सोने दे गागरुआ चल पाणिएं जो…

By: May 15th, 2022 12:45 am

घुमारवीं में बिलासपुर लेखक संघ की काव्य संगोष्ठी में साहित्यकारों को रचनाओं पर मिली खूब दाद

निजी संवाददाता-घुमारवीं
बिलासपुर लेखक संघ की काव्य संगोष्ठी आयोजित की गई, जिसमें स्थानीय साहित्यकारों ने भाग लिया। बैठक की अध्यक्षता संघ की वरिष्ठ सदस्य शीला सिंह ने की व महासचिव रवींद्र कुमार शर्मा ने मंच संचालन किया। प्रथम सत्र में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। शीला सिंह ने कहा कि बिलासपुर लेखक संघ एक ऐसा नाम है जिसका साहित्य के प्रति योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। दूसरे सत्र में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता जसवंत सिंह चंदेल ने की। मंच संचालन रवींद्र कुमार शर्मा ने किया। सबसे पहले राम लाल ने पहाड़ी सुहाग सोने देया गागरुआ चल पाणिएं जो जाना वे नां प्रस्तुत किया। इसके पश्चात भीम सिंह नेगी ने अपनी रचना छोटी है यह जिंदगी प्यार बांटते रहना, यदि कोई गुस्ताखी हो प्रेम से डांटते रहना प्रस्तुत की।

हेम राज शर्मा ने आज की सियासत पर अंधेरे के जुगनुओं को दिन के उजाले निगल गये, सियासत के कीड़े गरीबों के निवाले निगल गए प्रस्तुत की। वीना वर्धन ने जो कल तक मेहमानों का रखते थे ख्याल, आज पूछते नहीं हैं उनका हाल, रचना चंदेल ने जिम्मेवारियों का बोझ जब परिवार पर पड़ा, तब ऑटो रिक्शा तक चलाने लगी बेटियां प्रस्तुत की। जसवंत सिंह चंदेल ने तिने जे मां बाप री सेवा नी किती, उसनों मंदिर च जाने दा हक कोई न सुनाई। डाक्टर अनेक राम सांख्यान ने बहुत सुंदर भजन काहे उद्धव को भेजा देने ज्ञान रे, जरा दर्शन तो देते घनश्याम रे गाया। रवींद्र कुमार शर्मा ने पथिक ने सूरज से हाथ जोड़कर कहा, हमारी हालत पर कुछ तो तरस खाओ, धरा पेड़ पौधे वनस्पति भी है परेशान, कुछ तो दया करो इतनी आग तो मत बरसाओ प्रस्तुत की। कार्यक्रम की अध्यक्ष ने भी भजन हरते सदा दुख आप ही सब, भागती हर पीर है, जल से करूं अभिषेक मैं नित, गंगा पवन नीर है गाया।


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