परियोजनाओं ने लाखों किए बेघर

By: निजी संवाददाता-सैंज Sep 30th, 2020 12:20 am

फोरलेन-हाइडल प्रोजेक्ट्स-औद्योगिकरण से प्रदेश में विस्थापित हो रहे लोग

पर्यटन को बढ़ावा देने एवं सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण माने जाने वाले कीरतपुर-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग को अब फोरलेन सड़क बनाया जा रहा है। करीब 225 किलोमीटर लंबे इस नेशनल हाई-वे का निर्माण केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय के अधीन भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा किया जा रहा है। प्रदेश के तीन जिलों बिलासपुर, मंडी एवं कुल्लू की वादियों में बनाए जा रहे विश्व के सबसे ऊंचे फोरलेन सड़क प्रोजेक्ट्स से इस बार केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने सैकड़ों परिवारों को विस्थापन का दंश दिया है, जहां राज्य में पहले ही हाइड्रो प्रोजेक्ट व औद्योगिकरण के चलते एक लाख से अधिक परिवार विस्थापन की सूची में दर्ज हैं, वहीं फोरलेन सड़क प्रोजेक्ट ने प्रदेश के तीन जिलों में सैकड़ों विस्थापित परिवारों की एक  और सेना तैयार की है। प्रदेश के बड़े हाइडल प्रोजेक्ट भाखड़ा बांध, पोंग डैम, नाथपा झाकरी विद्युत परियोजना, पार्वती हाइड्रो प्रोजेक्ट्स, कोलडैम, चमेरा प्रोजेक्ट, सैंज, रामपुर प्रोजेक्ट के अलावा पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन,  बरमाणा, दारलाघाट के सीमेंट  उद्योगों के अतिरिक्त कई औद्योगिक संस्थानों में दर्ज आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में अब तक करीब एक लाख परिवार विस्थापित हुए हैं। अब बताया जा रहा है कि प्रदेश में फोरलेन सड़क प्रोजेक्ट से हजारों परिवारों की विस्थापित सूची तैयार  हुई है। प्रदेश सरकार के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में कुल 15 लाख परिवार रहते हैं। इनमें से करीब एक लाख परिवार विस्थापन की पीड़ा झेल रहे हैं। कटु सत्य यह है कि प्रदेश का हर दसवें परिवार ने दूसरों की विकास की कीमत अपना सर्वस्व लुटा कर चुकाई है। पार्वती प्रोजेक्ट में विस्थापित नेता झाबे राम कहते हैं कि नेकी कर और कुएं में डाल, बेशक चंद अल्फाज हैं, लेकिन विस्थापितों के लिए यह किसी गहरे जख्म से कम नहीं है।

 आज भी पार्वती प्रोजेक्ट के सैकड़ों विस्थापित परिवार अपने हकों के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकारों ने विकास के नाम पर लोगों को उजाड़ने के लिए भूमि अधिग्रहण कानून तो बनाया, लेकिन इस प्रकार उजड़े गए लोगों को भी बसाने के लिए पुनर्वास का कानून नहीं बनाया। विस्थापित संघ के शेर सिंह नेगी ने बताया कि लाखों परिवारों को विकास की कीमत विस्थापन का दर्द झेल कर चुकानी पड़ रही है। उल्लेखनीय यह भी है कि प्रदेश में हाइड्रो प्रोजेक्ट में से अकेले भाखड़ा बांध से 21 हजार परिवार विस्थापित हुए हैं, जबकि पोंग डेम में 17 हजार परिवार, नाथपा झाकरी में दो हजार परिवार, पार्वती प्रोजेक्ट में छह हजार परिवार, कोलडैम में तीन हजार परिवारों के अलावा अन्य प्रोजेक्टों में हजारों परिवारों को विस्थापन का दंश झेलना पड़ा है, अब जबकि प्रदेश में कई सड़क प्रोजेक्ट प्रस्तावित हैं तो स्वाभाविक है कि हजारों परिवारों को विस्थापन का दंश झेलना पड़ सकता है।


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