देवता संग नाचे देवलु
दशहरा उत्सव में आनी के देवताओं ने बढ़ाई चौथी जलेब यात्रा की शान
मोहर सिंह पुजारी-कुल्लू
अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में जहां भगवान रघुनाथ जी की रथ यात्रा उत्सव की शोभा है, वहीं उत्सव के दूसरे दिन से शुरू हुई भगवान नरसिंह की जलेब यात्रा भी उत्सव की शान है। इस बार विश्व में विख्यात देवसमागम ने जहां पुरानी संस्कृति की झलक पेश की है। वहीं, जलेब का स्वरूप में पुराना ही देखने को मिल रहा है। इस बार खास बात यह है कि भगवान नरसिंह की जलेब परिक्रमा में देवभूमि की युवा पीढ़ी भी भाग ले रही है। इस बार देव रथों को उठाने वाले भी ज्यादातर युवा हैं। यह युवा अपने देवी-देवताओं को कंधे पर उठाकर देवसंस्कृति से रू-ब-रू हो रहे हैं। मंगलवार को दशहरा उत्सव के पांचवें दिन निकली भगवान नरसिंह की जलेब यात्रा में भी आनी क्षेत्र की युवा पीढ़ी अपने आराध्यों देवताओं को उठाते हुए देखी। चौथी जलेब यात्रा में जहां सोने के आभूषण से सुसज्जित देवता आकर्षण का केंद्र रहे, वहीं युवा पीढ़ी का देव संस्कृति को संजोए रखने का जोश भी दिखा। अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में भगवान नरसिंह की चौथी जलेब यात्रा आनी क्षेत्र के देवता टकरासी नाग, शेषनाग, कोट पझारी, व्यास ऋषि और खुडीजल देवतासंग निकली। इस दौरान भगवान नरसिंह ने जलेब यात्रा से रक्षासूत्र बांधा।
यात्रा की इस परंपरा को संपूर्ण करने में आनी के देवताओं ने भी सुरक्षा घेरे की डोर बांधे रखी।
ढोल-नगाड़ों, शहनाई, करनाल आदि की धुनों पर निकली जलेब को देखने के लिए जगह-जगह पर लोगों की भीड़ भी चारों तरफ उमड़ती रही। बजंतरियों ने वाद्य यंत्रों में धुनें यूं छोड़ी की यात्रा पर निकले श्रद्धालु नाचने पर मजबूर हो गए। शहनाई वादक ने कुल्लवी गीतों की जैसे ही स्वर लहरियां छोड़ी तो युवा पीढ़ी ने पूरी परिक्रमा में नाचते हुए जलेब को शाही अंदाज दे डाला। देवताओं के वाद्य यंत्रों की धुनें जैसे ही यात्रा में गूंजती रही, तो माहौल देखते ही बन गया। बता दें कि बुधवार को भी जलेब यात्रा होगी। मुहल्ले की बेला पर सबसे पहले देवी-देवता भगवान रघुनाथ जी के शिविर में हाजिरी भरेंगे। इसके बाद मुहल्ले की परंपरा निभाने के लिए चानणी में जाएंगे। इसके बाद चार बजे जलेब यात्रा होगी। लिहाजा, मुहल्ले के दिन ढालपुर में अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में विराजमान देवी-देवता अपने शिविरों से बाहर निकलेंगे और भगवान रघुनाथ जी के अस्थायी शिविर पहुंचेंगे। इस दौरान देवी-देवता एक-दूसरे के शिविरों में जाकर भव्य देव मिलन करेंगे। (एचडीएम)
देवी-देवताओं का भव्य देव मिलन
दशहरा उत्सव के पांचवें दिन कुछ देवी-देवता भगवान रघुनाथ जी के दर पहुंचे। इसके बाद देवी-देवताओं ने भव्य देव मिलन किया। त्रैहण के खुडीजल आनी के खुडीजल से मिलने अस्थायी शिविर गए। वहीं, अन्य कई देवी-देवताओं का देव मिलन भी हुआ। देवी-देवताओं के पास पूछ का दौर भी दिनभर रहा। श्रद्धालुओं ने देव पूछ डाली।
कुल्लू में जब करथानाग के साथ नाचे देवलु
अंतराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के पांचवें दिन देवता संग देवलुओं ने भी नृत्य किया। इस नृत्य को देखने के लिए लोगों की भीड़ जुटी। दोपहर को जब पल्दी के देवता करथानाग भगवान रघुनाथ जी दर हाजिरी भरकर मुख्य मार्ग पर स्थित कलाकेंद्र गेट के पास लावलश्कर के साथ निकले तो यहां से देव परिक्रमा प्राचीन नाटी की ओर अग्रसर हुई। कलाकेंद्र गेट से कालेज गेट के सामने तक पहुंचने में देव परिक्रमा को बहुत समय लगा। इस दौरान जहां देवता पारंपरिक धुनों के बीच देवता करथानाग नाचे, वहीं देवता के साथ चल रहे देवलु और अन्य भक्त भी नाचने पर मजबूर हुए। पांचवें दिन देवता संग देवलुयां का नाचना आकर्षण का केंद्र रहा। यही नहीं, पांचवें दिन धूप खिलते ही लोग देवी-देवताओं के दर्शन के लिए ढालपुर को लिकले। सुबह से ही देवी-देवताओं का मिलन भी लगा रहा। अस्थायी शिविरों के पास देवताओं का भव्य देव मिलन हुआ।
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