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चंबा में प्रधानमंत्री का संबोधन: कहा-अब पहाड़ का पानी भी पहाड़ के काम आएगा और जवानी भी

By: Oct 13th, 2022 1:49 pm

चंबा। पुराणे रिवाजां, विरासतां जो दिखांदा चंबा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंबा के ऐतिहासिक चौगान से इन्हीं शब्दों से अपना संबोधन शुरू किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि दो दिन पहले मैं उज्जैन में महाकाल की नगरी मेें था और आज मणिमहेश के सानिध्य में आया हूं। आज ऐतिहासिक चौगान पर आया हूं, तो पुरानी बाते याद आना स्वाभाकि है। यहां राजमाह का मदरा सचमुच में अदभुत रहता है। चंबा ने बहुता स्नेह और आशीर्वाद दिया।

चंबा से मिंजर मेले के एक शिक्षक ने यहां की बात चिट्ठी लिखकर साझा की, जिसे मैंने मन की बात में साझा किया। मैं जब यहां था, तब कहा जा था कि पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी, पहाड़ में ही खप जाएगी, लेकिन इन परियोजनाओं से पहाड़ का पानी भी काम आएगा और जवानी भी। जीजान से विकास की यात्रा को बढ़ाएगी। आपका जीवन बदलने वाले इन सभी प्रोजेक्टों की बड़ी-बड़ी बधाई। उन्होंने कहा कि आने वाले कुछ महीनों मेंं हिमाचल की स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने वाले हैं। आने वाले 25 वर्षों का एक-एक दिन, एक-एक पल हम सभी के लिए और विशेष रूप से हिमाचल के लोगों का विशेष महत्त्वपूर्ण है।

हमने यहां शांता जी को, धूमल जी को हिमाचल के अधिकार के लिए जीवन खपाते देखा है। जब इन नेताओं के हिमाचल के लिए उसके हक को दिल्ली में गुहार लगानी पड़ती थी, लेकिन तब उनकी सुनवाई नहीं होती थी। इस कारण चंबा जैसे सांस्कृतिक क्षेत्र पिछड़े रह गए। सुविधाओं के अभाव में आपके यहां रहने वालों का जीवन मुश्किल था, तो बाहर से आने वाले पर्यटक कैसे पहुंचते।

पीएम ने कहा कि कहते थे कि जम्मू ए दि राहें चंबा कितनी की दूर, यहां आने की उत्सकुता थी, पर यहां पहुंंचना मुश्किल था। चंबा का लोक गीत केरल की जिस बच्ची ने कभी चंबा नहीं देखा, लेकिन वह बच्ची चंबा का गीत गाती हो, तो समझो कि चंबा का सामथ्र्य कितना होगा। आज हिमाचल के पास डबल ईंजन की सरकार है और विकास डबल स्पीड से दौड़ा है। पीएम ने कहा कि हमारा मकसद है जनजातीय जीवन को आसान बनाना है, जिसके लिए हम पूरे प्रयास कर रहे हैं।


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