अग्रिपथ वीरों को स्किल डिवेल्पमेंट में एडमिशन, यूजीसी के निर्देश, कौशल विकास के तहत दी जाएगी डिग्री

By: Jun 20th, 2022 12:05 am

यूजीसी के निर्देश, कौशल विकास के तहत दी जाएगी तीन साल की डिग्री

स्टाफ रिपोर्टर— शिमला
प्रदेश के ऐसे छात्र जो केंद्र सरकार की नई योजना अग्रिपथ के तहत सेना में भर्ती होना चाहते हैं, उनके लिए अब शिक्षण संस्थानों की ओर से भी कौशल विकास के तहत डिग्री दी जाएगी। यूजीसी ने इस बारे में सभी शिक्षण संस्थानों को निर्देश जारी किए हैं। इसमें इग्रू और दूरवर्ती शिक्षण संस्थानों से अग्निवीरों के करियर की भविष्य की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षा मंत्रालय ऐसे रक्षा कर्मियों के लिए कौशल आधारित तीन-वर्षीय स्नातक डिग्री कार्यक्रम शुरू करेगा। उनके कार्यकाल के दौरान प्राप्त स्किल ट्रेनिंग को मान्यता देगा। इसमें इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा डिजाइन किए जाने वाले डिग्री प्रोग्राम को रोजगार एवं शिक्षा के लिए भारत और विदेश, दोनों जगह मान्यता दी जाएगी। आर्मी, नेवी और एयरफोर्स इस योजना के लिए शिक्षण संस्थानों के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेंगे। गौर रहे कि आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में सैनिकों की भर्ती के लिए अल्पकालिक अनुबंध के आधार पर अग्निपथ नामक एक योजना की शुरुआत की गई, ताकि बड़े पैमाने पर वेतन और पेंशन बिल में कटौती करने तथा सशस्त्र बलों के युवा प्रोफाइल को सक्षम बनाया जा सके।

अग्निपथ योजना के तहत, भारतीय युवाओं को सशस्त्र बलों में अग्निवीर के रूप में सेवा करने का अवसर प्रदान किया जाएगा। यह प्रोग्राम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत अनिवार्य रूप से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क और राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क के मानदंडों के अनुरूप है। इसकी रूपरेखा को संबंधित नियामक निकायों, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद और त्रष्ट द्वारा विधिवत मान्यता दी गई है। स्नातक की डिग्री के लिए आवश्यक 50 क्रेडिट अंक अग्निवीर को कौशल प्रशिक्षण (तकनीकी और गैर-तकनीकी) से आएगा और शेष 50 क्रेडिट भाषा, अर्थशास्त्र, इतिहास, राजनीति विज्ञान, लोक प्रशासन, समाजशास्त्र, गणित, शिक्षा, वाणिज्य, पर्यटन, व्यावसायिक अध्ययन, कृषि और ज्योतिष, पर्यावरण अध्ययन और संचार कौशल में एबिलिटी इन्हान्समेंट कोर्स जैसे विषयों की एक विस्तृत विविधता को कवर करने वाले पाठ्यक्रमों से आएगा।

पढ़ाई बीच में छोडऩे पर भी नहीं होगा नुकसान
इस कोर्स का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि छात्र अगर अपनी पढ़ाई बीच में भी छोडऩा चाहता है, तो उसकी पढ़ाई बेकार नहीं जाएगी। प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रमों के सफल समापन पर अवर-स्नातक सर्टिफिकेट प्रथम और द्वितीय वर्ष के पाठ्यक्रमों के सफल समापन पर अवर-स्नातक डिप्लोमा और तीन साल की समयसीमा में सभी पाठ्यक्रमों के पूरा होने पर डिग्री प्रदान की जाएगी।


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