अवैध कब्जों पर कोर्ट जाएगी सरकार

By: Jan 29th, 2017 12:06 am

सरकारी जमीन से गुजारा कर रहे छोटे-मझोले किसानों को कार्रवाई से बचाने के लिए फैसला

NEWSशिमला— सरकारी जमीन पर नाजायज कब्जे करने वाले छोटे व मध्यम वर्ग के किसानों को राहत दिलाने के लिए सरकार हाई कोर्ट जाएगी, क्योंकि हाई कोर्ट ने सरकारी जमीन को खाली करवाने के आदेश दिए हैं, लिहाजा प्रदेश सरकार अपनी अंतरिम नीति बनाकर उसे हाई कोर्ट को सौंपेगी। सरकार हाई कोर्ट से आग्रह करेगी कि वह सरकार की नीति के मुताबिक छोटे किसानों को उनकी गुजर-बसर के लिए सरकारी जमीन के कब्जे को सुचारू रखने का हक दे। सात फरवरी को सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय कमेटी की बैठक की जाएगी, जिससे पहले अधिकारियों को सरकार की अंतरिम नीति के लिए प्रारूप तैयार करने को कहा गया है, जिस पर चर्चा उपरांत हाई कोर्ट में अपील की जाएगी। शनिवार को इस संबंध में उच्च स्तरीय कमेटी की बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता राजस्व एवं कानून मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने की। बैठक में निर्णय लिया गया कि सरकार वन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत प्रावधानों की भी जांच करेगी, ताकि स्थायी हिमाचली निवासियों को चिन्हित कर उनके अधिकारों को निर्धारित किया जा सके। उच्च न्यायालय के आदेशों के अनुकूल प्रदेश सरकार भी  सरकारी भूमि पर अवैध कब्जों के खिलाफ है, लेकिन किसी विवशता के कारण जिन छोटे व मझोले किसानों ने सरकारी भूमि पर भवनों का निर्माण अथवा कब्जे किए हैं, उनको राहत देना चाहती है। मानवीय आधार पर प्रदेश विधानसभा में अवैध कब्जों के नियमितीकरण के लिए प्रस्ताव पारित किया गया है, परंतु उच्च न्यायालय ने सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे को हटाने के लिए विभिन्न आदेश दिए हैं। प्रदेश सरकार शीघ्र ही उच्च न्यायालय के समक्ष कानून के निर्धारित मापदंडों के आधार पर नीति बनाकर प्रस्तुत करेगी, ताकि प्रदेश के छोटे व मझौले किसानों व निर्धन लोगों को राहत दिलाई जा सके। राजस्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने बताया कि सात फरवरी को निर्धारित अगली बैठक तक समिति के सदस्यों को नीति व योजना का प्रारूप प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। कानून की व्यवस्था बनाए रखने के प्रति प्रदेश सरकार की वचनबद्धता को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि बड़े व प्रभावशाली अवैध कब्जाधारकों के साथ सख्ती से निपटा जाएगा। बैठक में उच्च स्तरीय समिति के सदस्य वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी, आयुर्वेद मंत्री कर्ण सिंह, विधानसभा के उपाध्यक्ष जगत सिंह नेगी, मुख्य संसदीय सचिव रोहित ठाकुर व नंदलाल, विधायक मोहन लाल बराक्टा, अतिरिक्त मुख्य सचिव  तरुण श्रीधर, प्रधान सचिव आरडी धीमान, सचिव मोहन चौहान, कानून सचिव डा. बलदेव सिंह और विभिन्न विभागों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।

एक साल से चल रही कार्रवाई

अवैध कब्जाधारियों पर कार्रवाई का सिलसिला पिछले एक साल से चल रहा है। बड़े पैमाने पर वन क्षेत्र को खाली करवाया जा चुका है, जिसमें सेब के पौधे भी हटाए गए हैं। शुरुआत में सेब के पौधों को काट दिया गया था, लेकिन बाद में वन विभाग को सेब जुटाने के लिए कहा गया। इसमें आरोप ये लगे कि छोटे कब्जाधारियों पर ही कार्रवाई की गई और बड़े मगरमच्छों को छोड़ दिया गया। एक साल के बाद अब सरकार हाई कोर्ट में इसके खिलाफ अपील करने की तैयारी में है।


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