण कानून के तहत तीसरी बार 77 करोड़ का मुआवजा मांगा। यह मामला सीएम अमरेंदर सिंह के संज्ञान में भी आया और उन्होंने जांच के आदेश दे दिए। जाखड़ ने खत में कहा है कि सोढी तथ्यों को छिपाकर और पिछली अकाली दल-बीजेपी सरकार की मदद से दोहरा मुआवजा पाने में कामयाब रहे। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सोढी को नोटिस भी जारी किया है। जाखड़ का आरोप है कि मामला सार्वजनिक होने के बावजूद अकालियों ने सोढी के खिलाफ प्रदर्शन नहीं किया है। जाखड़ का कहना है कि सोढी को 2007 से 2017 के बीच जो दोहरा मुआवजा मिला है, उस वक्त अकाली सत्ता में थे। जाखड़ का आरोप है कि सुखबीर सिंह बादल के संरक्षण में पीडब्ल्यूडी ने 1962 में जमीन अधिग्रहीत होने के बावजूद अनदेखी की। जाखड़ ने खत में पूछा है कि क्यों नियमों से ऊपर जाकर सोढी को लाभ पहुंचाया गया। जाखड़ ने सोढी पर अकालियों का एजेंट होने का आरोप लगाया है। हाल ही में जब कैप्टन अमरेंदर सिंह मुश्किल में थे, तो सोढी ही उनके संकचमोचक बने थे। इसके साथ ही जाखड़ ने अपनी चिट्ठी में अकाली-बीजेपी के कार्यकाल में 2015 में सोढी को शराब लाइसेंस देने का मुद्दा भी उठाया है। सोढी अब तक आरोपों पर सामने नहीं आए हैं।


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