भारत के विश्व गुरु की ओर बढ़ते कदम

भारत अब मूल विषयों के साथ विकसित भारत, श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को पूरा कर रहा है। प्रधानमंत्री हर मंच से जिस वसुधैव कुटुम्बकम की बात करते हैं, आज उन्हीं के नेतृत्व के कारण वो धारणा यथार्थ में परिवर्तित हो रही है। आज भारत विश्व गुरु बनने के संकल्प की ओर कदम बढ़ा रहा है। सचमुच हम इसी मजबूत नेतृत्व के साथ विश्व भर का नेतृत्व हर क्षेत्र
में करेंगे…

भारत के विश्व गुरु की ओर बढ़ते कदम भारत की 140 करोड़ जनता की ताकत एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व क्षमता को दर्शाते हैं। विश्व के सबसे मजबूत समूह जी-20 की अध्यक्षता कर भारत की नेतृत्व क्षमता का लोहा पूरा विश्व अब मान रहा है। आज भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन कर उभरा है। डिजिटल क्रांति में अग्रणी होने के साथ-साथ पिछले नौ वर्षों में भारत विश्व पटल पर एक सुदृढ़ हस्ताक्षर बन कर उभरा है। कोविड वैक्सीनेशन में भारत ने जो असरदार काम मानवता के लिए किया, वो विश्व के अन्य देश भी नहीं कर सके। आज संयुक्त राष्ट्र संघ में भी पूरा विश्व यूक्रेन-रूस युद्ध के समाधान के लिए भारत की तरफ आस लगाए बैठा है।

जब एक ही सप्ताह इटली व ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री भारत की ताकत का लोहा मान कर नरेंद्र मोदी की प्रशंसा कर रहे हों, तो हर भारतवासी का सीना गर्व से फूल जाता है। क्रिकेट डिप्लोमेसी में भारत अब मुशर्रफ और पाकिस्तान की मेजबानी नहीं करता, अपितु भारत विकसित राष्ट्रों के साथ कदमताल करते हुए नजर आ रहा है। आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बानीज का अहमदाबाद में नरेंद्र मोदी के साथ केमिस्ट्री पूरे विश्व को एक संदेश था कि भारत अब मजबूत कदम से अपनी छाप छोड़ रहा है। भारत के कट्टर विरोधी तुर्किये भी जब भारत को दोस्त कह कर बुलाए तो कूटनीति की कुशलता समझ आती है। आज जब जी-20 शिखर सम्मेलन भारत में हो रहा है, दुनिया के शीर्ष देशों की प्रमुख हस्तियां इसमें शामिल होंगी। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन, जर्मनी की चांसलर ओल्फ शोल्ज, कनाडा के राष्ट्रपति जस्टिस टरुडो, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बानीज, रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन व जापान के प्रधानमंत्री समेत कई सदस्य देशों के शीर्ष नेता हिस्सा लेंगे। जी-20 में भारत के साथ अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ आदि देश सम्मिलित हैं। यह बड़ी बात है कि दुनिया के कल्याण के लिए भारत में ये सम्मेलन होगा। यह सम्मेलन तभी किसी देश में संभव है जब वो देश आतंकवाद की चपेट में न हो, आर्थिक पक्ष मजबूत हो और नेतृत्व क्षमता असाधारण हो।

