सीटू-किसान सभा ने मनाया एकजुटता दिवस

By: Jan 20th, 2022 12:55 am

नीरथ, बिथल और रामपुर में ट्रेड यूनियनों ने देशव्यापी आम हड़ताल के 40 वर्ष पूरे होने पर दिखाई ताकत
निजी संवाददाता — रामपुर बुशहर
सीटू और हिमाचल किसान सभा ने बुधवार को नीरथ, बिथल व रामपुर के अनेक स्थानों में 19 जनवरी, 1982 को यूनाइटेड प्लेटफॉर्म ऑफ ट्रेड यूनियनों, खेत मजदूर व किसानों द्वारा पहली बार संयुक्त रूप से देशव्यापी आम हड़ताल के 40 वर्ष पूरे होने पर मजदूर किसान एकजुटता दिवस के रूप में मनाया। सीटू के जिलाध्यक्ष कुलदीप सिंह, दिनेश मेहता, हरदयाल जेल्टा, कपिल, हेम राज, जसबीर, हरीश ने कहा कि आज के दिन 1982 में पहली बार आम हड़ताल जिसे संयुक्त प्लेटफॉर्म ऑफ ट्रेड यूनियन ने दिया था, जिसमें न केवल श्रमिकों और कर्मचारियों की भागीदारी की थी, अपितु ग्रामीण हड़ताल और हड़ताली श्रमिकों के साथ-साथ बड़े पैमाने पर सड़क-नाकाबंदी प्रदर्शनों के माध्यम से देश भर में किसानों और कृषि श्रमिकों ने भी सक्रिय भूमिका निभाई थी, लेकिन आंदोलन को दबाने के लिए उस समय राज्य सरकारों द्वारा क्रूर हमला किया गया और देश के विभिन्न हिस्सों में शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को पुलिस दमन और गोलीबारी से किसानों और मजदूरों के 10 लोग शहीद हो गए थे और कई घायल हो गए। मजदूर-किसानों की शहादत की 40वीं वर्षगांठ का विशेष महत्व है। वक्ताओं ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार नवउदारवादी नीतियों को लागू कर पूंजीपतियों के साथ खड़ी हो गई है व आर्थिक संसाधनों को आम जनता से छीनकर अमीरों के हवाले मुफ्त में करने के रास्ते पर आगे बढ़ रही है।

राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन के तहत मोदी सरकार बैंक, बीमा, रेलवे, सड़क, बीएसएनएल, एयरपोर्टों, स्टेडियम, बिजली, बंदरगाहों, ट्रांसपोर्ट, गैस पाइप लाइन, बिजली, सरकारी कंपनियों के गोदाम व खाली जमीन, सड़कों, स्टेडियम सहित ज़्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण करके बेचने का रास्ता खोल दिया गया है। आम जनता से आज स्वास्थ्य, शिक्षा को दूर कर पूंजीपतियों, उद्योगपतियों व कॉरपोरेट को फायदा पहुंचाने का काम किया जा रहा है। मालिकों के पक्ष में नीतियों को लागू कर मजदूरों का रोजगार छीना जा रहा है किसानों को फसलों का सही दाम नहीं मिल रहा है। महंगाई ने आम जनता की कमर तोड़ दी है। उन्होंने कहा कि मांगों को लेकर केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व राष्ट्रीय फेडरेशनों की देशव्यापी आम हड़ताल 23-24 फरवरी को होगी, जिसमें संयुक्त किसान मोर्चा के द्वारा ग्रामीण बंद का आह्वान किया गया है, जिससे मजदूरों, किसानों की एकता और मजबूत होगी।


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