तारों के मकडज़ाल ने बिगाड़ दी राजधानी की सूरत

By: Feb 20th, 2023 12:21 am

स्मार्ट सिटी के तहत शहर की तारों को अंडरग्राउंड करने का था 28 करोड़ का प्रोजेक्ट

सोनिया शर्मा—शिमला
नगर निगम शिमला ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर का चेहरा संवारने के लिए सबसे पहला काम शहर में बिछे बिजली की तारों के खुले जाल को अंडरग्राउंड किया जाना था, लेकिन अभी तक ये योजना सिरे नहीं चढ़ पाई है। इसमें बिजली की तारों के साथ टेलीफोन, केबल, पानी और बाकी अन्य तारें जो हवा में लटकी है, उन सभी को डक्ट के माध्यम से अंडरग्राउंड किए जाने का प्रस्ताव तैयार किया गया था। जलप्रबंधन निगम ने इसके लिए पहले ही कंस्ल्टेंट भी हायर कर लिया था, लेकिन यह काम सिरे नहीं चढ़ पाया। स्मार्ट सिटी के तहत इस प्रोजेक्ट करीबन 28 करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं। अब नई सरकार में ये काम हो पाता है या नहीं, ये देखने वाली बात होगी।

इसके लिए निगम प्रशासन ने खासतौर पर शहर के मालरोड जैसे पॉश एरिया को चुना है। ऐसा इसलिए कि इस प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए यहां ट्रैफिक की कोई समस्या नहीं आएगी। दूसरा प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए बीएसएनएल और बिजली बोर्ड से एनओसी लेना भी जरूरी है, ताकि जिस समय काम शुरू हो उस समय शहर में बिजली और दूरसंचार जैसी सेवाएं बाधित न हो, इसका ध्यान रखना भी जरूरी है। नगर निगम अगले विभागों के साथ इसके लिए विशेष बैठक करेगा, ताकि जल्द से जल्द इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो सके। यदि यह प्रोजेक्ट सफल रहता है तो शहर के अन्य विभागों में भी डक्ट बिछाई जाएगी, ताकि तारें अंडरग्राउंड हो सके। (एचडीएम)

हादसों का न्योता दे रहीं तारें
कई बार हादसों की वजह बनी इन बिजली की तारों को अब हटाकर अंडर ग्राउंड की जाएंगी। शहर का मुख्य बाजारों के एरिया से लेकर वीआईपी रोड हो या कोई भी आम रास्ता, हर जगह हवा में लटकी ये तारें बड़े हादसों को न्योता दे रही है। स्मार्ट सिटी में शिमला के शामिल होनेे के बाद हालांकि तारों को प्राथमिक आधार पर अंडरग्राउंड करने का प्रोजेक्ट शुरू होना था। शहर में जहां कहीं भी आम रास्ते हैं, वहां पर पेड़ों के सहारे बड़ी-बड़ी तारों के रोल लटकाए हुए है। बरसात या तेज आंधी-तूफान में इससे करंट लगने का खतरा हर समय बना रहता है। तेज तूफान में पेड़ों के गिरने का खतरा बना रहता है और इससे तारें भी क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। काफी सालों से लोग यह डिमांड उठा रहे हैं कि प्रशासन इसके बारे में कोई बड़ा कदम उठाए। वहीं, शहर के मुख्य  जारों के हाल ऐसे हैं कि यहां भवन की छतों पर ही तारें एक-दूसरे से कनेक्ट की गई हैं। इससे करंट लगने का खतरा हर समय बना है। यहां तक की आगजनी जैसी बड़ी घटनाएं भी हो सकती हैं।

अंडर ग्राउंड होने से खराब मौसम में सुचारू रहेगी बिजली
नगर निगम ने स्मार्ट सिटी के तहत शहर के 35 किलोमीटर दायरे के लिए फिलहाल प्लान बनाया है जिसमें सभी तारें अंडरग्राउंड होंगी। इसमें पूरा कार्ट रोड से सर्कुलर रोड, छोटा शिमला से पंथाघाटी, विक्ट्री टनल से तारादेवी, संजौली से ढली तक सभी बिजली की तारों को अंडरग्राउंड करने का प्लान बनाया गया है। नगर निगम का कहना है कि इस पर भी जल्द ही काम शुरू होगा। बारिश के दिनों में आंधी-तूफान चलने और पेड़ों के टूटकर तारों पर गिरने से कई घंटों तक बिजली बंद रहती है। इससे शहर के लोगों को असुविधा होती है। यही नहीं, बिजली के तारों और इस मकडज़ाल से शहर में आग लगने पर फायर ब्रिगेड को भी आग बुझाने में कई दिक्कतें आती हैं। फायरब्रिगेड की गाडिय़ों को आगजनी वाले इलाके तक पहुंचने में दिक्कत होती है। तारों को अंडरग्राउंड करने से दोनों ही समस्याएं दूर हो जाएंगी। शहर भी सुंदर नजर आएगा।


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