Economic Survey: अन्नदाता के मेहनती कदम, चार फीसदी रफ्तार से बढ़ी कृषि विकास दर

By: Jan 31st, 2022 5:13 pm

नई दिल्ली। सरकार ने सोमवार को कहा कि कोरोना संकट के बावजूद कृषि क्षेत्र वर्ष 2020-21 में 3.6 प्रतिशत तथा 2021-22 में 3.9 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक समीक्षा 2021-22 पेश करते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र, जिसकी 2021-22 में देश के सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) में 18.8 प्रतिशत की भागीदारी है, ने पिछले दो वर्षों के दौरान उत्साहजनक वृद्धि अर्जित की है।

यह 2020-21 में 3.6 प्रतिशत तथा 2021-22 में 3.9 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि यह अच्छे मॉनसून, ऋण उपलब्धता में वृद्धि, निवेश में सुधार, बाजार सुविधाओं का निर्माण करने, बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न सरकारी उपायों के कारण संभव हो पाया। समीक्षा में यह भी कहा गया है कि पशुधन तथा मत्स्य पालन में तेजी से वृद्धि हुई है और इससे इस क्षेत्र को अच्छा प्रदर्शन करने में मदद मिली।

समीक्षा में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था के कुल जीवीए में कृषि तथा संबद्ध क्षेत्रों की हिस्सेदारी दीर्घकालिक रूप से लगभग 18 प्रतिशत के करीब स्थिर हो गई है। वर्ष 2021-22 में यह 18.8 प्रतिशत थी और वर्ष 2020-21 में यह 20.2 प्रतिशत थी। एक अन्य प्रवृत्ति यह देखी गई है कि फसल क्षेत्र की तुलना में संबद्ध क्षेत्रों (पशुधन, वानिकी एवं लॉगिंग, मत्स्य पालन और जल कृषि) में उच्चतर विकास हुआ।

संबद्ध क्षेत्रों के बढ़ते महत्व को स्वीकार करते हुए किसानों की आय दोगुनी करने पर समिति (डीएफआई 2018) ने इन संबद्ध क्षेत्रों को उच्च विकास के इंजन के रूप में माना और एक समवर्ती समर्थन प्रणाली के साथ एक केंद्रित नीति की अनुशंसा भी की थी। समीक्षा में उल्लेख किया गया है कि कृषि में पूंजी निवेशों तथा इसकी वृद्धि दर में प्रत्यक्ष संबंध है। सेक्टर में जीवीए की तुलना में कृषि क्षेत्र में सकल पूंजी निर्माण, निजी क्षेत्र निवेशों में विचरण के साथ एक अस्थिर रुझान प्रदर्शित कर रहा है, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र निवेश पिछले कुछ वर्षों से 2-3 प्रतिशत पर स्थिर बना हुआ है।

समीक्षा में सुझाव दिया गया है कि किसानों को संस्थागत ऋण तक अधिक पहुंच तथा निजी कॉरपोरेट सेक्टर की अधिक भागीदारी कृषि में निजी क्षेत्र निवेश में सुधार ला सकती है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए समीक्षा में संपूर्ण कृषि मूल्य प्रणाली के साथ-साथ एक उपयुक्त नीतिगत ढांचे की पेशकश तथा सार्वजनिक निवेश में वृद्धि करके निजी कॉरपोरेट निवेशों को बढ़ाने की अनुशंसा की गई है।
आर्थिक समीक्षा के मेन प्वाइंट्स
-वित्त वर्ष 2021-22 में रियल टर्म में 9.2 प्रतिशत विकास दर का अनुमान
-वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी के 8.0-8.5 प्रतिशत की दर से विकसित होने का अनुमान
-अप्रैल-नवंबर 2021 के दौरान पूंजी व्यय में सालाना आधार पर 13.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी
-विदेशी मुद्रा भंडार 633.6 अरब डॉलर
-वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी की तुलना में सामाजिक सेवाओं पर व्यय बढ़कर 8.6 प्रतिशत
-दिसंबर, 2021 तक बैंक ऋण में 9.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी
-75 आईपीओ के माध्यम से 89,066 करोड़ जुटाए
-वित्त वर्ष 2021-22 खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 5.2 प्रतिशत रह गई
-खाद्य मुद्रास्फीति औसतन 2.9 प्रतिशत के निचले स्तर पर
-रेलवे का पूंजीगत व्यय बढ़कर 1,55,181 करोड़
-प्रतिदिन सड़क निर्माण बढ़कर 36.5 किलोमीटर हुआ
-भारत अगले तीन साल तक दुनिया की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था बनी रहेगी
-कृषि और संबंधित क्षेत्रों के 3.9 प्रतिशत, उद्योग के 11.8 प्रतिशत और सेवा क्षेत्र के 8.2 प्रतिशत बढऩे का अनुमान
-केंद्र सरकार की राजस्व प्राप्तियां 67.2 प्रतिशत तक बढ़ी
-रेपो दर चार प्रतिशत पर बनी रही
-भारत, विश्व में दसवां सबसे बड़ा वन क्षेत्र वाला देश
-वर्ष 2020 में भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र में वन 24 प्रतिशत रहे यानी विश्व के कुल वन क्षेत्र का दो प्रतिशत
-देश के कुल मूल्यवर्धन (जीवीए) में महत्वपूर्ण 18.8 प्रतिशत की वृद्धि


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