भारत की जी-20 अध्यक्षता में 200 से अधिक बैठकों का आयोजन देश के विभिन्न शहरों में होगा। इसी कड़ी में जी-20 में विज्ञान व तकनीक विषयों संबंधित बैठकें अप्रैल के दूसरे सप्ताह में हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में निश्चित की गई हैं। इन बैठकों से हिमाचल, कांगड़ा व धर्मशाला को ग्लोबल पहचान मिलेगी, वहीं विज्ञान व तकनीक के विमर्श से कांगड़ा में रोजगार के द्वार खुलेंगे। धर्मशाला दलाई लामा के कारण वैश्विक राजनीति में एक बड़ा स्थान है। उसे दावोस की तर्ज पर विकसित करना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ही सोच है। इन 200 बैठकों के बाद जी-20 शिखर सम्मेलन 9-10 सितंबर, 2023 को होगा। इसमें जी-20 सदस्य देशों और आमंत्रित देशों के शीर्ष नेता व प्रमुख शिरकत करेंगे। नई दिल्ली में शिखर सम्मेलन के दौरान सभी देशों के शीर्ष नेता जी-20 एजेंडा के आर्थिक पक्ष और दुनिया की वर्तमान परिस्थितियों पर चर्चा करेंगे। साथ ही जी-20 बैठकों के दौरान हुए विमर्श के बाद सांझा घोषणा की जाएगी। इन बैठकों से पहले ही योग, मोटे अनाजों, डिजिटल क्रांति के भारतीय सुझावों और नरेंद्र मोदी की सोच पर इन जी-20 देशों ने मोहर लगा दी है। समकालीन दुनिया तेजी से बहुध्रुवीय दुनिया में बदल रही है। इस तरह के गतिशील अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए एक बहुपक्षीय मंच की उपस्थिति अपेक्षित थी, जहां संप्रभु राष्ट्र एक साथ आएं और निरंतर परिस्थितियों के माध्यम से विमर्श करते हुए मानव कल्याण के भविष्य के लिए कार्यक्रम तैयार करते रहें। इसी प्रयास का एक प्रासंगिक उदाहरण जी-20 है जहां सदस्य देश, महाद्वीपों और जनसांख्यिकी में फैले हुए हैं, एक साथ आते हैं, अपनी ताकत, समस्याएं, संघर्ष, चुनौतियों को साझा करते हैं और ऐसी नीतियां बनाते हैं जो विभिन्न भू-राजनीतिक और राजनीतिक-आर्थिक समस्याओं को दूर करने में मदद करती हैं। कोविड-19 महामारी और वर्तमान यूक्रेन संकट ऐसी चुनौतियों के सबसे प्रत्यक्ष और प्रासंगिक उदाहरण हैं। जी-20 की अध्यक्षता इस प्रकार भारत को जिम्मेदारी की स्थिति के रूप में प्रस्तुत करती है, जिसमें प्रधानमंत्री की राष्ट्र पर एक जहाज के कप्तान के समान जिम्मेदारी होती है, जिसे अंतरराष्ट्रीय वार्ता के अक्सर जटिल विषयों के हल निकालने का मार्गदर्शन करने का काम एक प्रकार से सौंपा जाता है।

यह इस तथ्य से और भी जटिल हो जाता है कि जी-20 का प्रत्येक सदस्य अपने स्वयं के घरेलू संदर्भों और समस्याओं के साथ एक संप्रभु इकाई है, जिसका प्रभाव इस बात पर पड़ता है कि यह ऐसे मंचों के भीतर निर्णयों और नीतियों को कैसे देखता है। दिसंबर 2022 से जी-20 का अध्यक्ष देश होने के नाते भारत ने न केवल एक सुव्यवस्थित और उपयोगी शिखर सम्मेलन सुनिश्चित करने का जिम्मा उठाया है, बल्कि इसे अंतरराष्ट्रीय संबंधों को देखने का एक नया तरीका स्थापित करने के अवसर के रूप में भी उपयोग कर रहा है। इन्हीं सम्मेलन के माध्यम से अपने आधारभूत ढांचे को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बना रहा है। भारत अब मूल विषयों के साथ विकसित भारत, श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को पूरा कर रहा है। प्रधानमंत्री हर मंच से जिस वसुधैव कुटुम्बकम की बात करते हैं, आज उन्हीं के नेतृत्व के कारण वो धारणा यथार्थ में परिवर्तित हो रही है। आज भारत विश्व गुरु बनने के संकल्प की ओर कदम बढ़ा रहा है। सचमुच हम इसी मजबूत नेतृत्व के साथ विश्व भर का नेतृत्व हर क्षेत्र में करेंगे। अब वे दिन दूर नहीं जब भारत फिर से विश्व गुरु बन जाएगा।

त्रिलोक कपूर

भाजपा नेता


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