‘मेरी अंसुआं भीगी साड़ी आ जाओ कृष्ण मुरारी’

By: Jan 28th, 2023 12:45 am

जिला लेखक संघ ने गणतंत्र दिवस पर ऑनलाइन की काव्य संगोष्ठी, 15 साहित्यकारों ने लिया हिस्सा
निजी संवाददाता-चांदपुर
बिलासपुर लेखक संघ द्वारा गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में 26 जनवरी को ऑनलाइन काव्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें पंद्रह साहित्यकारों ने अपनी भागीदारी दर्ज की। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डा. रविंद्र ठाकुर ने की, जबकि इस समारोह के मुख्य अतिथि डाक्टर अनेक राम सांख्यान थे। कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई। सरस्वती वंदना पुष्पा ठाकुर ने हे मां कल्याणी दानी, वर दे वरदानी प्रस्तुत की। मंच संचालन रविंद्र कुमार शर्मा महासचिव बिलासपुर लेखक संघ ने किया। कार्यक्रम का आगाज भीम सिंह नेगी के बहुत ही सुंदर भजन अपने गए बेगाने गए मरी न मन की तृष्णा, कैसा संसार बनाया तूने हरे रामा हरे कृष्णा तरन्नुम में प्रस्तुत किया। रविंद्र साथी ने गणतंत्र दिवस पर पहाड़ी में अपनी रचना अज्ज सै छब्बी जनवरी रा ध्याड़ा, जिस ध्याड़े जे संविधान बणाया प्रस्तुत की।

रविंद्र कुमार शर्मा ने अपनी रचना जब आदमी शव यात्रा में जाता है श्मशान, अंतद्र्वंद मन में छिड़ा होता है घमासान, मैं क्या हूं कौन हूं मैं कुछ खबर नहीं मुझे, विश्राम स्थल है सब का यही मिलेगा सबको आराम प्रस्तुत की। कविता सिसौदिया ने गणतंत्र दिवस व बसंत पंचमी को सम्माहित करती हुई रचना आज हो गया है अनोखा संगम, गणतंत्र संग मस्त हो गया मौसम प्रस्तुत की। ठियोग से पुष्पा ठाकुर ने एक है जननी क्यों भूल जाते हैं, बंटवारे में भी भाईचारा भूल जाते हैं प्रस्तुत की। तृप्ता बद्र्धन ने भगवान श्रीकृष्ण का बहुत ही सुंदर भजन मेरी अंसुआं भीगी साड़ी आ जाओ कृष्ण मुरारी, क्या भूल गए बनवारी जब उंगली कटी थी तुम्हारी, तरन्नुम में पेश करके सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। वीना वर्धन ने हत्था पर जौ नी जमदे ख्यो लाणे पौंदा, बैठे-बिठाए कुछ नी मिलदा कम्म कमाणे पौंदा पहाड़ी में प्रस्तुत की। डा. जय महलवाल ने आओ गणतंत्र दिवस मनाएं, मनाएं बड़े धूमधाम से, देश के वीरों की गाथा गाएं, गाएं बड़ी शान से रचना प्रस्तुत की। रचना चंदेल ने वीरता से ओतप्रोत अपनी रचना भारत के वीरों का किस्सा मुझसे बयां नहीं होता, ऐसे वीर हो जिस देश में दुश्मन का नामोनिशान नहीं होता प्रस्तुत की।

हेमराज शर्मा ने आओ हम भी देश के सभ्य नागरिक बने, मिलजुल कर सब आगे बढ़े प्रस्तुत की। सुनीता कुमारी ने अपनी रचना में बुजुर्गों के आशीर्वाद की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए अपनी लाइनें कुछ यू प्रस्तुत की मैंने जीवन में कुछ नहीं कमाया है, बस इतना है कि बुजुर्गों का साया है। शीला सिंह ने अपनी रचना बसंत पंचमी पर प्रस्तुत की जिसकी लाइनें थी रंग-बिरंगे फूल खिले हैं और खिली है सरसों प्रस्तुत की। मुख्य अतिथि डा. सांख्यान ने देश की खुशहाली के लिए मिलजुल कर काम करने का आग्रह किया। उन्होंने अपनी रचना जब से पाया गणतंत्र, प्रबल हो गया भेड़ तंत्र प्रस्तुत की। अंत में कार्यक्रम के अध्यक्ष डा. रविंद्र ठाकुर ने भारत को आजादी दिलाने में अपनी जान कुर्बान करने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि दी तथा कहा कि उन लोगों के योगदान को भारतवर्ष कभी नहीं भुला सकता। उन्होंने अपनी रचना कारगिल विजय शहीद तुम पावन, पुण्यकोटी आत्मा तुम नमन प्रस्तुत की। रविंद्र कुमार शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आभार व्यक्त किया।


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