राजा वीर विक्रम सेन के अंतिम दर्शनों को उमड़ आया जनसैलाब

By: Sep 30th, 2021 12:20 am

क्योंथल रियासत के राजा का निधन,दोगड़ा पुल के पास अंतिम संस्कार

सिटी रिपोर्टर-शिमला
तत्कालीन क्योंथल रियासत के राजा वीर विक्रम सेन के निधन से क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ पड़ी है। लोगों ने उन्हें अश्रुपूर्ण विदाई दी। वीर विक्रम सेन (56) का बुधवार सुबह करीब आठ बजे आईजीएमसी में निधन हुआ, जिससे समूचे क्योंथल क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ पड़ी और उनके अंतिम दर्शन के लिए जन सैलाब उमड़ पड़ा। वह अपने पीछे धर्मपत्नी रानी विजय ज्योति सेन, बेटा खुश विक्रम सेन और बेटी सुंदिनी छोड़ गए है। इनका अंतिम सरकार अश्वनी और शैमला खड्ड के समागम दोगड़ा पुल के पास रियासती परंपरा के अनुसार किया गया और उनके पुत्र खुश विक्रम सेन ने मुखग्नि दी। चचेरे भाई कंवर गिरिराज सिंह ने बताया कि वीर विक्रम सेन क्योंथल रियासत के 104वें शासक थे, जबकि शिमला गेजेटियर के अनुसार विक्रम सेन क्योंथल रियासत के 78वें शासक थे।

उनका जन्म 4 अप्रैल, 1965 को जुन्गा में हुआ था और इनके पिता राजा हितेंद्र सेन के निधन पर 13 दिसंबर 2002 को उतराधिकारी घोषित किया गया था। उनके निधन की सूचना मिलते ही पूर्व सीएम स्व.वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह, विधायक विक्रमादित्य सहित प्रदेश के विभिन्न राजघराने के गणमान्य व्यक्ति उनके अंतिम दर्शन के लिए जुन्गा पहुंचे। पारिवारिक सदस्यों में अरूण सेन, पंकज सेन, पृथ्वी विक्रम सेन इत्यादि शामिल रहे। उनके निधन पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज , जिला भाजपा अध्यक्ष रवि मेहता, सक्षम गुडिया बोर्ड की उपाध्यक्ष रूपा शर्मा, प्रदेश किसान सभा के अध्यक्ष डा.कुलदीप तंवर, कुसुंपटी भाजपा मंडल अघ्यक्ष जितेंद्र भोटका, महामंत्री पवन शर्मा, जिला भाजपा सदस्य प्रीतम ठाकुर सहित अनेक लोगों द्वारा गहरा शोक व्यक्त किया गया है ।

खुश विक्रम सेन को नियुक्त किया उतराधिकारी
अंतिम यात्रा शुरू करने से पहले रियासती परंपरा के अनुसार वीर विक्रम सेन के बेटे खुश विक्रम सेन को वेदोक्त मंत्रों के साथ क्योंथल रियासत का उतराधिकारी नियुक्त किया गया। खुश विक्रम सेन एमीटि विश्वविद्यालय दिल्ली में शिक्षा ग्रहण कर रहे है ।
अंतिम दर्शनों के लिए नहीं पहुंची बेटी
उनकी बेटी सुंदिनी जिसका विवाह उड़ीसा के पुरी में हुआ है, वह अपने पिता के अंतिम दर्शन के लिए नहीं पहुंच पाई ।
एक साल तक नहीं मनाए जाएंगे त्योहार
क्योंथल क्षेत्र में राजा को चौथा इष्ट माना जाता है, जिसमें पहला इष्ट देव जुन्गा, दूसरी माता तारा देवी, तीसरे कशयाला के हनुमान और चौथे इष्ट राजा को माना जाता है। देव जुन्गा के पुजारली मंदिर के प्रमुख पुजारी रामकृष्ण मेहता ने बताया कि राजा के निधन होने से आगामी एक वर्ष समूचे क्योंथल क्षेत्र में कोई भी शुंभ कार्य एवं त्योहार नहीं मनाया जाएगा।


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