रैबीज एक जानलेवा रोग है…बचाव ही परहेज है

By: Sep 29th, 2021 12:21 am

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मैहला में स्वास्थ्य विभाग की ओर से विश्व रैबीज दिवस पर सजा कार्यक्रम, डा. हरित पुरी ने लोगों को किया जागरूक

नगर संवाददाता- चंबा
स्वास्थ्य विभाग की ओर से विश्व रैबीज दिवस का आयोजन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मैहला में किया गया। इसकी अध्यक्षता कार्यक्रम अधिकारी डा. हरित पुरी ने की। उन्होंने कहा कि हर वर्ष 28 सितंबर को पूरे विश्व में वल्र्ड रैबीज डे मनाया जाता है। रैबीज लायसावायरस के कारण होने वाला एक वायरल रोग है। सबसे पहले इस रोग से लडऩे के लिए लुई पाश्चर ने पहली प्रभावी रैबीज वैक्सीन विकसित की थी। उन्होंने इस बीमारी के बारे में बताते हुए कहा कि रैबीज एक ऐसा वायरल इंफेक्शन है, जोकि आमतौर पर संक्रमित जानवरों के काटने से फैलता है। कुत्तों, बिल्ली व बंदर आदि कई जानवरों के काटने से इस बीमारी के वायरस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।

रैबीज का वायरस कई बार पालतू जानवर के चाटने या खून का जानवर के लार से सीधे संपर्क में आने से भी फैल जाता है। रैबीज एक जानलेवा रोग है, जिसके लक्षण बहुत देर में नजर आते हैं। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो यह रोग जानलेवा साबित हो जाता है। पशु चिकित्साधिकारी मैहला डा. विवेक गुप्ता ने बताया कि अगर रैबीज से संक्रमित किसी बंदर या कुत्तों आदि ने काट लिया तो तुरंत इलाज करवाएं। काटे हुए स्थान को कम से कम 10 से 15 मिनट तक साबुन या डिटोल से साफ करें। जितना जल्दी हो सके वैक्सीन या एआरवी के टीके लगवाएं। पालतू कुत्तों को इंजेक्शन लगवाएं। रैबीज से संक्रमित किसी कुत्तों या बंदर आदि के काटने पर इलाज में लापरवाही न बरतें। काटे हुए जख्म पर मिर्च न बांधे। घाव अधिक है तो उस पर टांके न लगवाएं। रैबीज के संक्रमण से बचने के लिए कुत्तों व बंदरों आदि के अधिक संपर्क में न जाए। कार्यक्रम में स्वास्थ्य खंड चूड़ी की आशा वर्करों ने उपस्थिति दर्ज करवाई।


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