राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान ने मनाया 32वां स्थापना दिवस, समारोह में पहुंचीं कई हस्तियां

By: Nov 24th, 2021 2:55 pm

दिव्य हिमाचल ब्यूरो—नई दिल्ली

नई दिल्ली। राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) के 32वां स्थापना दिवस समारोह नोएडा स्थित मुख्यालय परिसर में किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में पद्मश्री प्रो. जेएस राजपूत, पूर्व निदेशक एनसीईआरटी एवं पूर्व अध्यक्ष एनसीटीई पधारे, जबकि सम्मानित सदस्यों के रूप में प्रो. एम. मुखोपाध्याय, प्रो. एनके.अम्बष्ट, श्री एमसी पंत, डा. सितांशु एस. जेना, प्रो. चंद्र भूषण शर्मा पधारे।

इसके अलाव फादर कुनंकल और प्रो. मोहन बी. मेनन वर्चुअल माध्यम से जुड़े। सम्मानित अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। फादर एग्नेल स्कूल, गौतम नगर, नई दिल्ली से पधारीं छात्राओं ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। समारोह के आरंभ में प्रोफेसर सरोज शर्मा, अध्यक्ष एनआईओएस ने मंचासीन सभी अतिथियों का स्वागत किया और एनआईओएस के द्वारा किए जा रहे महत्वपूर्ण कार्यों की संक्षिप्त रूपरेखा प्रस्तुत की।

उन्होंने कहा कि एनआईओएस 31 वर्षों की यात्रा के प्रमुख मील के पत्थरों की चर्चा की जैसे सांकेतिक भाषा पाठ्यक्रम, समावेशी शिक्षा की दिशा में किए जा रहे कार्य, भारतीय ज्ञान परंपरा पाठ्यक्रम आदि। एनआईओएस एनईपी 2020 के अनुसार पहुच, क्षमता और गुणवत्ता पर पूरी तरह से कार्यरत रहा है। उन्होंने विश्वास जताया कि एनआईओएस देश के दूरदराज क्षेत्रों में बैठे हर शिक्षार्थी तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुचाएगा।

उन्होंने हाल ही में वर्चुअल ओपन स्कूल में पंजीकरण करा रहे शिक्षार्थियों की निरंतर बढ़ती हुई संख्या पर हर्ष व्यक्त किया। साथ ही, मुक्त बेसिक शिक्षा स्तर पर भारतीय ज्ञान परंपरा पाठ्यक्रमों का आठ विदेशी भाषाओं में अनुवाद पर भी प्रसन्नता व्यक्त की। उनका मानना है कि एनआईओएस को शिक्षा के साथ-साथ कौशल प्रशिक्षण में भी बहुत अधिक कार्य करना है। इस अवसर पर एनआईओएस को आईएसओ 9001-2015 पंजीकरण का प्रमाणपत्र भी प्रदान किया गया।

इस अवसर पर वर्चुअल माध्?यम से जुड़े सम्मानित अतिथि फादर कुनंकल ने अपने संदेश में शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मुक्त शिक्षा विश्व में अत्यंत लोकप्रिय हो रही है और एनआईओएस मुक्त शिक्षा के प्रसार में अग्रणी भूमिका निभा रहा है जो अत्यंत सराहनीय है। एनआईओएस के पूर्वाध्यक्ष और सम्मानित अतिथि प्रो. एम. मुखोपाध्याय ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में अनंत संभावनाएं हैं।

विश्व तकनीकी प्रगति की दिशा में आगे बढ़ रहा है तो हमें देखना होगा कि शिक्षार्थी को हम अध्ययन की कितनी सुविधाएं देते हैं। हमें अपनी भावी रणनीति तैयार करनी होगी। एनआईओएस के पूर्वाध्यक्ष और सम्मानित अतिथि श्री एमसी पंत ने कहा कि एनआईओएस की सबसे बड़ी विशिष्टता है कि यहां नवाचारों को निरंतर प्रोत्साहन मिला है। प्रवेश, परीक्षा में तकनीकी सहायता से बहुत से नवाचार हुए हैं।

एनआईओएस के लिए शिक्षार्थी ही सर्वप्रमुख होना चाहिए। इस अवसर पर पधारे मुख्य अतिथि पद्मश्री प्रो. जेएस राजपूत ने अपने उद्बोधन में कहा कि एनआईओएस के सभी पूर्वाध्यक्षों की उपस्थिति आपके आपसी सहयोग और मूल्य परकता को दर्शाती है।

उन्होंने एनआईओएस के प्रतिबद्धता की सराहना की और साथ ही यह भी कहा कि देश और विदेश में एनआईओएस की उपस्थिति से उत्तरदायित्व भी बढ़ रहा है, इसलिए उत्कृष्टता के लिए निरंतर प्रयासरत रहना आवश्यक है। इस अवसर पर एक सांस्कृतिक संध्या का भी आयोजन किया गया, जिसमें पंडित राजेंद्र प्रसन्ना द्वारा बांसुरी वादन और भारत नाट्य विद्यालय द्वारा नाटक ‘ताजमहल का टेंडरÓ का मंचन भी किया गया।


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