शिक्षा विभाग बदलेगा सिलेबस, नई शिक्षा नीति के तहत अगले साल तैयार होगा नया पाठ्यक्रम

By: Dec 12th, 2021 12:05 am

 2023-24 में प्रिंट होंगी किताबें

स्टाफ रिपोर्टर-शिमला
नई शिक्षा नीति के तहत बन रहे एनसीएफ राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा में पहली बार प्रारंभिक स्तर पर प्री-प्राइमरी व प्रौढ़ शिक्षा के लिए अलग से फ्रेमवर्क तैयार होगा। कक्षा पहली से 12वीं का 15 साल पुराना पाठ्यक्रम बदलेगा और नए एनसीएफ में नई शिक्षा नीति अनुसार नई पाठ्य पुस्तकें लिखने का काम शीघ्र ही शुरू हो जाएगा। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए चार करिकुलम फ्रेमवर्क पर काम होगा। इसमें अर्ली चाइल्ड हुड केयर एंड एजुकेशन, स्कूल एजुकेशन, टीचर एजुकेशन और एडल्ट एजुकेशन करिकुलम का नेशनल फ्रेमवर्क तैयार होगा। बाद में पाठ्यक्रम तैयार होगा। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अमल का सूत्र वाक्य नेशन फस्र्ट-करेक्टर मस्ट होगा और इसके अनुरूप पाठ्यक्रम ढांचा, पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तक तैयार करने की संपूर्ण प्रक्रिया वर्ष 2023-24 तक पूरी कर ली जाएगी। एनसीएफ को पाठ्यक्रम, पठन पाठन एवं मूल्यांकन के विविध आयामों को ध्यान में रखकर तैयार किया जाएगा जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों के अनुरूप होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप छात्रों के समग्र विकास को ध्यान में रखते हुए सर्वांगीण मूल्यांकन की रूपरेखा तैयार करने का काम भी शुरू हो गया है। प्रदेश सरकार एससीईआरटी के माध्यम से अगले साल 30 अप्रैल तक एनसीईआरटी को स्टेट करिकुलम फ्रेमवर्क का मसौदा भेज देंगे।

वहीं अगस्त 2022 तक नया सिलेबस तैयार कर दिया जाएगा तथा अप्रैल 2023-24 तक नई पाठ्य पुस्तकें छात्रों को प्राप्त हो जाएंगी। विज्ञान और गणित विषय में द्विभाषी किताबें तैयार करने पर विचार होगा और पाठ्य पुस्तकें प्रिंट और डिजिटल प्रारूप में भी उपलब्ध होंगी जिसमें अतिरिक्त डिजिटल सामग्री के साथ त्वरित प्रतिक्रिया यानि क्यूआर कोड शामिल होंगे। पाठ्यक्रम को लेकर बदलाव निर्णय में यह तय किया गया है कि इतिहास भूगोल और साहित्य के सिलेबस में स्थानीय चीजों को भी शामिल करना चाहिए, इसी के साथ दूसरी एवं तीसरी क्लास के लिए किताबें अमर-चित्र कथा जैसे हो एवं उस पाठ्यक्रम में कॉमिक जैसे दो तीन पाठ हो कुछ पाठ को समझने के लिए नाटकीय सहारा भी लेना चाहिए। इसी के साथ पाठ्यक्रम में लोकल कंटेंट भी शामिल किया जाएगा इतिहास के विषय में 17 पाठ प्राचीन इतिहास से एवं तीन पाठ स्थानीय इतिहास से भी जुड़े होंगे, यह बदलाव इतिहास के साथ-साथ भूगोल और साहित्य के लिए भी किया जा सकता है। अब से नए पाठ्यक्रम में ऐसी कोई कविताएं एवं पाठ शामिल नहीं किए जाएंगे जिसका कोई सार नहीं निकलता हो ।


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