आस्था

फाल्गुन शुक्ल 15, शक संवत् 1407 को, सिंह लग्न में, दिन के समय बालक चैतन्य का जन्म हुआ। नाम रखा निमाई। गांव का नाम नवद्वीप है तथा वह पश्चिमी बंगाल में पड़ता है। पिता थे श्री जगन्नाथ मिश्र तथा माता थी शची देवी। आप भगवान कृष्ण के अनन्य भक्त थे तथा समय आने पर श्री

गतांक से आगे… कौन है जीवनमुक्ति? वेदांत ग्रंथ इसी जीवन मुक्ति की बात करते हैं। तत्त्वज्ञानी जीवनमुक्त कहा जाता है। वह अपने संचित कर्मों को ज्ञानग्नि में जला देते हैं। क्योंकि उनके द्वारा किए जा रहे क्रियमाण कर्मों में कामना का पुट नहीं होता, इसलिए वो कर्म प्रवाह का निर्माण नहीं करते तथा प्रारब्ध को

*      क्रोध से मूढ़ता उत्पन्न होती है, मूढ़ता से स्मृति भ्रांत हो जाती है, स्मृति भ्रांत हो जाने से बुद्धि का नाश हो जाता है और बुद्धि नष्ट होने पर प्राणी स्वयं नष्ट हो जाता है *    जिंदगी के इस रण में खुद ही कृष्ण और खुद ही अर्जुन बनना पड़ता है। रोज अपना

लहसुन एक जड़ी-बूटी है। भोजन को स्वादिष्ट बनाने वाले मसाले के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन यह वास्तव में कई प्रकार की बीमारियों को रोकने और इलाज में काफी कारगर होता है। लहसुन में ऐसे कई गुणकारी तत्त्व मौजूद हैं। इसलिए ज्यादातर लोग सब्जी के अलावा सुबह खाली पेट भी लहसुन खाना

मार्गशीर्ष अमावस्या को एक अन्य नाम ‘अगहन अमावस्या’ से भी जाना जाता है। यह अमावस्या मार्गशीर्ष माह में पड़ती है। इस अमावस्या का महत्त्व कार्तिक अमावस्या से कम नहीं है। जिस प्रकार कार्तिक मास की अमावस्या को लक्ष्मी का पूजन कर दीपावली मनाई जाती है, उसी प्रकार इस दिन भी देवी लक्ष्मी का पूजन करना

-गतांक से आगे… नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे। रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 9।। स्तुवद्भ्यो भक्तिपूर्वं त्वाम चण्डिके व्याधिनाशिनि। रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ।। 10।। पापों को दूर करने वाली चण्डिके! जो भक्तिपूर्वक तुम्हारे चरणों में सर्वदा मस्तक झुकाते हैं, उन्हें रूप दो, जय दो, यश दो और

मासिक शिवरात्रि प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। हिंदू धर्म में इस शिवरात्रि का भी बहुत महत्त्व है। शिवरात्रि भगवान शिव और शक्ति के अभिसरण का विशेष पर्व है। धार्मिक मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि के दिन व्रत आदि करने से भगवान शिव की विशेष कृपा द्वारा कोई भी

महाराष्ट्र में मुंबई के पास अंबरनाथ शहर में अंबरनाथ मंदिर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे अंबरेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर में मिले शिलालेख के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण 1060 ई. में राजा मांबाणि ने करवाया था इस मंदिर को पांडवकालीन मंदिर भी बताया जाता

मथुरा जिसे श्री कृष्ण की जन्म भूमि कहा जाता है। यहां कण-कण में भगवान श्री कृष्ण का वास है और इस भूमि पर अनगिनत मंदिर स्थापित हैं। हर भवन कान्हा और राधा रानी से जुड़ा है, जिसमें उनकी लीलाओं का वर्णन अलग-अलग रूपों में है। यहां के हर मंदिर में पूरे साल भक्तों का तांता