देव भूमि में गूंजा मानवता का संदेश

By: May 25th, 2022 12:19 am

अटल सदन में सद्गुरु माता सुदीक्षा महाराज ने दिए प्रवचन; मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर-पूर्व सांसद महेश्वर सिंह-एचपीएमसी उपाध्यक्ष राम सिंह रहे मौजूद

शालिनी राय भरद्वाज — कुल्लू
मनुष्य योनि सर्वश्रेष्ठ है, जिसका परम लक्ष्य ब्रह्मज्ञान से परमात्मा को जानकर भक्तिमार्ग पर समर्पित भाव से चलते चले जाना है। यह पावन प्रवचन सद्गुरु माता सुदीक्षा महाराज ने मंगलवार को अटल सदन कुल्लू में आयोजित एक विशाल निरंकारी संत समागम में व्यक्त किए। इस दौरान शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर, एचपीएमसी उपाध्यक्ष राम सिंह और पूर्व सांसद महेश्वर सिंह भी मौजूद रहे। इस दौरान शिक्षा मंत्री ने सद्गुरु माता का स्वागत किया और आशीर्वाद भी लिया। सद्गुरू माता ने अपने दिव्य प्रवचनों में कहा कि मनुष जन्म अनमोल है और यह सभी योनियों में श्रेष्ठ है। इसका प्रमाण यही है कि हमारे पास चेतनताएं बुद्धि, विवेक है जो अन्य योनियों में नहीं। अत: इसका सदुपयोग करते हुए परमात्मा को जानकर भक्तिमार्ग की ओर अग्रसित हुआ जा सकता है। फिर जीवन में श्रद्धा, भक्ति और प्रेम के समावेश से ही आनंद की प्राप्ति हो जाती है तब किसी भी प्रकार की कोई पीड़ा हमें प्रभावित नहीं करती। सद्गुरु माता ने भक्ति की अवस्था का जिक्र करते हुए बताया कि भक्ति ईश्वर से जुड़कर ही प्राप्त हो सकती है, जिस प्रकार एक मनुष्य का विवरण हम किसी को देते है तो दूसरे व्यक्ति के मन में केवल उसकी छवि ही बनेगी, किंतु उसका पूरा चित्रण उससे मिलकर ही जाना जा सकता है। ठीक उसी प्रकार यह अमलोक वस्तु जो हमें प्राप्त हुई है इसका सहारा लेते हुए अपने जीवन में निरंकार को जाना जा सकता है। भक्ति करने का माध्यम भिन्न-भिन्न हो सकता है, गृहस्थ में रहते हुए या कोई अन्य कार्य करते हुए भी भक्ति संभव है।

मन की अवस्था का जिक्र करते हुए सद्गुरु माता ने कहा कि मन में यदि नकारात्मक विचारों का प्रभाव है तो समर्पित भक्ति संभव नहीं, किंतु इसके विपरीत यदि मन में सकरात्मक गुणों का समावेश है तो यह संभव है। हर पल में इस प्रभु परमात्मा को सुमिरण रूप में स्मरण किया जा सकता है। परमात्मा को याद करने के लिए कोई समय का बंधन नहीं कि केवल कुछ क्षणों के लिए ही उनकी स्तुति की जाए, जिस प्रकार एक कंपनी में कार्य करने वाला कर्मचारी केवल अपनी कंपनी तक ही सीमित नहीं, अपितु वह घर आने पर भी कर्मचारी ही रहता है। ठीक उसी प्रकार से सेवाए सत्संग सुमिरण करते हुए संत का जीवन भक्तिमय हो जाता है, तब वह केवल कुछ क्षणों के लिए नहीं अपितु हर पल ही भक्त कहलाता है। अंत में समस्त संतों के लिए सद्गुरु माता ने भक्तिमय जीवन होने की कामना करी। कुल्लू के संयोजक भूरी राम रवि ने सद्गुरु माता का स्वागत किया एवं हृदय से उनका आभार प्रकट किया।


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