अमर जवान ज्योति बनी इतिहास, 50 साल से जल रही ज्योति की जगह बदली, विपक्ष ने बताया शहीदों का अपमान

By: Jan 22nd, 2022 12:10 am

 अब नेशनल वॉर मेमोरियल में जल रही बलिदान की लौ

कांग्रेस संग विपक्षी पार्टियां बताया शहीदों का अपमान

दिव्य हिमाचल ब्यूरो — नई दिल्ली
1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के प्रतीक अमर जवान ज्योति ज्वाला को शुक्रवार को नेशनल वॉर मेमोरियल की ज्वाला से मिला दिया गया। केंद्र सरकार के एक बड़े फैसले के बाद शुक्रवार को इसकी औपचारिकता पूरी की गई। शुक्रवार दोपहर 3:30 बजे यह समारोह शुरू किया गया। अमर जवान ज्योति को पूरे सैन्य सम्मान के साथ मशाल के जरिए वॉर मेमोरियल ले जाया गया। बता दें कि 1971 में हुए महासंग्राम के दौरान भारतीय जवानों ने पाकिस्तान को धूल चटाई थी। इसके बाद ही बांग्लादेश का गठन हुआ था।

अमर ज्योति स्मारक पिछले 50 से ज्यादा वर्षों से शहीदों को याद किया जाता रहा है। शुक्रवार को केंद्र सरकार के निर्देश के तहत सेना के अधिकारियों की मौजूदगी में अमर जवान ज्योति का नेशनल वॉर मेमोरियल में विलय हो गया। इस संबंध में कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्णय लिया था। शुक्रवार को विलय की प्रक्रिया के तहत अमर जवान ज्योति में जल रही ज्वाला को नेशनल वॉर मेमोरियल में जल रही ज्वाला के साथ मिलाया गया। सरकार के इस निर्णय पर पूर्व सैनिकों ने खुशी जताई है। सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल पीजेएस पन्नू ने कहा कि सरकार का यह निर्णय बहुत अच्छा है। स्थानांतरण का सवाल नहीं है, सम्मान वही है, जहां सैनिकों के नाम लिखे जाते हैं। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक ही एकमात्र स्थान है जहां सैनिकों को सम्मानित किया जाना चाहिए। उधर, इस मुद्दे पर राजनीति शुरू हो गई है। विपक्षी पार्टियां इसे शहीदों का अपमान बता रही हैं।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि कुछ लोग देशप्रेम और बलिदान नहीं समझ सकते। कोई बात नहीं, हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएंगे! वहीं आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी इसका विरोध किया है। संजय सिंह ने एक ट्वीट में लिखा कि मोदी जी आप न किसान के हैं, न जवान के। 1971 के भारत-पाक युद्ध में हमारे जवानों ने अपनी शहादत दी। उनकी याद में 50 वर्षों से ये ‘अमर जवान ज्योति जल रही है। आप उस ज्योति को बुझाकर वीर जवानों की शहादत का अपमान कर रहे हैं। ये देश आपको माफ नहीं करेगा। इसी बीच, शहीदों की मशाल हटाए जाने पर सेना के पूर्व अधिकारियों की भी राय सामने आ रही है।

पूर्व सेनाध्यक्ष वेद मलिक ने कहा कि यह बेहद सामान्य है कि नेशनल वॉर मेमोरियल के बनने के बाद जवानों की शहादत और उनके सम्मान से जुड़े तमाम कार्यक्रम वहीं होने चाहिए। पूर्व नेवी चीफ एडमिरल अरुण प्रकाश ने कहा कि पहले विश्व युद्ध और इससे पहले शहीद हुए जवानों की याद में ब्रिटिशों के बनाए इंडिया गेट में अमर जवान ज्योति को बाद में अलग से जोड़ा गया था। अब, जबकि हमारे पास बाकायदा नेशनल वॉर मेमोरियल है तो इस मशाल को वहां ले जाना सही फैसला है। ब्रिगेडियर (रि) चितरंजन सावंत, सेना के पूर्व डीजीएमओ ले. जनरल विनोद भाटिया, ले. जनरल (रि) संजय कुलकर्णी और ले. जनरल (रि) सतीश दुआ आदि ने भी इसका समर्थन किया है।

यूं हुआ विलय
अमर जवान ज्योति पर पुष्प चढ़ाकर उसका सम्मान किया गया
मशालों के जरिए अमर जवान ज्योति को मिलाने की प्रक्रिया शुरू की
मिलिट्री बैंड और परेड के जरिए ज्योति को वॉर मेमोरियल ले जाया गया
वॉर मेमोरियल पर प्रज्ज्वलित ज्योति को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया
मशाल के जरिए अमर जवान ज्योति को वॉर मेमोरियल में मिलाया


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