अब पूर्व कैग प्रमुख चलाएंगे बीसीसीआई

By: Jan 31st, 2017 12:08 am

NEWSNEWSनई दिल्ली— पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को चलाने के लिए सोमवार को नियुक्त किए गए चार सदस्यीय प्रशासनिक पैनल का अध्यक्ष बनाया गया है।  उच्चतम न्यायालय द्वारा घोषित किए गए पैनल के अन्य सदस्यों में इतिहासकार रामचंद्र गुहा, पूर्व भारतीय महिला क्रिकेटर डायना इडुलजी और इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट फाइनांस कारपोरेशन (आईडीएफसी) के सीईओ एवं प्रबंध निदेशक विक्रम लिमाये शामिल हैं। यह पैनल लोढा समिति की सिफारिशों के अनुसार बीसीसीआई के अगले चुनाव होने तक बोर्ड का कामकाज संभालेगा। विनोद राय की अध्यक्षता वाला यह पैनल तत्काल प्रभाव से अपना कामकाज संभाल लेगा और बीसीसीआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राहुल जौहरी के सहयोग से काम करेगा। जौहरी बोर्ड के रोजाना के कामकाज के प्रभारी होंगे। उच्चतम न्यायालय ने इस महीने के शुरू में बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को लोढा समिति की सिफारिशों को लागू न करने पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए बर्खास्त कर दिया था। इन दोनों की बर्खास्तगी के बाद अब जाकर यह प्रशासनिक पैनल नियुक्त किया गया है। उच्चतम न्यायालय ने सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे महा अधिवक्ता के खेल मंत्रालय के सचिव को इस पैनल का सदस्य नियुक्त करने के आग्रह को ठुकरा दिया। विक्रम लिमाये बीसीसीआई के संयुक्त सचिव अमिताभ चौधरी और अनिरुद्ध चौधरी वित्तीय मामलों को लेकर आईसीसी की बैठक में बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व करेंगे। इससे पहले न्यायमित्र गोपाल सुब्रह्मण्यन और अनिल दीवान ने बीसीसीआई में प्रशासकों की नियुक्ति के लिए उच्चतम न्यायालय को नौ नाम सौंपे थे। उच्चतम न्यायालय ने न्यायमित्रों से यह नाम मांगे थे। गत 24 जनवरी को उच्चतम न्यायालय ने प्रशासकों के नामों की घोषणा का फैसला 30 जनवरी तक टाल दिया था। बीसीसीआई और केंद्र सरकार ने उस समय तर्क दिया था कि उन्हें नाम देने की अनुमति दी जाए। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, एएम खानविलकर तथा डी वाई चंद्रचूड़ की खंडपीठ ने बीसीसीआई को मौजूदा पदाधिकारियों में से तीन नाम छांटने की अनुमति दी थी जो निर्धारित प्रक्रिया के बाद योग्य पाए जाते हैं। इन्हें दो फरवरी को होने वाली आईसीसी की कार्यकारी की बोर्ड बैठक में बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व करना है। अदालत ने पिछली सुनवाई में बीसीसीआई और सरकार से कहा था कि वे सीलबंद लिफाफे में नाम दें, ताकि प्रशासकों के पैनल और आईसीसी बैठक में बीसीसीआई प्रतिनिधित्व के लिए विचार किया जा सके। सुनवाई में बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व कपिल सिब्बल और सरकार की तरफ से मुकुल रोहतगी तर्क रख रहे थे।


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