Himachal Vidhansabha: सवर्ण आक्रोश के घेरे में रही विधानसभा, पुलिस बैरिकेड तोड़े

By: Dec 11th, 2021 12:20 am

 आधा दर्जन गाडिय़ों संग सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाकर सवर्ण समाज ने किया प्रदर्शन

एक दर्जन पुलिस जवान, पत्रकार व आंदोलनकारी भी हुए घायल पत्थरबाजी के दौरान पुलिस के कई अधिकारियों को भी आई चोटें सचिव ही नहीं, वरिष्ठ मंत्रियों से भी बात करने से कर दिया इनकार सीएम को खुद गेट तक आना पड़ा, लिखित आदेश मिलने पर ही माने 2006 से धर्मशाला में चल रही विधानसभा का पहली बार जबरदस्त घेराव

नरेन कुमार — धर्मशाला
पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश के सवर्णों के आक्रोश की आग में अमूमन शांत रहने वाला तपोवन शुक्रवार को ‘धधकता हुआ नजर आया। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो तपोवन विधानसभा परिसर इस बार अंगारे लिए बैठा हो। विधानसभा के बाहर जोरावर स्टेडियम में उठे अंगार के शोले परिसर के अंदर तक पहुंचे और सदन के मुखिया मुख्यमंत्री को भी गेट तक आने के लिए मजबूर होना पड़ा। सवर्ण समाज के विभिन्न संगठनों ने सवर्ण आयोग के गठन व उनके खिलाफ सख्त कानूनों के खिलाफ तपोवन विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन घेराव करने की अपने पूर्व ऐलान के तहत हल्ला बोल दिया। इस दौरान हज़ारों की संख्या में मौजूद सवर्ण समाज के प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बैरिकेड, आधा दर्जन पुलिस व दमकल गाडिय़ों पर पत्थरबाजी-लाठीबाजी करते हुए जोरावर सिंह स्टेडियम की चारदीवारी को तोड़कर व सरकारी संपत्ति को बड़े स्तर पर नुक्सान पहुंचाते हुए विधानसभा भवन के मुख्य गेट पर पहुंचकर पूरी तरह से घेर लिया।

इस दौरान आंदोलनकारियों ने एक दर्जन पुलिस जवानों, पत्रकारों व अपने खुद के ही साथियों को भी घायल कर दिया। इसमें सबसे अधिक लोग पत्थरबाजी के कारण घायल हुए। पुलिस अधिकारियों की गाडिय़ों के शीशे टूट गए और उन्हें भी हल्की चोटें आई हैं। शुक्रवार की इस क्रांतिकारी घटना ने हिमाचल सहित दूसरी राजधानी धर्मशाला के नाम एक काला अध्याय भी जोड़ दिया, जिसमें इतने उग्र स्तर कभी प्रदर्शन नहीं देखा गया था। 2006 से धर्मशाला में चल रही विधानसभा को पहली बार जबरदस्त घेराव उग्र तरीके से किया गया। हालांकि इस दौरान पुलिस बल की ओर से कोई भी लाठीचार्ज या धक्कामुक्की तक नहीं की गई। मात्र जोरावर स्टेडियम के पास दमकल विभाग की गाड़ी से पानी फेंकने का हल्का प्रयास किया गया। इस उग्र आंदोलन व घेराव को देखते हुए प्रदेश सरकार भी झुकती हुई नज़र आई।

प्रदर्शनकारियों ने विधानसभा का घेराव करते हुए मुख्य गेट पर कब्जा जमा लिया। जिसके बाद सरकार के मुख्य सचिव ने देवभूमि क्षेत्रीय संगठन और देवभूमि सवर्ण मोर्चा नेताओं से बात की। इसके बाद सरकार के वरिष्ठ आईपीएच मंत्री महिंद्र सिंह, शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज, वन मंत्री राकेश पठानिया सहित अन्य मंत्री व विधायक भी बात करने के लिए आए, लेकिन उन्होंने नेताओं की बात सुनने से साफ शब्दों में इनकार कर दिया। सीएम के द्वारा सवर्ण आयोग की गठन को लेकर घोषणा न किए जाने तक अपने आंदोलन को जारी रखने का ऐलान कर दिया। इसके बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने खुद मुख्य गेट पर पहुंचकर सवर्ण समाज के लोगों को संबोधित किया। उन्होंने तीन माह के भीतर सवर्ण आयोग का गठन कर उसे चलाने का आश्वासन दिया।

बावजूद इसके सवर्ण समाज के लोगों ने इसी बात का लिखित में आदेश जारी होने तक अपने आंदोलन को जारी रखने का ऐलान कर दिया। इसके बाद साढ़े चार बजे के करीब मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से लिखित में सवर्ण आयोग के गठन की मांग पर नोटिफिकेश जारी कर दी गई। इसके बाद ही सवर्ण समाज ने विधानसभा से अपने घेराव को हटाया। देर शाम को विधानसभा घेराव टूटने के बाद ही सभी व्यवस्थाएं सूचारू रूप से चल पाईं। उधर, सवर्ण समाज के प्रदेश अध्यक्ष रूमीत सिंह ठाकुर ने कहा कि लिखित आदेश न मिलने तक विधानसभा का घेराव करने का निर्णय कर लिया गया था। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से लिखित आदेश मिलने से घेराव वापस लिया गया है।

15 नवंबर से शुरू हुआ था आंदोलन

देवभूमि क्षेत्रीय संगठन और देवभूमि सवर्ण मोर्चा ने 15 नवंबर से पहले शव यात्रा शुरू कर हरिद्वार तक पैदल यात्रा की थी। उसके बाद अब तक एक हजार किलोमीटर की यात्रा तय करके विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन इस आयोग के गठन के लिए लामबद्ध हो गए। इनका सीधा-सीधा आरोप था कि कांग्रेस हो या भाजपा दोनों ही दलों के नेताओं की शुद्धिकरण करवाने की जरूरत है।


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