प्रतिक्रिया : कविता में संप्रेषण का संकट

By: Sep 26th, 2021 12:03 am

कविता में वर्तमान में दो किस्म का संप्रेषण काम करता है, एक मौखिक और दूसरा लिखित। कविता जब मंच पर बोली जाती है तो यह मौखिक संप्रेषण है। अभिव्यक्ति की परिपक्वता कविता को अच्छी, बुरी या प्रभावी बनाती है। दूसरे शब्दों में कहूं तो बोलने वाले के लहजे, उसकी बॉडी लैंग्वेज, शब्दों के उच्चारण से कविता प्रभावित होती है। अभिव्यक्ति के कारण एक बेकार कविता भी खूब तालियां बटोर लेती है और एक अच्छी कविता भी अभिव्यक्ति दोष के कारण श्रोताओं के सिर के ऊपर से निकल जाती है। मौखिक संप्रेषण तब तक अस्थायी होता है जब तक कविता लिखित रूप में नहीं आ जाती। यदि कविता लिखित रूप में है और किसी पुस्तक का हिस्सा है तो इससे होने वाला संप्रेषण स्थायी होगा। पाठक उस कविता से कितना प्रभावित होता है, यह उस पर आश्रित है कि कविता कितनी उसकी समझ में आई है। एक विद्वान कवि कविता की तह तक पहुंच जाता है और उसके गुण-दोष की समीक्षा करता है।

एक साधारण व्यक्ति जब कविता पढ़ेगा तो उस पर सरसरी निगाह डालेगा और अच्छी है या नहीं, का भाव लेकर कविता से बाहर आ जाएगा। उसके भाव से कविता का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता। यह सत्य है कि कवि द्वारा लिखी गई कविता ही संप्रेषण युक्त होती है। यदि अकवि कविता लिखता है तो उसमें संप्रेषण की कमी होती है। अभिव्यक्ति से तालियां व झूठी वाहवाही बटोरी जा सकती है, पर भाव रहित होने के कारण कोई स्थायी संदेश देने में कविता सफल नहीं हो पाती और इसे संप्रेषणहीन कहा जा सकता है। कविता का सृजन कवि करे, यह जरूरी है, लेकिन यह भी जरूरी है कि पढऩे वाला भी गुणी हो, कविता के बारे में ज्ञान रखता हो, अन्यथा उसमें संप्रेषण का अभाव रहेगा। यदि पाठक सही न हो तो अच्छी कविता भी संप्रेषणहीन हो जाती है। कविता के क्षेत्र में काम करने वाले, दोनों कवि और पाठक को कविता की समझ होनी चाहिए, अन्यथा एक अच्छी कविता भी संप्रेषणहीन होगी।

-सुरेश भारद्वाज निराश, साहित्यकार

अकवि कर रहे कविता
कौन कहता है कि कविता में संप्रेषण का संकट है? जब अकवि कविता लिखेंगे तो संप्रेषण का संकट पैदा होगा ही। कविता में बेवजह हाथ आजमाने वाले संप्रेषण का संकट पैदा करते हैं। यही सोचने की बात है। -नवीन हलदूणवी, साहित्यकार


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App