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सदगुरु  जग्गी वासुदेव आप कितना कमा रहे हैं, यह विशेष बात नहीं है। विशेष बात यह है कि आप को कुछ नया बनाने, निर्माण करने की स्वतंत्रता है। धन हमारे जीवन का साधन है। अतः इस दृष्टि से आवश्यक है, लेकिन आप को अपना मूल्यांकन हमेशा इस दृष्टि से करना चाहिए कि आप को क्या

श्रीराम शर्मा इस सृष्टि के कण-कण का विधान परमात्मा के हाथ में है। उसे चाहे अटल नियम कहें, काल कहें, विधाता या परमेश्वर कहें, बात  एक ही है। उसे मानना अवश्य पड़ता है, उससे बुद्धि को एक स्थिति प्राप्त होती है। इसके बिना मनुष्य को न तो विश्राम मिलता है और न अहंकार ही छूटता

ऐसी मान्यता है कि राम ने बालि पर जो तीर चलाया था वह एक साधारण तीर था, अर्थात् राम के तरकश में अनेकानेक अस्त्र थे जिनसे पल भर में जीव तो क्या पूरी की पूरी सभ्यता का विनाश हो सकता था, जैसे ब्रह्मास्त्र इत्यादि। लेकिन मर्यादा पुरुषोत्तम राम, जो कि विष्णु का अवतार थे और

इंगलैंड के डा. मौर्टन प्रिंस ने मिस बोचैंप नामक लड़की की परीक्षा करने के बाद अपना यह मत व्यक्त किया कि भूत जैसी कोई वस्तु संभव है, जो गतिशील हो सकती है। इस लड़की की दशा कभी-कभी बड़ी विचित्र हो जाती थी। कई बार उसे दर्द होता था… -गतांक से आगे… परिवर्तन धीरे-धीरे हुआ। कुछ

महारोगा विनशयंति लक्ष जप्यानुभावतः। स्नात्वा तथैव गायत्रयाः शतम्नतजले जेपतष। 105। भावनापूर्वक एक लाख बार गायत्री जपने से महारोग नष्ट हो जाते हैं तथा स्नान करके जल के भीतर सौ बार जप करने से भी रोग दूर होते हैं… -गतांक से आगे… महारोगा विनशयंति लक्ष जप्यानुभावतः। स्नात्वा तथैव गायत्रयाः शतम्नतजले जेपतष। 105। भावनापूर्वक एक लाख बार

आसन : प्रसीद जगतां मातः संसारार्णव-तारिणी। मया निवेदितं भक्त्या आसनं प्रतिगृह्यताम।। श्री देव्यै नमः। आसन समर्पयामि। यह बोलकर आसन के लिए पुष्प चढ़ाएं। पाद्य : गंगादि-सर्वतीर्थेभ्यो मया प्रार्थनाअअहृतम। तोयमेतत्सुखस्पर्श पाद्यार्थ प्रतिगृह्यताम।। श्री देव्यै नमः। पाद्यं समर्पयामि। इससे पाद्य के लिए जल चढ़ाएं। अर्घ्य : निधीनां सर्वदेवानां त्वमनर्घ्यगुणा हृयसि। सिंहोपरि स्थिते देवि, गृहाणार्घ्यं नमोअस्तुते।। श्री देवाय

बाबा हरदेव उदाहरण के तौर पर कहीं कमरे में मेज पर एक गिलास में आधा पानी भर रखा है और एक व्यक्ति कमरे में अंदर जाता है और फिर बाहर आकर कहता है कि कमरे में मेज पर गिलास रखा है, वो आधा खाली है और इसी प्रकार एक दूसरा आदमी उसी कमरे में प्रवेश

मार्कंडेय पुराण आकार में छोटा है। इसके एक सौ सैंतीस अध्यायों में लगभग नौ हजार श्लोक  हैं। मार्कंडेय ऋषि द्वारा इसके कथन से इसका नाम मार्कंडेय पुराण पड़ा। यह पुराण वस्तुतः दुर्गा चरित्र एवं दुर्गा सप्तशति के वर्णन के लिए प्रसिद्ध है। इसीलिए इसे शाक्त संप्रदाय का पुराण कहा जाता है। पुराण के सभी लक्षणों

श्रीश्री रवि शंकर कृपया हमें हनुमान के विषय में कुछ बताएं? श्री श्री रविशंकर-कहा गया है कि रामायण आपके अपने भीतर ही घटित हो रही है । आपकी आत्मा राम है, मन सीता, आपके श्वास या प्राणशक्ति हनुमान है, आपकी चेतना लक्ष्मण और आपका अहं रावण है । जब अहं (रावण) मन (सीता) का हरण