सतगुरु निरंकार ब्रह्म की साकार सत्ता है

By: Feb 20th, 2023 12:18 am

निरंकारी सत्संग भवन मुगला में महापुरुषों ने सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज की शिक्षाओं पर किए विचार व्यक्त

नगर संवाददाता-चंबा
निरंकारी सत्संग भवन मुगला में रविवार को साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता महात्मा कैलाश ने की। सत्संग का शुभारंभ आरती वंदना से किया गया। इसके उपरांत राख, जांघी, मैहला, धरवाला, होली, साहू, जडेराव मंगला आदि क्षेत्रों से आए संतों व महापुरुषों ने सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज की शिक्षाओं को अपने भजनों व विचारों द्वारा व्यक्त किया। महात्मा कैलाश ने कहा कि सतगुरु को लेखनी द्वारा शब्दों की परिधि में बांधना लेखनी की क्षमता नहीं है यह तो अनादि, अनंत, अथाह और असीम महासागर है, जिसमें यदि कोई बूंद जाती है तो वह लौट कर नहीं आती उसका नाम उसका रूप और उसकी लघुता सब सागर की विशालता में विलीन हो जाती है।

वह नन्ही सी बूंद विशाल सागर ही हो जाती है। सतगुरु के गुरुत्व को न तो लेखनी द्वारा लिखा जा सकता है और न ही मुख से बोला जा सकता है। इसे बस हृदय झुका कर नमन किया जा सकता है। सतगुरु की कृपा बहुत ही दुर्लभ है। सतगुरु की कृपा के अभाव में रावण और कंस आदि मानव का शरीर पाकर भी अहंकार के कारण मानव नहीं बन सके, लेकिन सतगुरु की असीम कृपा से उंगलीमाल महात्मा रत्नाकर महर्षि बाल्मीकि हो गए। सतगुरु निरंकार ब्रह्म की साकार सत्ता है। यह अपनी हालत और अपनी सीमा स्वयं जानता है। दूसरा बस वही जान सकता है, जिसे यह स्वयं जानता है। संसार के कल्याण के लिए जब परमात्मा को स्वयं के रहस्य को बताना होता है तब यह साकार शरीर को धारण करता है, जिस प्रकार अग्नि तो सर्वव्यापक है परंतु वही जब तक प्रकट हो कर्र इंधन में आरूढ़ नहीं होती तब तक हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर सकती। इसी प्रकार यह निरंकार परमात्मा सर्वत्र ओत प्रोत है।


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