एनसीसी ने ढूंढे भारत-पाक युद्ध में योगदान देने वाले सिपाहियों के परिजन, सोलन में किए सम्मानित
मुकेश कुमार – सोलन
देश के लिए जान देने वाले प्रदेश में ऐसे कुछ वीर सपूत भी हैं, जिनका सकरार व संबंधित विभागों के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है। इस कारण उनके परिवारों को सरकार की ओर से कोई लाभ व शहीद परिवारों को मिलने वाली उचित मदद नहीं मिल पाई। सन 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के जांबाज़ सैनिकों के ऐसे ही दो परिवारों के आश्रितों को एनसीसी बटालियन एचपी-1 सोलन ने ढूंढ निकाला है।
उस युद्ध में देश के लिए लडऩे वाले कई हिमाचली सपूतों के परिजनों के पास उनका पूरा रिकॅार्ड व उनके चित्र नहीं थे, लेकिन दो सिपाहियों के परिवार का ठिकाना व किसी ढंग से उनके ट्रंकों में रखे हुए पुराने ब्लैक एंड व्हाइट फोटो अब बरामद हुए हैं। एनसीसी एचपी-1 सोलन द्वारा शिमला ग्रुप से मिले निर्देशों के बाद भारत-पाक युद्ध में उल्लेखनीय योगदान देने वाले सिपाहियों के परिजनों को सम्मानित किया गया। सोलन में आयोजित एक सादे समारोह में आज़ादी की विजय शृंखला व संस्कृतियों का महासंगम कार्यक्रम के तहत उन्हें सम्मान प्रदान किया गया। समारोह में सोलन के विधायक व पूर्व मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। समारोह में शिमला जिला की चौपाल तहसील के गांव शवाला के जांबाज़ सैनिक स्व. टेक चंद के आश्रितों को सम्मानित किया गया।
स्व. टेक चंद भारत-पाक युद्ध के समय 18-पंजाब में बतौर सिपाही सेवारत थे और 11 दिसंबर, 1971 को उन्हें वीरगति प्राप्त हुई थी। वहीं, दूसरा जांबाज़ सैनिक स्व. कुंदन लाल था, जा ेकि शिमला जिला के ही रामपुर के समीप गांव मेहरा के निवासी थे। 1971 में 22-पंजाब के इस सिपाही ने आठ दिसंबर, 1971 को वीरगति प्राप्त की थी। उनका यह सम्मान उनके आश्रितों ने प्राप्त किया। बता दें कि सन् 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध के दौरान अपनी जांबाज़ी व बहादुरी का परिचय देने वाले सैनिकों के सम्मान में यह समारोह देशभर में आयोजित किया गया था। समारोह का उद्देश्य था कि इस युद्ध के हीरोज़ के परिवारजनों व आश्रितों को सम्मान प्रदान किया जाए, ताकि समूचा देश उनकी बहादुरी को जान सके। इस अवसर पर कमांडर कर्नल सुरेश भैक, एनसीसी के सीईओ कर्नल विक्रम सिंह उपस्थित रहे। (एचडीएम)
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