बच्चों में बढ़ रहा थाइराइड

By: Dec 11th, 2021 12:10 am

दरअसल फिजिकल एक्टिविटी की कमी और डाइट से जुड़ी गड़बडि़यां थाइराइड ग्रंथि के कामकाज को प्रभावित करती हैं। इसके कारण बच्चों में हाइपोथाइराइडिज्म और हाइपरथाइराइडिज्म  का खतरा बढ़ता है। ऐसे में जरूरी है कि बच्चों में इन दोनों का ध्यान रखते हुए थाइराइड को रोकने की कोशिश की जाए…

थाइराइड एक ऐसी बीमारी है, जो आजकल खराब लाइफस्टाइल के कारण बहुत से लोगों को प्रभावित कर रही है। इसमें थाइराइड हार्मोन का प्रोडक्शन गड़बड़ा जाता है। जैसे कि टी3 और टी4 ग्रंथि जो कि शरीर में वजन, ऊर्जा के स्तर और बाकी हार्मोनल हैल्थ से जुड़ा होता है, उसका कामकाज पूरी तरह से प्रभावित होता है। इसके कारण शरीर के वजन, हार्मोन और मूड में असंतुलित तरीके से बदलाव आता है। हालांकि बच्चों में थाइराइड की समस्या नहीं होती पर अब धीमे-धीमे उनमें भी ये समस्या बढ़ती जा रही है। दरअसल फिजिकल एक्टिविटी की कमी और डाइट से जुड़ी गड़बडि़यां थाइराइड ग्रंथि के कामकाज को प्रभावित करती हैं। इसके कारण बच्चों में हाइपोथाइराइडिज्म और हाइपरथाइराइडिज्म का खतरा बढ़ता है। ऐसे में जरूरी है कि बच्चों में इन दोनों का ध्यान रखते हुए थाइराइड को रोकने की कोशिश की जाए।

थाइराइड को रोकने के उपाय टेस्ट करवाएं

बच्चों में थाइराइड के कारणों पर ध्यान दें तो ये उन बच्चों को ज्यादा होता है जिनके माता-पिता में ये समस्या होती है। साथ ही जिन बच्चों की मां प्रेग्नेंसी के समय स्मोकिंग करती थी या फिर उनमें आयोडीन की कमी थी, उनमें भी ये खतरा होता है।

ऐसे में माता-पिता को सबसे पहले अपने बच्चों का भी थाइराइड टेस्ट करवाना चाहिए। साथ ही उम्र बढ़ने के साथ उनमें थाइराइड के लक्षणों पर नजर रखें और जैसे ही कोई संकेत नजर आए वैसे ही डाक्टर को बताएं और थाइराइड टेस्ट करवाएं। इसमें बच्चों में थाइराइड का पता लगाने के लिए टीएसएच यानी कि थाइराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन स्तर की जांच की जाती है और उनमें टी3 और टी4 ग्रंथि के कामकाज और हार्मोनल लेवल को चैक किया जाता है। थाइराइड टेस्ट करवाने से बच्चों में समय रहते थाइराइड का पचा चल जाता है और तब आप उन्हें इससे बचा सकते हैं।

प्रोसेस्ड फूड्स को खाने से रोकें

मोटापा थाइराइड की समस्या का एक बड़ा कारण है और आजकल बच्चों में मोटापा तेजी से बढ़ता जा रहा है। दरअसल ये सब उनकी डाइट से जुड़ी गड़बडि़यों के कारण होता है जिसमें कि वो प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन करते हैं। इसके अलावा ट्रांस फैट से भरपूर जंक फूड भी बच्चों में मोटापा बढ़ाते हैं। साथ ही हाई शुगर से भरपूर फूड्स भी इसके लेवल को असंतुलित करता है। साथ ही ये तमाम चीजें डायबिटीज का कारण भी बनती हैं और थाइराइड को प्रभावित करती है।

इसलिए आपको अपने बच्चों की डाइट में इन चीजों का खास ध्यान रखना चाहिए। साथ ही कोशिश करें कि उनकी डाइट में वे चीजें हो जो कि थाइराइड कंट्रोल करने में मददगार हैं। जैसे कि फाइबर से भरपूर फूड्स लें। चाहे हाइपोथाइराइडिज्म हो या हाइपरथाइराइडिज्म,दोनों ही आपके शरीर द्वारा भोजन को मैटाबोलाइज करने के तरीके को बदल देते है, तो अपने खाने में फाइबर सेवन का बढ़ाएं। क्योंकि यह आपके पाचन में सुधार कर सकता है। फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों में साबुत अनाज, फल और सब्जियां शामिल करें।

प्रोटीन का सेवन करें

प्रोटीन से भरपूर फूड्स का सेवन करें। ये हार्मोनल हैल्थ के साथ मोटापा कंट्रोल करने में भी मददगार है। बींस या नट्स का सेवन करें।

आयोडीन की मात्रा सही रखें

शरीर में आयोडीन की कमी बच्चों में थाइराइड का कारण बनती है। इसलिए बच्चों की डाइट में आयोडीन की मात्रा सही करें। साथ ही पोटाशियम से भरपूर फूड्स को भी बच्चों की डाइट में शामिल करें। ऐसा इसलिए क्योंकि पोटाशियम थाइराइड के फंक्शन को बेहतर बनाने में मदद करता है।

फिजिकल एक्टिविटी करवाएं

आजकल बच्चों में फिजिकल एक्टिविटी न के बराबर हो गई है। ऐसे में ये मोटापा और थाइराइड के खतरे को दोगुना करता है। तो थाइराइड के फंक्शन को बेहतर बनाने के लिए उन्हें घर के कामों के साथ खेल कूद में भाग लेने को कहें। रोजाना उन्हें उन शारीरिक गतिविधियों को करने को कहें, जिसमें मेहनत लगे और शरीर से पसीना भी निकले। एक्सरसाइज थाइराइड को सही रखने के साथ बाकी हार्मोनल हैल्थ को बेहतर बनाने में भी मदद करती है। साथ ही ये मोटापा घटाता है और शरीर में मैटाबॉलिज्म व बाकी अंगों के फंक्शन को सही रखता है।


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