दशहरा में अपनी रिश्तेदारी भी निभा रहे देवी-देवता

By: Oct 21st, 2021 12:45 am

मोहल्ला पर्व पर दिखा खूबसूरत नजारा
स्टाफ रिपोर्टर — भुंतर
ऐतिहासिक कुल्लू दशहरा के चलते जिला मुख्यालय देवमहाकुंभ में बदल गया है। उत्सव में जिलावासी एक ओर जुट रहे, वहीं दूसरी ओर उत्सव में जुटे देवता भी अपनी रिश्तेदारी मिलन की अनूठी परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं। इस अनूठे मिलन का नजारा बुधवार को मोहल्ला पर्व पर भी खूब देखने को मिला। देवताओं के कारकूनों के अनुसार हर साल उत्सव के दौरान खोखन से आदि ब्रह्मा (ब्रह्मा), दियार से त्रियुगी नारायण (विष्णु), भ्रैण से बिजली महादेव (शिव) उत्सव में पहुंचते हैं वहीं, बालू नाग (लक्ष्मण अवतार) व देवी हिडिंबा भी यहां पर पहुंच मुख्य भूमिका निभाती हैं और उत्सव का आगाज करवाती हैं। इसके बाद अस्थायी शिविर में पहुंचने के बाद देवी हिडिंबा अपने पुत्र घटोत्कच्छ से भी मिलती हैं। छेंउर से मंगलेश्वर महादेव अपनी बहन देवी पटंती, शृंगा ऋषि व बलागाड़ की देवी का भी आपस में भाई-बहन का रिश्ता है।

कुल्लू राज परिवार की कुलदेवी दोचा-मोचा भी दशहरा में आती हैं और यह दोनों देवियां मनु महाराज की पत्नियां हैं और इनके प्राचीन नाम श्रद्धा और इड़ा हैं। बिजली महादेव, माता पार्वती और देवी महिषासुर मर्दनी के देवरथों का भी ढालपुर में भव्य मिलन देखने को मिलता है। कुल्लू में एक ही देवता के अलग-अलग जगह देवालय हैं। इनमें देवी भागा सिद्ध के नरोगी व धारा देवालय हैं। सियाली महादेव भी शिव ही हैं। सचाणी के ऋषि गर्गाचार्य और दलासणी की श्यामाकाली का आपस में भाई-बहन का रिश्ता है। देव वीरनाथ हुरला और महर्षि मार्कंडेय थरास का भी भाई-बहन का रिश्ता माना गया है। इनका भी दशहरा उत्सव में भव्य मिलन होता है। इतिहासविदों के और देव कारकूनों के अनुसार दशहरा उत्सव देव मिलन की अनूठी पहल है। यह विश्व में महाकुंभ के बाद एकमात्र देव संस्कृति का मिलन है, जो अपने आप में अद्वितीय है। बुधवार को मोहल्ला पर्व पर देवताओं ने इस रिश्तेदारी को निभाते हुए एक-दूसरे से मिलन किया। कारदार संघ के प्रधान जयचंद ठाकुर के अनुसार इस प्रकार की परंपरा का निर्वहन हर साल किया जाता है।


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