कोलबांध विस्थापितों को नहीं मिल रहा लाभांश
एनटीपीसी प्रबंधन ने प्रशासन को भेजी है विस्थापितों की सूची, अभी तक नहीं हो पाया फैसला
दिव्य हिमाचल ब्यूरो-बिलासपुर
पहले भाखड़ा बांध और अब कोलबांध के विस्थापित व प्रभावित अपने आप में एक दुख भरी दास्तां समेटे हुए हंै। तथ्यों के हिसाब से बात की जाए तो कोलबांध में बिलासपुर जिला का 52 प्रतिशत, जिला मंडी का 28 प्रतिशत, जिला सोलन का 12 प्रतिशत और जिला शिमला का आठ प्रतिशत हिस्सा विस्थापित व प्रभावित का शामिल है। एनटीपीसी के साथ हुए करार के अनुसार कोलबांध परियोजना के उत्पादन से मिलने वाले मुनाफे काएक प्रतिशत मुनाफा का हिस्सा स्थानीय विस्थापितों को मिलना तय था जो कि अभी तक मिल नहीं पा रहा है।
यह बात जिला कांग्रेस सेवादल महासचिव संदीप सांख्यान ने कही। उन्होंने कहा कि क्यों एनटीपीसी जैसी बड़ी नवरत्न कंपनी अपने शुद्ध लाभ में से यह एक प्रतिशत हिस्सा दे नहीं पा रही है और यहां के विस्थापित अपने हकों से वंचित हो रहे हैं। एनटीपीसी ने विस्थापित परिवारों को बतौर लाभांश एक प्रतिशत देने की जो सूची जारी की है। जानकारी के मुताबिक उस सूची में कई विस्थापित परिवारों के नाम गायब थे जो अभी तक भी सही नहीं हो पाए हैं। इससे विस्थापितों में एनटीपीसी प्रबंधन के खिलाफ और केंद्र और प्रदेश सरकार के प्रति आक्रोश तो है, लेकिन बुनियादी तौर पर सरकार अभी तक कुछ नहीं कर पाई है। आखिर क्यों लोगों को उनके हकों से वंचित रहना पड़ रहा है। विस्थापितों का कहना है कि जिला प्रशासन व सत्तासीन सरकार ने भी कोई कदम नहीं उठाए हैं। संदीप सांख्यान के अनुसार कोलबांध परियोजना निर्माण के लिए अपनी जमीन व घर-बार देने वाले गांव लोग बौहट-कसोल, चम्यौण, कसोल, घराट, कोल, कड़ाई-घराट, हरनोड़ा, क्याण, रोपा, जमथल व आयन आदि के बाशिंदे हैं। लोगों का कहना है कि कोलबांध परियोजना का निर्माण करने वाले एनटीपीसी प्रबंधन ने बिलासपुर, मंडी, सोलन और शिमला जिला के लोगों की एक सूची बनाकर जिला प्रशासन को भेजी है, जिसमें अभी तक भी कोई निर्णय नहीं हो पाया है। लोग चाहते हंै कि जिला बिलासपुर से संबंधित परिवारों को प्रशासन से विस्थापित परिवारों को बतौर एक प्रतिशत लाभांश मिलने वाली सूची में दुरुस्ती करके जल्द से इस समस्या का समाधान करना चाहिए।
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